"पद्मावती (स्थान)": अवतरणों में अंतर
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*[[भवभूति]] ने (मालवी माधव, प्रथम अंक में) इस नगरी के सौंदर्य तथा वैभव विलास का वर्णन किया है। | *[[भवभूति]] ने (मालवी माधव, प्रथम अंक में) इस नगरी के सौंदर्य तथा वैभव विलास का वर्णन किया है। | ||
*इस स्थान को उनकी जन्मस्थली माना जाता | *इस स्थान को उनकी जन्मस्थली माना जाता *यह भवन कई खण्डों का था। | ||
*यह भवन कई खण्डों का था। | |||
*यह भवन राजप्रासाद प्रतीत होता है। | *यह भवन राजप्रासाद प्रतीत होता है। | ||
*गुप्त सम्राट [[समुद्रगुप्त]] की प्रयाग-प्रशास्ति में राजा गणपति नाग का उल्लेख है, जिसे समुद्रगुप्त ने हराकर अपने अधीन कर लिया था। | *गुप्त सम्राट [[समुद्रगुप्त]] की प्रयाग-प्रशास्ति में राजा गणपति नाग का उल्लेख है, जिसे समुद्रगुप्त ने हराकर अपने अधीन कर लिया था। | ||
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*नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं। | *नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं। | ||
*इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है। | *इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है। | ||
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*भारत में इस स्थान के अतिरिक्त केवल [[अहिच्छत्र]] में ही इस प्रकार के विशालकाय भवनों के अवशेष मिले हैं। | *भारत में इस स्थान के अतिरिक्त केवल [[अहिच्छत्र]] में ही इस प्रकार के विशालकाय भवनों के अवशेष मिले हैं। | ||
*लगता है कि ये भवन नाग वास्तुकला के उदाहरण हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानों पर नाग नरेशों का आधिपत्य था। | *लगता है कि ये भवन नाग वास्तुकला के उदाहरण हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानों पर नाग नरेशों का आधिपत्य था। |
10:25, 16 अप्रैल 2011 का अवतरण
- मध्य प्रदेश के ग्वालियर के समीप वर्तमान पद्मपवैया नामक स्थान ही प्राचीन काल का पद्मावती नगर था।
- कुछ विद्वानों के अनुसार यह नगर विदर्भ में सिन्धु एवं पारा (पार्वती) नामक दो नदियों के संगम पर स्थित था।
- इसकी पहचान आधुनिक विजयनगर से की गई है, जो नलपुर या नरवर से 25 मील आगे विद्यानगर का एक भ्रष्ट रूप है।
- भवभूति ने (मालवी माधव, प्रथम अंक में) इस नगरी के सौंदर्य तथा वैभव विलास का वर्णन किया है।
- इस स्थान को उनकी जन्मस्थली माना जाता *यह भवन कई खण्डों का था।
- यह भवन राजप्रासाद प्रतीत होता है।
- गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशास्ति में राजा गणपति नाग का उल्लेख है, जिसे समुद्रगुप्त ने हराकर अपने अधीन कर लिया था।
- विसेंट स्मिथ के अनुसार पद्मावती गणपतिनाग की राजधानी थी।
- पद्मावती तृतीय-चतुर्थ शती में नाग राजाओं की राजधानी थी।
- यहाँ के लोग शिव के अनन्य भक्त थे, वे अपने कन्धों पर शिवलिंग वहन करते थे, अतः उन्हें भारशिव कहा गया।
- नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं।
- इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है।
- यह भवन कई खण्डों का था।
- यह भवन राजप्रासाद प्रतीत होता है।
- भारत में इस स्थान के अतिरिक्त केवल अहिच्छत्र में ही इस प्रकार के विशालकाय भवनों के अवशेष मिले हैं।
- लगता है कि ये भवन नाग वास्तुकला के उदाहरण हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानों पर नाग नरेशों का आधिपत्य था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ