"सुनामी": अवतरणों में अंतर

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12:53, 12 मार्च 2011 का अवतरण

सुनामी एक समुद्री हवा है, जो बड़े पैमाने पर समुद्री पानी में हलचल पैदा कर देती है। सुनामी जापानी शब्द है, जिसकी उत्पत्ति दो शब्द-सू (हार्बर) और नामी (वेब) से हुई है, जिसका आशय जापान में ‘बन्दरगाह की लहरें’ से है। ये सागर की लहरें होती हैं, जो कि समुद्र के भीतर भूकम्प या प्लेटों के खिसकने की वजह से उत्पन्न होती हैं। ये लहरें तटीय क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में भारी तबाही मचाती हैं।

कारण

अब तक के बड़े भूकम्प
स्थान कब आए तीव्रता
चिली 22 मई, 1960 9.5
प्रिन्स विलियम साउण्ड, अलास्का 28 मार्च, 1964 9.2
उत्तरी सुमात्रा, पश्चिमी तट 26 दिसम्बर, 2004 9.1
कमचटका, पूर्वी रूस 4 नवम्बर, 1952 9.0
मौले तट, चिली 27 फ़रवरी, 2010 8.8
इक्वाडोर के तट पर 31 जनवरी, 1906 8.8
रैट आइलैण्ड अलास्का 4 फ़रवरी, 1965 8.7
उत्तरी सुमात्रा, इण्डोनेशिया 28 मार्च, 2005 8.6
असम और तिब्बत सीमा 15 अगस्त, 1950 8.6
एंड्रियानोफ आइलैड्स, अलास्का 9 मार्च, 1957 8.6
दक्षिणी सुमात्रा, इण्डोनेशिया 12 सितम्बर, 2007 8.5
बैंडा सी, इण्डोनेशिया 1 फ़रवरी, 1938 8.5
कमचटका, पूर्वी रूस 3 फ़रवरी, 1923 8.5
चिली-अर्जेनटीना सीमा 11 नवम्बर, 1922 8.5
कुरील आइलैण्ड्स 13 अक्टूबर, 1963 8.5

अधिकतर सुनामी का कारण भूकंप होता है। लेकिन ज्वालामुखी के फटने, धरती की प्लेटों के खिसकने, वायुमंडलीय दबाव, समुद्र के भीतर विस्फोट और उल्काओं के प्रभाव के कारण भी सुनामी आती है। सुनामी चौतरफा बवंडर की तरह होती है। इसकी हवा की कोई निश्चित दिशा नहीं होती है। 30 किलोमीटर प्रतिघंटा से लेकर 700 किलोमीटर प्रतिघंटा तक इसकी रफ्तार हो सकती है।

सुनामी भविष्यवाणी का भारतीय तंत्र

2004 में सुनामी आने के बाद भारत ने इसके ख़तरे को कम करने के उपाय पर काम शुरू किया। सुनामी की चेतावनी जारी करने के लिए 'इंण्डियन ओसियन सुनामी वार्निंग मिशिगेशन सिस्टम' (आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस.) विकसित हुआ। भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया समेत 18 देश इस बात पर सहमत हुए कि, वे आपस में सुनामी जैसी किसी भी आपदा की भविष्यवाणी संबंधी सूचना एक दूसरे के साथ साझा करेंगे। आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस भूकंप और ज्वालामुखी का पता लगाता है, जो सुनामी का कारण बन सकता है। समुद्री तल के भीतर होने वाले कंपन पर नज़र रखता है। यह मुख्यत: दो तरह से काम करता है। पहला समुद्र में बन रहे दबाव को रिकॉर्ड करता है, दूसरा लहरों को मापता है। उसके आधार पर सुनामी का कितना ख़तरा है इसका आकलन किया जाता है। इन सारे डाटा को इकठ्टा कर वह गृह मंत्रालय को जारी करेगा। 2004 से एक अंतरिम एजेंसी जैपनीज मेटेरियोलॉजिकल एजेंसी के नेतृत्व में काम कर रही थी, लेकिन आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस उच्च तकनीक पर आधारित सिस्टम है, जो खुद इस तरह की सूचनाएँ इकठ्टा करने में सक्षम है। आई.ओ.टी.डब्ल्यू.एस सुनामी की भविष्यवाणी समुद्री लहरों की ऊँचाई को नाप कर करता है।

भूकम्प जनित सुनामी

  • इण्डोनेशिया (2006) - इण्डोनेशिया के जावा प्रायद्वीप में 7.7 तीव्रता की भूकम्प जनित सुनामी की वजह से 654 लोग मारे गए थे।
  • सोलोमन प्रायद्वीप (2007) - पश्चिमी सोलोमन प्रायद्वीप में 8.0 तीव्रता के भूकम्प से सुनामी पैदा हो गई। जिसकी चपेट में आकर 52 लोग मारे गए थे।
  • समोआ (2009) - सओआ में रिक्टर पैमाने पर 8.0 तीव्रता के भूकम्प और सुनामी के कारण 190 लोग मारे गए थे।
  • चिली (2010) - चिली में 8.8 तीव्रता के भूकम्प से उपजी सुनामी के कारण करीब 600 लोग मारे गए थे।
  • इण्डोनेशिया (2010) - सुप्रामा प्रायद्वीप में 7.7 तीव्रता के भूकम्प और सुनामी की वजह से 112 लोग मारे गए और 500 लोग लापता हो गए।
  • हिन्द महासागर (26 दिसमबर, 2004) - 9.3 तीव्रता के भूकम्प के चलते हिन्द महासागर का सीना सुनामी से दहल गया। सुमात्रा इस भूकम्प का केन्द्र था। 30 मीटर तक ऊँची उठी लहरों ने विनाश का ऐसा ताण्डव मचाया कि, मानवता काँप उठी। इस सुनामी के कारण 14 देश प्रभावित हुए। सर्वाधिक प्रभावित होने वाले देशों में भारत, इण्डोनेशिया, श्रीलंका और थाइलैण्ड आदि प्रमुख थे और इसमें मरने वालों की संख्या क़रीब ढाई लाख थी।
भारत (2004 की सुनामी में हुआ नुकसान)
परिणाम तमिलनाडु केरल आन्ध्र प्रदेश पांडिचेरी कुल
मारे गए लोग 7,793 168 105 453 8499
प्रभावित जनसंख्या 691000 2470000 211000 43000 3415000
प्रभावित क्षेत्र (वर्ग किमी.) 2487 790 790 4,067
प्रभावित तट की लम्बाई (किमी.) 1000 250 985 25 2260
सुनामी लहरों की ऊँचाई (मीटर) 7-10 3-5 5 10
प्रभावित गाँवों की संख्या 362 187 301 26 876
पशु हानि 5476 195 3445 916


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टीका टिप्पणी और संदर्भ