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*इस ‘पूर्णा’ संज्ञक तिथि के स्वामी यम हैं, जिसका विशेष नाम ‘धर्मिणी’ है।  
*इस ‘पूर्णा’ संज्ञक तिथि के स्वामी यम हैं, जिसका विशेष नाम ‘धर्मिणी’ है।  
*इस तिथि को सामान्य रूप से ‘द्रव्यदा’ भी कहते हैं।  
*इस तिथि को सामान्य रूप से ‘द्रव्यदा’ भी कहते हैं।  
*शनिवार को दशमी मृत्युदा तथा गुरूवार को सिद्धिदा होती है।  
*शनिवार को दशमी मृत्युदा तथा गुरुवार को सिद्धिदा होती है।  
*[[आश्विन]] मास में दशमी मास शून्य संज्ञक होने से शुभ कार्यों में वर्जित होती है।
*[[आश्विन]] मास में दशमी मास शून्य संज्ञक होने से शुभ कार्यों में वर्जित होती है।
*दशमी की दिशा उत्तर है।
*दशमी की दिशा उत्तर है।

11:58, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण

  • सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 109° से 120° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की दशमी और 289° से 300° तक कृष्ण दशमी रहती है।
  • इस ‘पूर्णा’ संज्ञक तिथि के स्वामी यम हैं, जिसका विशेष नाम ‘धर्मिणी’ है।
  • इस तिथि को सामान्य रूप से ‘द्रव्यदा’ भी कहते हैं।
  • शनिवार को दशमी मृत्युदा तथा गुरुवार को सिद्धिदा होती है।
  • आश्विन मास में दशमी मास शून्य संज्ञक होने से शुभ कार्यों में वर्जित होती है।
  • दशमी की दिशा उत्तर है।
  • भविष्य पुराण के अनुसार दशमी तिथि को यमराज (काल) की पूजा करने से आरोग्य तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
  • दशमी तिथि को शिव जी का वास अनुकूल न होने से शिव पूजन वर्जित है।
  • चन्द्रमा की इस दसवीं कला का अमृत पान वायु देव करते हैं।
  • विशेष – दशमी तिथि मंगल ग्रह की जन्म तिथि है। इसलिये शुभ कार्यों में वर्जित माना जाता है।


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