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*[[मराठा]] राज्य के संस्थापक [[शिवाजी]] के आठ मंत्रियों की परिषद थी, जो प्रशासन को चलाने में उनकी सहायता करती थी। परिषद का कार्य केवल सलाह देना था और उसे उत्तरदायी मंत्रिपरिषद नहीं कहा जा सकता।
*'''अष्टप्रधान''' [[मराठा]] राज्य के संस्थापक [[शिवाजी]] के आठ मंत्रियों की परिषद थी।
 
*यह प्रशासन को चलाने में मराठा साम्राज्य की सहायता करती थी।
*अष्टप्रधान में निम्नलिखित की गणना की जाती थी-
*इस परिषद का कार्य केवल सलाह देना था और उसे उत्तरदायी मंत्रिपरिषद नहीं कहा जा सकता था।
:(1) [[पेशवा]] अथवा प्रधानमंत्री, जो सामान्य रीति से राज्य के हितों पर दृष्टि रखा था
*अष्टप्रधान परिषद में निम्नलिखित मंत्रियों की गणना की जाती थी-
:(2) [[अमात्य]], वित्त विभाग का प्रधान होता था
#[[पेशवा]] अथवा प्रधानमंत्री- जो सामान्य रीति से राज्य के हितों पर दृष्टि रखा था।
:(3) मंत्री, राजा के सैनिक कार्यों और दरबार की कार्यवाहियों का लेखा रखता था
#[[अमात्य]]- वित्त विभाग का प्रधान होता था।
:(4) सचिव, राजकीय पत्र व्यवहार का अधीक्षक था
#मंत्री- राजा के सैनिक कार्यों और दरबार की कार्यवाहियों का लेखा रखता था।
:(5) सामन्त, वैदेशिक मामलों की देखरेख करता था
#सचिव- राजकीय पत्र व्यवहार का अधीक्षक था।
:(6) सेनापति
#सामन्त- वैदेशिक मामलों की देखरेख करता था।
:(7) पंडितराव और दानाध्यक्ष राजा का पुरोहित होता था, जो दान की व्यवस्था करता था
#सेनापति- सेना का नेतृत्व करता था।
:(8) न्यायाधीश अथवा शास्त्री, जो हिन्दू न्याय की व्याख्या करता था।
#पंडितराव और दानाध्यक्ष राजा का पुरोहित होता था, जो दान की व्यवस्था करता था।
 
#न्यायाधीश अथवा शास्त्री, जो [[हिन्दू]] न्याय की व्याख्या करता था।
*पंडितराव और शास्त्री को छोड़कर अष्टप्रधान में शामिल सभी मंत्री भी होते थे और उनके विभागों से सम्बन्धित मुल्की प्रशासन का कार्य राजधानी में रहने वाले उनके सहायक करते थे।
*पंडितराव और शास्त्री को छोड़कर अष्टप्रधान में शामिल सभी मंत्री भी होते थे और उनके विभागों से सम्बन्धित मुल्की प्रशासन का कार्य राजधानी में रहने वाले उनके सहायक करते थे।


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09:48, 23 अप्रैल 2011 का अवतरण

  • अष्टप्रधान मराठा राज्य के संस्थापक शिवाजी के आठ मंत्रियों की परिषद थी।
  • यह प्रशासन को चलाने में मराठा साम्राज्य की सहायता करती थी।
  • इस परिषद का कार्य केवल सलाह देना था और उसे उत्तरदायी मंत्रिपरिषद नहीं कहा जा सकता था।
  • अष्टप्रधान परिषद में निम्नलिखित मंत्रियों की गणना की जाती थी-
  1. पेशवा अथवा प्रधानमंत्री- जो सामान्य रीति से राज्य के हितों पर दृष्टि रखा था।
  2. अमात्य- वित्त विभाग का प्रधान होता था।
  3. मंत्री- राजा के सैनिक कार्यों और दरबार की कार्यवाहियों का लेखा रखता था।
  4. सचिव- राजकीय पत्र व्यवहार का अधीक्षक था।
  5. सामन्त- वैदेशिक मामलों की देखरेख करता था।
  6. सेनापति- सेना का नेतृत्व करता था।
  7. पंडितराव और दानाध्यक्ष राजा का पुरोहित होता था, जो दान की व्यवस्था करता था।
  8. न्यायाधीश अथवा शास्त्री, जो हिन्दू न्याय की व्याख्या करता था।
  • पंडितराव और शास्त्री को छोड़कर अष्टप्रधान में शामिल सभी मंत्री भी होते थे और उनके विभागों से सम्बन्धित मुल्की प्रशासन का कार्य राजधानी में रहने वाले उनके सहायक करते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ