"हड़प्पा लिपि": अवतरणों में अंतर
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हड़प्पा लिपि का सर्वाधिक पुराना नमूना 1853 ई. में मिला था पर स्पष्टतः यह लिपि 1923 तक प्रकाश में आई। [[सिंधु लिपि]] में लगभग 64 मूल चिन्ह एवं 205 से 400 तक अक्षर हैं जो सेलखड़ी की आयताकार मुहरों, तांबे की गुटिकाओं आदि पर मिलते हैं। यह लिपि चित्रात्मक थी। यह लिपि अभी तक गढ़ी नहीं जा सकी है। इस लिपि में प्राप्त सबसे बड़े लेख में क़रीब 17 चिन्ह हैं। [[कालीबंगा]] के उत्खनन से प्राप्त मिट्टी के ठीकरों पर उत्कीर्ण चिन्ह अपने पार्श्ववर्ती दाहिने चिन्ह को काटते हैं। इसी आधार पर 'ब्रजवासी लाल' ने यह निष्कर्ष निकाला है - 'सैंधव लिपि दाहिनी ओर से बायीं ओर को लिखी जाती थी।' <br /> | हड़प्पा लिपि का सर्वाधिक पुराना नमूना 1853 ई. में मिला था पर स्पष्टतः यह लिपि 1923 तक प्रकाश में आई। [[सिंधु लिपि]] में लगभग 64 मूल चिन्ह एवं 205 से 400 तक अक्षर हैं जो सेलखड़ी की आयताकार मुहरों, तांबे की गुटिकाओं आदि पर मिलते हैं। यह लिपि चित्रात्मक थी। यह लिपि अभी तक गढ़ी नहीं जा सकी है। इस लिपि में प्राप्त सबसे बड़े लेख में क़रीब 17 चिन्ह हैं। [[कालीबंगा]] के उत्खनन से प्राप्त मिट्टी के ठीकरों पर उत्कीर्ण चिन्ह अपने पार्श्ववर्ती दाहिने चिन्ह को काटते हैं। इसी आधार पर 'ब्रजवासी लाल' ने यह निष्कर्ष निकाला है - 'सैंधव लिपि दाहिनी ओर से बायीं ओर को लिखी जाती थी।' <br /> | ||
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*यहाँ के बर्तन के ठीकरों पर हड़प्पाई लिपि प्राप्त हुई है, साथ ही तीन विशिष्ट चित्रित भाण्ड व [[ताँबा|ताँबे]] की कलात्मक वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं। | |||
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09:44, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण
हड़प्पा लिपि का सर्वाधिक पुराना नमूना 1853 ई. में मिला था पर स्पष्टतः यह लिपि 1923 तक प्रकाश में आई। सिंधु लिपि में लगभग 64 मूल चिन्ह एवं 205 से 400 तक अक्षर हैं जो सेलखड़ी की आयताकार मुहरों, तांबे की गुटिकाओं आदि पर मिलते हैं। यह लिपि चित्रात्मक थी। यह लिपि अभी तक गढ़ी नहीं जा सकी है। इस लिपि में प्राप्त सबसे बड़े लेख में क़रीब 17 चिन्ह हैं। कालीबंगा के उत्खनन से प्राप्त मिट्टी के ठीकरों पर उत्कीर्ण चिन्ह अपने पार्श्ववर्ती दाहिने चिन्ह को काटते हैं। इसी आधार पर 'ब्रजवासी लाल' ने यह निष्कर्ष निकाला है - 'सैंधव लिपि दाहिनी ओर से बायीं ओर को लिखी जाती थी।'
- पडरी
मुख्य लेख : पडरी
- पडरी गुजरात के भावनगर ज़िले में स्थित है।
- यहाँ के बर्तन के ठीकरों पर हड़प्पाई लिपि प्राप्त हुई है, साथ ही तीन विशिष्ट चित्रित भाण्ड व ताँबे की कलात्मक वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं।
{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें सिन्धु लिपि