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'''गोविंददास / Govind Das'''<br />
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वल्ल्भ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री [[कृष्ण]] की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। गोविंद दास जी का एक पद
वल्ल्भ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होंने भगवान श्री [[कृष्ण]] की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। गोविंद दास जी का एक पद


<blockquote>श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो । इन बिन और कछु नही भावे, इन चरनन को चेरो ॥1॥ <br />
<blockquote>श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो । इन बिन और कछु नही भावे, इन चरनन को चेरो ॥1॥ <br />

14:25, 20 अप्रैल 2010 का अवतरण

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गोविंददास / Govind Das

वल्ल्भ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक । जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। गोविंद दास जी का एक पद

श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो । इन बिन और कछु नही भावे, इन चरनन को चेरो ॥1॥
इन छोड और जो ध्यावे सो मूरख घनेरो । गोविन्द दास यह निश्चय करि सोहि ज्ञान भलेरो ॥2॥