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*[[महाभारत]] [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]]<ref>महाभारत, अनुशासन पर्व 2</ref> में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार अग्निपुत्र सुदर्शन की सती पत्नी ही ओधवती के रूप में परिणत हो गई थी।<ref>'एष हि तपसा स्वेन संयुक्ता ब्रह्मवादिनी, पावनार्थ लोकस्य सरिच्छ्रेष्ठा भविष्यति, अर्धेनौधवती नाम स्वामर्धेनानुयास्यति' अनुशासन 2,83-84</ref>  
*[[महाभारत]] [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]]<ref>महाभारत, अनुशासन पर्व 2</ref> में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार अग्निपुत्र सुदर्शन की सती पत्नी ही ओधवती के रूप में परिणत हो गई थी।<ref>'एष हि तपसा स्वेन संयुक्ता ब्रह्मवादिनी, पावनार्थ लोकस्य सरिच्छ्रेष्ठा भविष्यति, अर्धेनौधवती नाम स्वामर्धेनानुयास्यति' अनुशासन 2,83-84</ref>  
*युद्ध की समाप्ति पर [[पांडव]], [[द्रौपदी]], [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]], [[सात्यकि]] आदि शिविर में न ठहरकर ओधवती नदी के तट पर रहे थे और जब वे उठे तो उन्हें अश्वत्थामा के किये पांचाल-संहार का समाचार मिला था।
*युद्ध की समाप्ति पर [[पांडव]], [[द्रौपदी]], [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]], [[सात्यकि]] आदि शिविर में न ठहरकर ओधवती नदी के तट पर रहे थे और जब वे उठे तो उन्हें अश्वत्थामा के किये पांचाल-संहार का समाचार मिला था।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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08:32, 21 मार्च 2011 का अवतरण

  • ओधवती नदी कुरुक्षेत्र की एक नदी है जिसका उल्लेख महाभारत में है।
  • दुर्योधन को भीम ने ओधवती के तट पर गदायुद्ध में आहत किया था।
  • पृथूदक इसी नदी के तट पर स्थित था।
  • महाभारत अनुशासन पर्व[1] में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार अग्निपुत्र सुदर्शन की सती पत्नी ही ओधवती के रूप में परिणत हो गई थी।[2]
  • युद्ध की समाप्ति पर पांडव, द्रौपदी, श्रीकृष्ण, सात्यकि आदि शिविर में न ठहरकर ओधवती नदी के तट पर रहे थे और जब वे उठे तो उन्हें अश्वत्थामा के किये पांचाल-संहार का समाचार मिला था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, अनुशासन पर्व 2
  2. 'एष हि तपसा स्वेन संयुक्ता ब्रह्मवादिनी, पावनार्थ लोकस्य सरिच्छ्रेष्ठा भविष्यति, अर्धेनौधवती नाम स्वामर्धेनानुयास्यति' अनुशासन 2,83-84

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