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| +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] | | +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] |
| ||[[चित्र:RamChandraShukla.jpg|150px|right|रामचन्द्र शुक्ल]] रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन 1884 ई. में हुआ था। सन 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]] | | ||[[चित्र:RamChandraShukla.jpg|150px|right|रामचन्द्र शुक्ल]] रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन 1884 ई. में हुआ था। सन 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]] |
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| {'पंच परमेश्वर' के लेखक हैं-
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| -[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
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| +[[प्रेमचन्द]]
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| -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
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| -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| || [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
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| {'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि हैं-
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| -सुभद्रा कुमारी चौहान
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| +[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]
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| -[[माखन लाल चतुर्वेदी]]
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| || [[चित्र:Suryakant Tripathi Nirala.jpg|सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|100px|right]] [[हिन्दी]] के छायावादी कवियों में 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक कवि, [[उपन्यासकार]], निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने कई रेखाचित्र भी बनाये। उनका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रान्तिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
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| {'हार की जीत' (कहानी) के कहानीकार हैं-
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| |type="()"}
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| +सुदर्शन
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| -यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'
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| -कमलेश्वर
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| -रांगेय राघव
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| {'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं-
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| -वृन्दावन लाल वर्मा
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| -किशोरी लाल गोस्वामी
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| +[[इंशा अल्ला ख़ाँ]]
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| -माधव राव सप्रे
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| {'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं-
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| |type="()"}
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| -बाबू तोता राम
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| -केशव राम भट्ट
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| +बाल मुकुन्द गुप्त
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| -अम्बिका दत्त व्यास
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| {'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| +[[केशवदास]]
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| -मलूक दास
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| -[[दादू दयाल]]
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| -[[बिहारी लाल]]
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| {'कुटज' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -शांति प्रिय द्विवेदी
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| +[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| -विद्या निवास मिश्र
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| -कुबेरनाथ राय
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| || [[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी|100px|right]] डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| {मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
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| |type="()"}
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| -[[दादू दयाल]]
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| -[[रैदास]]
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| +[[कबीरदास]]
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| -सुन्दर दास
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| {'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -[[सूरदास]]
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| -[[बिहारीलाल]]
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| -[[कबीर]]
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| +[[रहीम]]
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| || [[चित्र:Abdul-Rahim.jpg|अब्दुर्रहीम खां|60px|right]] [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध कवि अब्दुर्रहीम ख़ां का जन्म [[17 दिसम्बर]], 1556 ई. में हुआ था। [[अकबर]] के दरबार में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान था। [[गुजरात]] के युद्ध में शौर्य प्रदर्शन के कारण अकबर ने इन्हें 'ख़ानखाना' की उपाधि दी थी। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रहीम]]
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| {'जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -[[रसखान]]
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| +[[तुलसीदास]]
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| -[[बिहारीलाल]]
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| -[[कबीर]]
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| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
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