"गुलाल": अवतरणों में अंतर

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गेहूँ की हरी बालियों को अच्छी तरह पीसकर गुलाल तैयार करें।  
गेहूँ की हरी बालियों को अच्छी तरह पीसकर गुलाल तैयार करें।  
पालक, धनिया या पुदीने के पत्तों के पेस्ट को पानी में मिलाकर रंग तैयार किया जा सकता है।
पालक, धनिया या पुदीने के पत्तों के पेस्ट को पानी में मिलाकर रंग तैयार किया जा सकता है।
;गुलाबी
*चुकंदर के टुकड़ों को या चुकंदर को 1 लीटर पानी में 1 पूरी रात भीगने के लिए छोड़ दीजिए। फिर रंगीन पानी बनाने के लिए इस घोल में पानी मिलाकर होली का लुत्फ़ उठाइए।
;पीला
*पीला सूखा रंग बनाने के लिये दो चम्मच हल्दी पाउडर को पांच चम्मच बेसन में मिलाएं। हल्दी और बेसन उबटन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, यह त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है।
*इसके अलावा गेंदे के फूल को सुखाकर उसके पाउडर से भी पीला रंग तैयार कर सकते हैं।
;चटक केसरिया गुलाल
*पारंपरिक तौर पर भारत में यह चटक केसरिया गुलाल टेसू के फ़ूलों से बनता है, जिसे पलाश भी कहा जाता है। टेसू के फूलों को रात भर के लिए पानी में भीगने के लिए छोड़ दीजिए। और सुबह रंग का आनंद उठाइए! कहा जाता है इस पानी में औषधिय गुण होते हैं।
*चुटकी भर चंदन पाउडर 1 लीटर पानी में मिलाने पर केसरिया रंग तैयार हो जाता है।
*केसर की पत्तियों को कुछ समय के लिए 2 चम्मच पानी में भीगने के लिए छोड़ दें। फिर उन्हें पीस लें। अपने इच्छानुसार गाढ़ा रंग पाने के लिए धीरे-धीरे पानी मिलाएँ, ताकि ज़्यादा पानी से रंग फीका या हल्का न हो जाए! यह त्वचा के लिए अच्छा तो होता ही है साथ ही साथ बहुत महँगा भी होता है।





19:31, 18 मार्च 2011 का अवतरण

गुलाल होली के सूखे रंगों को कहा जाता है, जो रंगीन सूखा चूर्ण होता है। जिसे होली के त्यौहार में गालों पर या माथे पर टीक लगाने के काम आता है। इसके अलावा इसका प्रयोग रंगोली बनाने में भी किया जाता है। बिना गुलाल के होली के रंग फीके ही रह जाते हैं। यह कहना उचित ही होगा कि जहां गीली होली के लिये पानी के रंग होते हैं, वहीं सूखी होली भी गुलालों के संग कुछ कम नहीं जमती है। यह रसायनों द्वारा व हर्बल, दोनों ही प्रकार से बनाया जाता है। कई वर्ष पूर्व तक मूल रूप से यह रंग वनस्पतियों से प्राप्त रंगों या उत्पादों (फूलों) और अन्य प्राकृतिक पदार्थों से ही इसका निर्माण हुआ करता था, जिनमें रंगने की प्रवृत्ति होती थी। किन्तु समय के साथ इसमें बदलाव आया और होली के ये रंग अब रसायन भी होते हैं और कुछ तेज़ रासायनिक पदार्थों से तैयार किए जाते हैं व उन्हें अरारोट में मिलाकर तीखे व चटक रंग के गुलाल बनने लगे। ये रासायनिक रंग हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं, विशेषतौर पर आँखों और त्वचा के लिए। इन्हीं सब समस्याओं ने फिर से हमें इधर कुछ वर्षों से दोबारा प्राकृतिक रंगों / हर्बल गुलाल की ओर रुख करने को मजबूर कर दिया है। व कई तरह के हर्बल व जैविक गुलाल बाजारों में उपलब्ध होने लगे हैं। हर्बल गुलाल के कई लाभ होते हैं। इनमें रसायनों का प्रयोग नहीं होने से न तो एलर्जी होती है न आंखों में जलन होती है। ये पर्यावरण अनुकूल होते हैं। इसके अलावा ये खास मंहगे भी नहीं होते, लगभग 80 रु का एक किलोग्राम होता है।

प्राकृतिक रंगों / हर्बल गुलाल बनाने की विधि

हम घर पर बिल्कुल प्राकृतिक तौर पर गुलाल के रंग तैयार कर सकते हैं। जो खूबसूरत लाल-हरा, नीला-पीला, केसरिया-गुलाबी रंग का हो सकते हैं। होली के ये प्राकृतिक रंग पूरी तरह सिर्फ़ सुरक्षित ही नहीं बल्कि चेहरे और त्वचा के लिए भी लाभदायक माने जाते हैं। तभी तो यदि होली खेलते हुए गुलाल आँखों में भी चला भी जाए तो आप आराम से होली खेलते रहिए और जब त्यौहार का मज़ा पूरा हो जाए, तब आराम से घर जाकर आँखें धो लीजिए। हम आपको गुलाल बनाना सिखाते हैं जो बाज़ार के रासायनिक गुलाल से कहीं ज़्यादा बेहतर होगा और साथ ही सुरक्षित भी। तो आइए, खुद तैयार किए गए इस गुलाल से परिवार के साथ-साथ दोस्तों को भी सराबोर कीजिए और होली का आनंद उठाइए।

लाल गुलाल तैयार करने की विधि
  • पिसा हुआ लाल चंदन जिसे रक्तचंदन या लाल चंदन भी कहा जाता है, खूबसूरत लाल रंग का होता है। साथ ही यह त्वचा के लिए भी अच्छा होता है। यह सूखा रंग गुलाल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है तथा इनमें सूखे लाल गुड़हल के फूल को पीस कर मिला सकते हैं। इसके अलावा गीला लाल रंग बनाने के लिये चार चम्मच लाल चंदन पाउडर को पांच लीटर पानी में डालकर उबालें और इसे 20 लीटर पानी में मिलाकर तैयार किया जा सकता है।
  • छाया में सुखाए गए गुड़हल या जवाकुसुम के फूलों के पाउडर से लाल रंग तैयार किया जा सकता है।
  • सिंदूरिया के ईंट से लाल बीजों को भी बतौर रंग या गुलाल इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • लाल अनार के छिलकों / दानों को पानी में उबाल कर भी सुर्ख लाल रंग बनाया जा सकता है।
  • आधे कप पानी में दो चम्मच हल्दी पाउडर के साथ चुटकी भर चूना मिलाइए। फिर 10 लीटर पानी के घोल में इसे अच्छी तरह मिलाइए और आपका होली का रंग तैयार।
  • टमाटर और गाजर के रस को भी पानी में मिला कर रंग तैयार किया जा सकता है।
प्राकृतिक रूप से तैयार हरा गुलाल
  • हरा सूखा रंग बनाने के लिए मेहँदी या हिना पाउडर प्रयोग कर सकते हैं। इससे चेहरे पर कोई निशान नहीं आएगा। गीला हरा रंग बनाने के लिए इसमें पानी मिला कर रंग तैयार किया जा सकता है (दो चम्मच मेंहदी चूर्ण को एक लीटर पानी में घोलकर), पर इस रंग के दाग आसानी से नहीं छुटते। यह दीगर बात है कि यह रंग बालों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
  • गुलमोहर के पत्तियों को अच्छी तरह सुखा कर पीस लें और चमकदार प्राकृतिक हरा गुलाल तैयार किया जा सकता है।

गेहूँ की हरी बालियों को अच्छी तरह पीसकर गुलाल तैयार करें। पालक, धनिया या पुदीने के पत्तों के पेस्ट को पानी में मिलाकर रंग तैयार किया जा सकता है।

गुलाबी
  • चुकंदर के टुकड़ों को या चुकंदर को 1 लीटर पानी में 1 पूरी रात भीगने के लिए छोड़ दीजिए। फिर रंगीन पानी बनाने के लिए इस घोल में पानी मिलाकर होली का लुत्फ़ उठाइए।
पीला
  • पीला सूखा रंग बनाने के लिये दो चम्मच हल्दी पाउडर को पांच चम्मच बेसन में मिलाएं। हल्दी और बेसन उबटन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, यह त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है।
  • इसके अलावा गेंदे के फूल को सुखाकर उसके पाउडर से भी पीला रंग तैयार कर सकते हैं।
चटक केसरिया गुलाल
  • पारंपरिक तौर पर भारत में यह चटक केसरिया गुलाल टेसू के फ़ूलों से बनता है, जिसे पलाश भी कहा जाता है। टेसू के फूलों को रात भर के लिए पानी में भीगने के लिए छोड़ दीजिए। और सुबह रंग का आनंद उठाइए! कहा जाता है इस पानी में औषधिय गुण होते हैं।
  • चुटकी भर चंदन पाउडर 1 लीटर पानी में मिलाने पर केसरिया रंग तैयार हो जाता है।
  • केसर की पत्तियों को कुछ समय के लिए 2 चम्मच पानी में भीगने के लिए छोड़ दें। फिर उन्हें पीस लें। अपने इच्छानुसार गाढ़ा रंग पाने के लिए धीरे-धीरे पानी मिलाएँ, ताकि ज़्यादा पानी से रंग फीका या हल्का न हो जाए! यह त्वचा के लिए अच्छा तो होता ही है साथ ही साथ बहुत महँगा भी होता है।



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