"रघुवंश महाकाव्य": अवतरणों में अंतर
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*कालिदास की कृतियों के क्रम में रघुवंश महाकाव्य का तीसरा स्थान है। प्रथम दो कृतियां हैं- कुमारसंभव और मेघदूत। | |||
*रघुवंश [[कालिदास]] रचित महाकाव्य है। इसमें उन्नीस सर्ग हैं जिनमें [[रघु वंश|रघुकुल]] के इतिहास का वर्णन किया गया है। | *रघुवंश [[कालिदास]] रचित महाकाव्य है। इसमें उन्नीस सर्ग हैं जिनमें [[रघु वंश|रघुकुल]] के इतिहास का वर्णन किया गया है। | ||
*महाराज रघु के प्रताप से उनके कुल का नाम रघुकुल पड़ा। रघुकुल में ही [[राम]] का जन्म हुआ था। | *महाराज रघु के प्रताप से उनके कुल का नाम रघुकुल पड़ा। रघुकुल में ही [[राम]] का जन्म हुआ था। |
07:57, 22 मार्च 2011 का अवतरण
![](/w/images/0/02/Raghuvansh.jpg)
- कालिदास की कृतियों के क्रम में रघुवंश महाकाव्य का तीसरा स्थान है। प्रथम दो कृतियां हैं- कुमारसंभव और मेघदूत।
- रघुवंश कालिदास रचित महाकाव्य है। इसमें उन्नीस सर्ग हैं जिनमें रघुकुल के इतिहास का वर्णन किया गया है।
- महाराज रघु के प्रताप से उनके कुल का नाम रघुकुल पड़ा। रघुकुल में ही राम का जन्म हुआ था।
- रघुवंश के अनुसार दिलीप रघुकुल के प्रथम राजा थे जिनके पुत्र रघु द्वितीय राजा थे। उन्नीस सर्गों में कालिदास ने राजा दिलीप, उनके पुत्र रघु, रघु के पुत्र अज, अज के पुत्र दशरथ, दशरथ के पुत्र राम तथा राम के पुत्र लव और कुश के चरित्रों का वर्णन किया है।
- कुमार सम्भव और अभिज्ञान शाकुन्तलम् कालिदास की अन्य प्रमुख रचनाएँ हैं।
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