"जॉनी वॉकर": अवतरणों में अंतर
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जॉनी वॉकर की शादी नूरजहाँ से हुई थी। इन दोनों की मुलाकात [[1955]] में गुरुदत्त की फ़िल्म मिस्टर एंड मिसेज़ 55 के सेट पर हुई। जॉनी वॉकर और नूर के तीन बेटियाँ है: कौसर, तसनीम, फ़िरदौस और तीन बेटे है: नाज़िम, कज़िम और नासिर। नासिर एक प्रसिद्ध फ़िल्म और टीवी [[अभिनेता]] है। जॉनी वॉकर एक विनम्र आदमी थे। | जॉनी वॉकर की शादी नूरजहाँ से हुई थी। इन दोनों की मुलाकात [[1955]] में गुरुदत्त की फ़िल्म मिस्टर एंड मिसेज़ 55 के सेट पर हुई। जॉनी वॉकर और नूर के तीन बेटियाँ है: कौसर, तसनीम, फ़िरदौस और तीन बेटे है: नाज़िम, कज़िम और नासिर। नासिर एक प्रसिद्ध फ़िल्म और टीवी [[अभिनेता]] है। जॉनी वॉकर एक विनम्र आदमी थे। | ||
==जिन्दगी की शुरूआत== | ==जिन्दगी की शुरूआत== | ||
जिन्दगी की शुरूआत उन्होंने बस कंडक्टर के रूप में की। बस में यात्रियों से मजाकिया बातें करना उनका शगल था, जिसने बलराज साहनी को आकर्षित किया। बलराज साहनी ने इन्हें गुरु दत्त से मिलवाया और संवेदना और हास्य के दो शिखर एक हो गए, जिसने हिंदी सिनेमा के लिए नई परिभाषाएं गढ़ीं। | |||
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'बाजी', 'आर-पार' ', मिस्टर एंड मिसेज 55', 'सीआईडी', 'कागज के फूल', 'प्यासा' जैसी गुरु दत्त की फ़िल्मों की एक समानांतर पहचान बने जॉनी वॉकर। 'चोरी-चोरी', 'नया दौर', 'मधुमति', 'मेरे महबूब', 'आनंद' आदि फ़िल्मों में जॉनी वॉकर मीठी फुहार की तरह राहत देने आते थे, जब दर्शकों को फ़िल्म की गंभीरता से उबरना मुश्किल लगने लगता था। जॉनी वॉकर के अभिनय में इतनी ऊंचाई थी कि आमतौर पर हल्की-फुल्की मनोरंजक फ़िल्मों की जगह गंभीर फ़िल्मों की गंभीरता के बर्फ को तोड़ने की जवाबदेही मिली। हैरानी नहीं कि बरसों बाद भी कमल हासन के साथ जब वह 'चाची 420' में दिखे तो उतने ही जीवंत, उतने ही ताजा दम थे।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8132447.cms |title=जॉनी वॉकर |accessmonthday=[[5 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=नवभारत टाइम्स |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | |||
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*[[1959]] फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार - मधुमती | *[[1959]] फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार - मधुमती |
13:10, 5 मई 2011 का अवतरण
जॉनी वॉकर
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[[चित्र:|जॉनी वॉकर|200px|center]]
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पूरा नाम | बहरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी |
जन्म | 15 मई 1923 |
जन्म भूमि | इन्दौर, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 29 जुलाई 2003 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | नूरजहाँ |
संतान | कौसर, तसनीम, फ़िरदौस, नाज़िम, कज़िम और नासिर |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता, निर्माता, गायक |
पुरस्कार-उपाधि | 1959 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार(मधुमती) |
प्रसिद्धि | हास्य अभिनेता |
नागरिकता | भारतीय |
जॉनी वॉकर (जन्म: 15 मई 1923, इन्दौर-मध्य प्रदेश - निधन: 29 जुलाई 2003, मुम्बई-महाराष्ट्र) भारत के एक सुप्रसिद्ध हास्य अभिनेता का नाम है, इनका असली नाम बहरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी था। अपना नाम उन्होंने विस्की के एक लोकप्रिय ब्रैंड से उधार लिया था। लेकिन बाद में यह तय करना मुश्किल हो गया था कि दोनों में ज्यादा लोकप्रिय कौन है?
पारिवारिक जीवन
जॉनी वॉकर की शादी नूरजहाँ से हुई थी। इन दोनों की मुलाकात 1955 में गुरुदत्त की फ़िल्म मिस्टर एंड मिसेज़ 55 के सेट पर हुई। जॉनी वॉकर और नूर के तीन बेटियाँ है: कौसर, तसनीम, फ़िरदौस और तीन बेटे है: नाज़िम, कज़िम और नासिर। नासिर एक प्रसिद्ध फ़िल्म और टीवी अभिनेता है। जॉनी वॉकर एक विनम्र आदमी थे।
जिन्दगी की शुरूआत
जिन्दगी की शुरूआत उन्होंने बस कंडक्टर के रूप में की। बस में यात्रियों से मजाकिया बातें करना उनका शगल था, जिसने बलराज साहनी को आकर्षित किया। बलराज साहनी ने इन्हें गुरु दत्त से मिलवाया और संवेदना और हास्य के दो शिखर एक हो गए, जिसने हिंदी सिनेमा के लिए नई परिभाषाएं गढ़ीं।
सफलता
'बाजी', 'आर-पार' ', मिस्टर एंड मिसेज 55', 'सीआईडी', 'कागज के फूल', 'प्यासा' जैसी गुरु दत्त की फ़िल्मों की एक समानांतर पहचान बने जॉनी वॉकर। 'चोरी-चोरी', 'नया दौर', 'मधुमति', 'मेरे महबूब', 'आनंद' आदि फ़िल्मों में जॉनी वॉकर मीठी फुहार की तरह राहत देने आते थे, जब दर्शकों को फ़िल्म की गंभीरता से उबरना मुश्किल लगने लगता था। जॉनी वॉकर के अभिनय में इतनी ऊंचाई थी कि आमतौर पर हल्की-फुल्की मनोरंजक फ़िल्मों की जगह गंभीर फ़िल्मों की गंभीरता के बर्फ को तोड़ने की जवाबदेही मिली। हैरानी नहीं कि बरसों बाद भी कमल हासन के साथ जब वह 'चाची 420' में दिखे तो उतने ही जीवंत, उतने ही ताजा दम थे।[1]
पुरस्कार
- 1959 फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार - मधुमती
- फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - शिकार
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