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| - डांडिया | | - डांडिया |
| ||[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|80px|right|कथकली नृत्य]] [[शास्त्रीय नृत्य]] कथकली का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि, इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव-भाव की उच्च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति होती है, जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव-भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[कथकली]] | | ||[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|80px|right|कथकली नृत्य]] [[शास्त्रीय नृत्य]] कथकली का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि, इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव-भाव की उच्च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति होती है, जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव-भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[कथकली]] |
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| { निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र कौन-सा है?
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| - [[सितार]]
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| - [[तबला]]
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| - सरोद
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| + वीणा
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| { निम्नलिखित में से कौन-सा वाद्ययंत्र बिना तार का है?
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| - गिटार
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| - सितार
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| + ट्रम्पेट
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| - वायलिन
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| { [[अमीर ख़ुसरो]] का नाम किस वाद्ययंत्र के आविष्कार से जुड़ा हुआ है?
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| |type="()"}
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| + [[सितार]]
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| - [[तबला]]
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| - शहनाई
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| - सरोद
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| ||[[चित्र:Sitar.jpg|80px|सितार|right]]सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[सितार]]
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| { [[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] किस वाद्ययंत्र को बहुत ही कुशलता से बजाता था?
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| - वीणा
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| - पखावज
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| - सितार
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| + नक्कारा
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| { उस्ताद [[बिस्मिल्ला ख़ाँ]] किस वाद्ययंत्र को बजाते थे?
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| |type="()"}
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| - [[बाँसुरी]]
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| - [[तबला]]
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| + शहनाई
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| - सरोद
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| { अमजद अली ख़ान किस वाद्ययंत्र से सम्बद्ध हैं?
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| - तबला
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| + सरोद
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| - [[सितार]]
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| - वायलिन
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| { विलायत ख़ान किस वाद्ययंत्र से सम्बन्ध रखते हैं?
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| - सरोद
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| + सितार
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| - शहनाई
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| - वीणा
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| ||[[चित्र:Sitar.jpg|80px|सितार|right]]सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[सितार]]
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| { नीरू स्वामी पिल्लई किस वाद्ययंत्र से सम्बन्धित हैं?
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| |type="()"}
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| - वायलिन से
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| - वीणा से
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| + नादस्वरम् से
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| - [[तबला]] से
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| { 'एस. बालचन्द्रन' किस वाद्ययंत्र से सम्बन्धित हैं?
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| |type="()"}
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| - [[सितार]] से
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| - संतूर से
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| + वीणा से
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| - सारंगी से
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| { 'हरिप्रसाद चौरसिया' ने किस क्षेत्र में प्रसिद्धि अर्जित की है?
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| |type="()"}
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| - गिराट वादन
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| - पखावज वादन
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| + [[बाँसुरी]] वादन
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| - मृदंग वादन
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| ||[[चित्र:Bansuri.jpg|80px|right|बाँसुरी]] बाँसुरी की बजाने की तकनीक कलाएं समृद्ध ही नहीं, उस की किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, जैसे मोटी लम्बी बांसुरी, पतली नाटी बांसुरी, सात छेदों वाली बांसुरी और ग्यारह छेदों वाली बांसुरी आदि देखने को मिलते हैं और उस की बजाने की शैली भी भिन्न रूपों में पायी जाती है। बाँसुरी, वंसी, वेणु, वंशिका आदि कई सुंदर नामो से सुसज्जित है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:-[[बाँसुरी]]
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