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|हिन्दी=वृद्धि, बढ़ती, बहुत अधिक होने की अवस्था या भाव, अधिकता, प्रचुरता, प्रमुखता, आरंभ, रजोगुण, साहित्य में, एक अलंकार जिसमें किसी वस्तु के किसी गुण या दोष के आगे कई गुणों या दोषों के मंद पड़ने का वर्णन होता है।
|हिन्दी=वृद्धि, बढ़ती, बहुत अधिक होने की अवस्था या भाव, अधिकता, प्रचुरता, प्रमुखता, आरंभ, रजोगुण, साहित्य में, एक अलंकार जिसमें किसी वस्तु के किसी गुण या दोष के आगे कई गुणों या दोषों के मंद पड़ने का वर्णन होता है।
|व्याकरण=पुल्लिंग, धातु
|व्याकरण=पुल्लिंग, धातु
|उदाहरण=[[भक्ति]] का '''उद्रेक''' सत्संग से होता है।  
|उदाहरण=भक्ति का '''उद्रेक''' सत्संग से होता है।  
|विशेष=
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|विलोम=
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10:11, 10 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

शब्द संदर्भ
हिन्दी वृद्धि, बढ़ती, बहुत अधिक होने की अवस्था या भाव, अधिकता, प्रचुरता, प्रमुखता, आरंभ, रजोगुण, साहित्य में, एक अलंकार जिसमें किसी वस्तु के किसी गुण या दोष के आगे कई गुणों या दोषों के मंद पड़ने का वर्णन होता है।
-व्याकरण    पुल्लिंग, धातु
-उदाहरण   भक्ति का उद्रेक सत्संग से होता है।
-विशेष   
-विलोम   
-पर्यायवाची    आरंभिक क्रियाकलाप, इक़दाम, उपाकर्म, तैयारी, पहल, पहला क़दम, पूर्व कर्म, पूर्व रंग प्रारंभ, समारंभ।
संस्कृत उद्+रिच्+घञ्
अन्य ग्रंथ
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