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*भामंडल [[सीता]] के सौंदर्य पर मुग्ध था। भामंडल यह जानकर कि सीता [[राम]] की पत्नी हो गई है, उसने राम पर आक्रमण करने का निश्चय किया। | *भामंडल [[सीता]] के सौंदर्य पर मुग्ध था। भामंडल यह जानकर कि सीता [[राम]] की पत्नी हो गई है, उसने राम पर आक्रमण करने का निश्चय किया। | ||
* | *जब अपनी सेना सहित जाते हुए मार्ग में उसने विदर्भ नगर को देखा तब उसे अपना पूर्व जन्म स्मरण हुआ। उसे याद आया कि पहले जन्म में वह कुंडलमंडित नामक राजा था। | ||
*ब्राह्मण भार्या का अपहरण करने के कारण उसे दुर्गति प्राप्त होनी चाहिए थी, किन्तु श्रमण की कृपादृष्टि से ऐसा न होकर वह सीता के सहोदर के रूप में जन्मा था। उसे उसी सीता के प्रति जाग्रत अपने मन के काम भाव पर बहुत ग्लानि हुई। पूर्वजन्म में जिसकी भार्या का अपहरण किया था, उस जन्म में वही देव विदेही के पास से भामंडल का अपहरण कर लाया था। ये समस्त घटनाएँ उसने अपने पिता को सुनाईं। पिता ने विरक्त होकर प्रव्रज्या ग्रहण की। तदनंतर भामंडल सीता, [[दशरथ]] आदि से मिला। | *[[ब्राह्मण]] भार्या का अपहरण करने के कारण उसे दुर्गति प्राप्त होनी चाहिए थी, किन्तु श्रमण की कृपादृष्टि से ऐसा न होकर वह सीता के सहोदर के रूप में जन्मा था। उसे उसी सीता के प्रति जाग्रत अपने मन के काम भाव पर बहुत ग्लानि हुई। पूर्वजन्म में जिसकी भार्या का अपहरण किया था, उस जन्म में वही देव विदेही के पास से भामंडल का अपहरण कर लाया था। ये समस्त घटनाएँ उसने अपने पिता को सुनाईं। पिता ने विरक्त होकर प्रव्रज्या ग्रहण की। तदनंतर भामंडल सीता, [[दशरथ]] आदि से मिला। | ||
*भामंडल अनेक स्त्रियों से घिरा सोचा करता था कि वृद्धावस्था में योग और ध्यान से अपने समस्त पापों का नाश कर देगा। इस दीर्घसूत्रता (आलस्य) में उसने कुछ भी नहीं किया और वृद्धावस्था में अचानक बिजली के गिरने से मारा गया।<ref>(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-211 | *भामंडल अनेक स्त्रियों से घिरा सोचा करता था कि वृद्धावस्था में योग और ध्यान से अपने समस्त पापों का नाश कर देगा। इस दीर्घसूत्रता (आलस्य) में उसने कुछ भी नहीं किया और वृद्धावस्था में अचानक बिजली के गिरने से मारा गया।<ref>(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-211 | ||
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07:28, 11 अप्रैल 2011 का अवतरण
- भामंडल सीता के सौंदर्य पर मुग्ध था। भामंडल यह जानकर कि सीता राम की पत्नी हो गई है, उसने राम पर आक्रमण करने का निश्चय किया।
- जब अपनी सेना सहित जाते हुए मार्ग में उसने विदर्भ नगर को देखा तब उसे अपना पूर्व जन्म स्मरण हुआ। उसे याद आया कि पहले जन्म में वह कुंडलमंडित नामक राजा था।
- ब्राह्मण भार्या का अपहरण करने के कारण उसे दुर्गति प्राप्त होनी चाहिए थी, किन्तु श्रमण की कृपादृष्टि से ऐसा न होकर वह सीता के सहोदर के रूप में जन्मा था। उसे उसी सीता के प्रति जाग्रत अपने मन के काम भाव पर बहुत ग्लानि हुई। पूर्वजन्म में जिसकी भार्या का अपहरण किया था, उस जन्म में वही देव विदेही के पास से भामंडल का अपहरण कर लाया था। ये समस्त घटनाएँ उसने अपने पिता को सुनाईं। पिता ने विरक्त होकर प्रव्रज्या ग्रहण की। तदनंतर भामंडल सीता, दशरथ आदि से मिला।
- भामंडल अनेक स्त्रियों से घिरा सोचा करता था कि वृद्धावस्था में योग और ध्यान से अपने समस्त पापों का नाश कर देगा। इस दीर्घसूत्रता (आलस्य) में उसने कुछ भी नहीं किया और वृद्धावस्था में अचानक बिजली के गिरने से मारा गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-211