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  • काचार असम प्रदेश का अब एक ज़िला है जिसका सदर मुकाम सिल्चर है।
  • काचार का इतिहास पुराना है, जिसका पता अनेक शताब्दियों पूर्व से चलता है।
  • यहाँ पर अनेक राजा ऐसे हो चुके हैं जो अपने को भीम, पाँच पाण्डवों में से द्वितीय के वंशज होने का दावा करते थे। *ऐतिहासिक काल में यह अधिकतर अहोम राजाओं का अधीनस्थ एवं उनका संरक्षित राज्य रहा है।
  • तत्कालीन शासक राजा गोविन्द चन्द्र की साठगाँठ से 1819 ई. में बर्मियों ने काचार को रौंद डाला था, लेकिन शीघ्र ही अंग्रेज़ों ने बर्मियों को काचार से बाहर निकाल दिया और उन्होंने बदरपुर (मार्च 1824 ई.) की संधि द्वारा गोविन्द चन्द्र को काचार के राजा के रूप में पुन: शासनारूढ़ कर दिया।
  • इसके बदले में गोविन्द चन्द्र ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की सत्ता को स्वीकार कर लिया और दस हज़ार रुपये वार्षिक ख़िराज के रूप में देने को राज़ी हो गया। किन्तु गोविन्द चन्द्र प्रशासन की दुर्व्यवस्था के कारण स्थानीय विद्रोहियों को दबा सकने में विफल रहा और प्रजा को भारी करभार से पीड़ित करने लगा। फलत: 1830 ई. में उसकी हत्या कर दी गई।
  • गोविन्द चन्द्र का कोई उत्तराधिकारी नहीं था, अत: अगस्त 1832 ई. में एक घोषणा के द्वारा काचार को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। तब से काचार निरन्तर भारत का एक भाग है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश' पृष्ठ संख्या-86

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