"अण्णा हज़ारे": अवतरणों में अंतर
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*आज के गांधी के नाम से मशहूर अन्ना हजारे के अनशन से दिल्ली के हुक्मरान दहशत में हैं। इसकी वजह है अन्ना का ट्रैक रिकॉर्ड। अपने गांधीवादी आंदोलन के ज़रिए अन्ना हजारे अब तक महाराष्ट्र के आधा दर्जन मंत्रियों और 420 भ्रष्ट अफ़सरों को कुर्सी से हटवाने में कामयाब हो चुके हैं। | *आज के गांधी के नाम से मशहूर अन्ना हजारे के अनशन से दिल्ली के हुक्मरान दहशत में हैं। इसकी वजह है अन्ना का ट्रैक रिकॉर्ड। अपने गांधीवादी आंदोलन के ज़रिए अन्ना हजारे अब तक महाराष्ट्र के आधा दर्जन मंत्रियों और 420 भ्रष्ट अफ़सरों को कुर्सी से हटवाने में कामयाब हो चुके हैं। | ||
*छोटी सी कद काठी और हाथ में लाठी लिए आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले अन्ना हजारे को सभी जानते हैं। लेकिन यह जानकारी सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह आज देश की संसद के कुछ दूरी राष्ट्र ध्वज और तख्तियों के साथ जंतर-मंतर पर एक ऐसी मांग के लिए अनशन पर बैठे हैं जिससे हो सकता है देश की तकदीर संवर जाए, भ्रष्टाचार की दीमक का इलाज हो सके। अनशन पर बैठने से पहले हजारे ने कहा, यह दूसरा 'सत्याग्रह' है। मंगलवार को अन्ना का पूरा गांव भूखा था। अन्ना के गांव में नारे गूंज रहे हैं ‘अन्ना हजारे आंधी है...देश का दूसरा गांधी है....। | *छोटी सी कद काठी और हाथ में लाठी लिए आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले अन्ना हजारे को सभी जानते हैं। लेकिन यह जानकारी सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह आज देश की संसद के कुछ दूरी राष्ट्र ध्वज और तख्तियों के साथ जंतर-मंतर पर एक ऐसी मांग के लिए अनशन पर बैठे हैं जिससे हो सकता है देश की तकदीर संवर जाए, भ्रष्टाचार की दीमक का इलाज हो सके। अनशन पर बैठने से पहले हजारे ने कहा, यह दूसरा 'सत्याग्रह' है। मंगलवार को अन्ना का पूरा गांव भूखा था। अन्ना के गांव में नारे गूंज रहे हैं ‘अन्ना हजारे आंधी है...देश का दूसरा गांधी है....। | ||
*वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता | *वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे 1968 से लटक रहे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं और वह अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ चुका है। हजारे के समर्थन में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, स्वामी अग्निवेश, मैगसेसे पुरस्कार विजेता किरन बेदी, संदीप पांडे सहित अन्य लोग शामिल हुए। मीडिया, प्रेस और नेता सबका ध्यान अन्ना हजारे पर है। हमेशा लाइम लाइट से दूर रहने वाले अन्ना हजारे आमरण अनशन पर क्या बैठे कांग्रेस सरकार की तो जैसे नींद ही उड़ गई है। जिस बिल को कल तक सरकार अपने फायदे के लिए लाने की सोच रही थी उसकी असलियत दिखा अन्ना ने जता दिया कि आज भी देश में कुछ लोग हैं जो भारत की चिंता करते हैं। | ||
*कभी अपने जीवन से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और अगर आज उनकी यह मुहिम भी सफल रही तो देश में रामराज आने का संकेत जरुर मिल जाएगा। | *कभी अपने जीवन से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और अगर आज उनकी यह मुहिम भी सफल रही तो देश में रामराज आने का संकेत जरुर मिल जाएगा। | ||
04:45, 8 अप्रैल 2011 का अवतरण
जीवन परिचय
अण्णा हज़ारे
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पूरा नाम | किसन बाबूराव हजारे |
अन्य नाम | अण्णा हज़ारे / अन्ना हजारे |
जन्म | 15 जून, 1938 |
जन्म भूमि | अहमद नगर के भिंगर कस्बे में, महाराष्ट्र |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | *1998 में बीजेपी-शिवसेना वाली सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवाज उठाई थी। *2005 में अन्ना हजारे ने कांगेस सरकार को उसके चार भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए प्रेशर डाला था। *2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त जन लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले। |
पद | गांधीवादी विचारधारा पर चलने वाले एक समाजसेवक |
शिक्षा | मुंबई में सातवीं तक पढ़ाई की। |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
पुरस्कार-उपाधि | 1990 में पद्मश्री से और 1992 में पद्मविभूषण से, 1986 में इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार,1989 में महाराष्ट्र सरकार का कृषि भूषण पुरस्कार, 1986 में विश्व बैंक का 'जित गिल स्मारक पुरस्कार' |
- अण्णा हज़ारे / अन्ना हजारे (Anna Hazare) गांधीवादी विचारधारा पर चलने वाले एक समाजसेवक हैं जो किसी राजनीतिक पार्टी की जगह स्वतंत्र रुप से काम करते हैं। अन्ना हजारे का वास्तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है। 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना हजारे का बचपन बहुत गरीबी में और अभावों भरा गुजरा। पिता मजदूर थे, दादा फौज में थे। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। अन्ना का पुश्तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। उनके परिवार की गरीबी और तंगी का आलम देखकर अन्ना हजारे की बुआ उन्हें अपने साथ मुंबई ले गईं। कुछ समय बाद उनका परिवार भी भिंगर से उनके पुरखों के गाँव रालेगन सिद्धि चला आया था, उनके अलावा उनके परिवार में उनके छः और भाई थे। मुंबई में ही बुआ के साथ रहते हुए उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर और कुछ पैसे कमाने के लिए वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम किया। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया।
- देश भक्ति का जज्बा बचपन से ही उनके सर चढ़कर बोलता था। 1962 में चीन के आकस्मिक आक्रमण से घबराई सरकार ने जब देश के युवाओ का सेना में भर्ती होने के लिए आह्वाहन किया तो अन्ना ने भी साठ के दशक के आसपास में अपने दादा की तरह फौज में भर्ती ली और उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में काम किया। 1965 का भारत-पाक युद्ध भी उन्होंने खेमकरण सेक्टर पर लड़ा था, और उनका मानना है कि यहीं से उनके जीवन परिवर्तन का दौर शुरू हुआ। सीमा पर लड़ते हुए उनके यूनिट के सभी साथी शहीद हो गए और उनके सिर पर गोली लगने से वे भी घायल हो गए थे। यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बाल-बाल बचे थे।
- इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्तक ‘कॉल टू द यूथ फॉर नेशन‘ खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा और उनके शब्दों को अपने जीवन में ढ़ाल लिया। उन्हें इस बात का अहसास था कि आम लोगो की बेहतरी के लिए किया गया प्रयास भगवान् की पूजा-अर्चना के बराबर है। पारिवारिक दायित्वों को देखते हुए उन्होंने 1970 में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने फौज की नौकरी से वीआरएस ले लिया और गांव में आकर बस गए। उसके बाद उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल डाली। और साथ ही अन्ना भ्रष्ट्राचार के ख़िलाफ़ आंदोलन में कूद पडे है।
- अन्ना हजारे का मानना है कि देश की असली ताकत गांवों में है और इसीलिए उन्होंने गांवो में विकास की लहर लाने के लिए मोर्चा खोल दिया। अन्ना हजारे ने सेना से रिटायरमेंट के तुरंत बाद 1975 से सूखा प्रभावित रालेगांव सिद्धि में काम शुरू किया। जहा औसतन सालाना वर्षा 400 से 500 मी. मी. ही होती थी, गाँव में जल संचय के लिए कोई तालाब नहीं थे, उनका गाँव पानी के टैंकरों और पड़ोसी गाँवों से मिले खाद्ययान पर निर्भर रहता था, उन्होंने अपने बलबूते वर्षा जल संग्रह, सौर ऊर्जा, बायो गैस का प्रयोग और पवन ऊर्जा के उपयोग से गांव को स्वावलंबी और समृद्ध बना दिया। यह गांव विश्व के अन्य समुदायों के लिए आदर्श बन गया है।
- उन्होंने अपनी पुस्तैनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। संपत्ति के नाम पर पर बस कपड़ों की कुछ जोड़ियां हैं। कोई बैंक बैलेस नही हैं। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का रामराज है। गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं।
- 1998 में अन्ना हजारे उस समय अत्यधिक चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने बीजेपी-शिवसेना वाली सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवाज उठाई थी। शिवसेना-बीजेपी की सरकार में मंत्री शशिकांत सुतार पर कृषि मंत्रालय में घोटाले का आरोप लगाया, जिसके चलते उन्हे अपनी कुर्सी छोडनी पड़ी। वही उस समय के रोजगार मंत्री महादेव शिवणकर को रोजगार हमी योजना में घोटाले के चलते सरकार से बाहर होना पड़ा। साथ ही में युती के कार्यकाल में मंत्री रही शोभाताई फडणविस को भी भ्रष्ट्राचार के आरोप के चलते अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। 1998 में सामजिक न्यायमंत्री बबनराव घोलप को जमीन घोटाले के चलते इस्तीफ़ा देना पड़ा। वहीं एनसीपी के नबाब मलिक, सुरेश दादा जैन को भी आघाडी सरकार में भ्रष्ट्राचार के आरोपो के चलते ही अपना पद छोडना पड़ा। इतना ही नही शराब बंदी अभियान कॉऑपरेटिव घोटाला जैसे कई अहम भ्रष्टाचार के मुद्दे सामने लाने का श्रेय अन्ना हजारे को जाता है। और इसी तरह 2005 में अन्ना हजारे ने कांगेस सरकार को उसके चार भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए प्रेशर डाला था। अन्ना की कार्यशैली बिलकुला गांधी जी की तरह है जो शांत रहकर भी भ्रष्टाचारियों पर जोरदार प्रहार करती है। वही सूचना अधिकार अभियान में भी अन्ना ने देशभर में कई मुहिमें चलाई, जो इन दिनो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लडने का एक बडा हथियार है।
- अन्ना हजारे की समाजसेवा और समाज कल्याण के कार्य को देखते हुए सरकार ने उन्हें समय समय पर अनेक पुरुष्कारों जिनमे 1990 में पद्मश्री और 1992 में पदम् विभूषण शामिल है, से नवाजा गया। उन्होंने अपने राज्य महाराष्ट्रा में विषम परिस्थितियों में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनेक लडाईया लड़ी और सफल भी हुए। इस 72 साल की उम्र में भी उनका एक ही सपना है - भ्रष्टाचार रहित भारत। जिसके लिए वे देश में एक ऐसी लोकपाल संस्था नियुक्त करने की मांग कर रहे है, जिसमे जनता के प्रतिनिधियों की भी 50 % भागीदारी हो, ताकि देश की ऐसी भ्रष्ट सरकारों पर, जो दिखाने के लिए तो स्वच्छता का मुखौटा पहनते है, मगर कारनामे उनके सब काले है, प्रभावी लगाम लगाईं जा सके।
- पद्मश्री अन्ना हजारे महाराष्ट्र के रालेगाँव में ग्राम स्वराज के अपने अनुभव बांटने वो B. H. U. में आमंत्रित थे। उन्होंने गांधीजी की इस सोच को पुरी मजबूती से उठाया कि 'बलशाली भारत के लिए गाँवों को अपने पैरों पर खड़ा करना होगा।' उनके अनुसार विकास का लाभ समान रूप से वितरित न हो पाने का कारण रहा गाँवों को केन्द्र में न रखना। व्यक्ति निर्माण से ग्राम निर्माण और तब स्वाभाविक ही देश निर्माण के गांधीजी के मन्त्र को उन्होंने हकीकत में उतार कर दिखाया, और एक गाँव से आरम्भ उनका यह अभियान आज 85 गावों तक सफलतापूर्वक जारी है। व्यक्ति निर्माण के लिए मूल मन्त्र देते हुए उन्होंने युवाओं में उत्तम चरित्र, शुद्ध आचार-विचार, निष्कलंक जीवन व त्याग की भावना विकसित करने व निर्भयता को आत्मसात कर आम आदमी की सेवा को आदर्श के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया।
अन्ना हजारे और जन लोकपाल विधेयक
- आज के गांधी के नाम से मशहूर अन्ना हजारे के अनशन से दिल्ली के हुक्मरान दहशत में हैं। इसकी वजह है अन्ना का ट्रैक रिकॉर्ड। अपने गांधीवादी आंदोलन के ज़रिए अन्ना हजारे अब तक महाराष्ट्र के आधा दर्जन मंत्रियों और 420 भ्रष्ट अफ़सरों को कुर्सी से हटवाने में कामयाब हो चुके हैं।
- छोटी सी कद काठी और हाथ में लाठी लिए आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले अन्ना हजारे को सभी जानते हैं। लेकिन यह जानकारी सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह आज देश की संसद के कुछ दूरी राष्ट्र ध्वज और तख्तियों के साथ जंतर-मंतर पर एक ऐसी मांग के लिए अनशन पर बैठे हैं जिससे हो सकता है देश की तकदीर संवर जाए, भ्रष्टाचार की दीमक का इलाज हो सके। अनशन पर बैठने से पहले हजारे ने कहा, यह दूसरा 'सत्याग्रह' है। मंगलवार को अन्ना का पूरा गांव भूखा था। अन्ना के गांव में नारे गूंज रहे हैं ‘अन्ना हजारे आंधी है...देश का दूसरा गांधी है....।
- वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे 1968 से लटक रहे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं और वह अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ चुका है। हजारे के समर्थन में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, स्वामी अग्निवेश, मैगसेसे पुरस्कार विजेता किरन बेदी, संदीप पांडे सहित अन्य लोग शामिल हुए। मीडिया, प्रेस और नेता सबका ध्यान अन्ना हजारे पर है। हमेशा लाइम लाइट से दूर रहने वाले अन्ना हजारे आमरण अनशन पर क्या बैठे कांग्रेस सरकार की तो जैसे नींद ही उड़ गई है। जिस बिल को कल तक सरकार अपने फायदे के लिए लाने की सोच रही थी उसकी असलियत दिखा अन्ना ने जता दिया कि आज भी देश में कुछ लोग हैं जो भारत की चिंता करते हैं।
- कभी अपने जीवन से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और अगर आज उनकी यह मुहिम भी सफल रही तो देश में रामराज आने का संकेत जरुर मिल जाएगा।
वैसा ही पाया तुम्हे ,
जैसा सुना था,
तुम्हारे बारे,
जज्बा कायम रहे सदा,
यही दुआ है खुदा से,
आपकी मुहीम सफल हो,
भ्रष्ठाचार के सागर में
डूबती देश की नैया के,
तुम बने रहो सहारे,
तुम्हे नमन, अन्ना हजारे!
एक और जंग हमको फिर से लडनी होगी,
लोकतंत्र की उचित परिभाषा गढ़नी होगी!
हर हाल, हमको भ्रष्टों से देश बचाना होगा,
स्वावलंबन पथ पे नव-अंधड़ लाना होगा!
दूषण विरुद्ध हमारा बुलंद बिगुल कैसे हो,
बहुत लूटा है देश को इन बत्ती वालों ने,
अब यह सोचो, इनकी बत्ती गुल कैसे हो!!
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