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भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | ||
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {'ग्रांड बैंक' कहाँ स्थित है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -प्रशांत महासागर | ||
-[[ | -[[हिन्द महासागर]] | ||
-[[बंगाल की खाड़ी]] | |||
-[[ | +अटलांटिक महासागर | ||
{ | {[[भारत]] का प्राचीनतम वलित पर्वत कौनसा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +[[अरावली पर्वतमाला]] | ||
- | -[[एरामला पर्वतमाला]] | ||
- | -[[कराकोरम पर्वतश्रेणी]] | ||
-[[विन्ध्याचल पर्वत]] | |||
||अरावली उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। [[राजस्थान]] राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ [[दिल्ली]] के दक्षिण हिस्से तक चली गईं हैं। शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अरावली पर्वतमाला]] | |||
{ | {[[भारत]] का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र कौन-सा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[धनबाद]] | |||
+झरिया | |||
-[[छत्तीसगढ़]] | |||
-[[उत्तर प्रदेश]] | |||
- | |||
-[[ | |||
{ | {[[भारत]] में मैग्रोव वनस्पति विस्तृत रूप में कहाँ पाई जाती है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +[[सुन्दरवन]] | ||
- | -गिरिवन | ||
- | -चंदनवन | ||
- | -निधिवन | ||
{[[ | {[[भारत]] में प्रथम जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र कौन-सा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +[[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरी]] | ||
- | -[[जम्मू और कश्मीर|जम्मू-कश्मीर]] | ||
- | -[[छत्तीसगढ़]] | ||
- | -[[झारखंड]] | ||
||[[चित्र:Nilgiri-Hills.jpg|120px|right|नीलगिरि पहाड़ियाँ, तमिलनाडु]]नीलगिरि पहाड़ियाँ, [[तमिलनाडु]] राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है, जो दक्षिणी [[भारत]] में स्थित हैं। नीलगिरि की चोटियाँ आसपास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती हैं; इनमें से एक चोटी 'डोडाबेट्टा', जिसकी ऊँचाई 2,637 के लगभग है, तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दु है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नीलगिरि पहाड़ियाँ]] | |||
{ | {प्राचीन भारतीय भौगोलिक मान्यता के अनुसार भारतवर्ष किस द्वीप का खण्ड था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पुष्कर द्वीप | |||
+जम्बूद्वीप | |||
-क्रौंचद्वीप | |||
-कुशद्वीप | |||
{[[ | {[[1992]]-[[1993]] में किसकी उपज इतनी प्रचुर मात्रा में हुई कि उसे एक कीर्तिमान माना गया? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[चावल]] | ||
- | -[[गन्ना]] | ||
- | +दलहन | ||
-तिलहन | |||
{ | {'नेयवली ताप विद्युत संयंत्र' का भरण किससे किया जाता हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -गोंडवाना कोयला से | ||
+ | +तृतीयक कोयला से | ||
- | -चतुर्थक कोयला से | ||
- | -कैम्ब्रियन कोयला से | ||
{ | {[[भारत]] में सबसे कम वर्षा वाला स्थान है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +[[लेह]] | ||
-[[ | -[[बीकानेर]] | ||
-[[जैसलमेर]] | -[[जैसलमेर]] | ||
- | -चेरापूंजी | ||
||[[चित्र:Thiksey-Gompa-Ladakh.jpg|120px|right|थिक्सेय गोम्पा, लेह]] लेह नगर, पूर्वी [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य के उत्तरी [[भारत]] में स्थित है। यह नगर 3,520 मीटर की ऊँचाई तक उठे अत्तुंग पर्वतीय क्षेत्र पर स्थित है, जिसे 'दुनिया की छत' कहा जाता है। इसके चारों ओर इससे अधिक ऊँचे पर्वतों का घेरा है। लेह स्थायी आबादी वाले दुनिया के सबसे ऊँचे नगरों में से एक है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लेह]] | |||
{[[ | {[[भारत]] में जनसंख्या घनत्त्व की दृष्टि से सबसे विरल प्रदेश कौन-सा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[केरल]] | ||
-[[ | -[[बिहार]] | ||
-[[राजस्थान]] | |||
+[[जम्मू और कश्मीर|जम्मू-कश्मीर]] | |||
||[[चित्र: | ||[[चित्र:Dal-Lake-Srinagar.jpg|120px|right|डल झील, श्रीनगर]]एक भारतीय राज्य, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वतश्रेणियों के निकट स्थित है। पहले यह [[भारत]] की बड़ी रियासतों में से एक था। यह पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व [[तिब्बत|तिब्बती]] स्वायत्त क्षेत्र (दोनों [[चीन]] के भाग) से, दक्षिण में [[हिमाचल प्रदेश]] व [[पंजाब]] राज्यों से, पश्चिम में [[पाकिस्तान]] और पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान अधिकृत भू-भाग से घिरा है। जम्मू-कश्मीर राज्य के पश्चिम मध्य हिस्से के पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में [[देवसई पर्वत]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू और कश्मीर]] | ||
{ | {[[माउण्ट एवरेस्ट]] पर्वत किन दो देशों की सीमा बनाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | +[[नेपाल]] और [[चीन]] | ||
-[[सिक्किम]] और [[नेपाल]] | |||
-[[ | -[[नेपाल]] और [[भूटान]] | ||
-[[ | -[[भारत]] और [[पाकिस्तान]] | ||
||[[ | ||[[मिथिला]] के शासक 'नान्यदेव' ने [[नेपाल]] पर अपनी नाममात्र की प्रभुता स्थापित कर ली। यक्षमल्ल ने मृत्यु के पूर्व ही राज्य का बंटवारा अपने पुत्रों और पुत्रियों में कर दिया था। इस विभाजन के फलस्वरूप नेपाल, 'काठमांडू' तथा 'भातगाँव' के दो परस्पर प्रतिद्वन्द्वि राज्यों में बँट गया। इन झगड़ों का लाभ उठाकर पश्चिमी [[हिमालय]] के प्रदेशों में बसने वाली [[गोरखा|गोरखा जाति]] ने 1768 ई. में नेपाल पर अधिकार कर लिया। शनैः शनैः गोरखाओं ने अपनी सैनिक शक्ति में बुद्धि कर नेपाल को एक शक्तिशाली राज्य बना दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नेपाल]] | ||
||[[भारत]] और [[चीन]] के विदेशमंत्रियों ने भी क्रमशः जून, [[2008]] और सितंबर, 2008 में एक-दूसरे देश की यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान 'गुवान्झू' और [[कोलकाता]] में नए महावाणिज्य दूतावासों का औपचारिक रूप से विमोचन किया गया। आपसी व्यापार 2008 में 51.8 अरब अमरीकी डॉलर पर पहुँच गया, जो दोनों [[प्रधानमंत्री|प्रधानमंत्रियों]] द्वारा 2010 के लिए तय किए गए 60 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य के लक्ष्य के क़्ररीब है। रक्षा संबंधों के क्षेत्र में सहयोग और आदान-प्रदान भी जारी रहा। इसके अंतर्गत दिसंबर, 2008 में भारत में दूसरा सयुक्त सैन्य अभ्यास और दूसरी वार्षिक रक्षा वार्ता आयोजित की गई। भारत-[[चीन]] सीमा विवाद के बारे में 12 वें दौर के विचार-विमर्श के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक सितबंर, 2008 में हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चीन]] | |||
{ | {सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) कहाँ से कहाँ तक है ? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | -[[कश्मीर]] से [[कन्याकुमारी]] तक | ||
- | -[[दिल्ली]] से [[कोलकाता]] तक | ||
- | +[[वाराणसी]] से [[कन्याकुमारी]] तक | ||
- | -[[दिल्ली]] से [[मुंबई]] तक | ||
||[[चित्र:Ganga-River-Varanasi.jpg|right|गंगा नदी, वाराणसी|120px]] [[गंगा नदी]] के तट पर बसे इस शहर को ही भगवान [[शिव]] ने पृथ्वी पर अपना स्थायी निवास बनाया था। यह भी माना जाता है कि [[वाराणसी]] का निर्माण सृष्टि रचना के प्रारम्भिक चरण में ही हुआ था। यह शहर प्रथम ज्योर्तिलिंग का भी शहर है। [[पुराण|पुराणों]] में वाराणसी को ब्रह्मांड का केंद्र बताया गया है तथा यह भी कहा गया है, कि यहाँ के कण-कण में शिव निवास करते हैं। वाराणसी के लोगों के अनुसार, [[काशी]] के कण-कण में शिवशंकर हैं। इनके कहने का अर्थ यह है कि यहाँ के प्रत्येक पत्थर में शिव का निवास है। कहते हैं कि काशी शंकर भगवान के त्रिशूल पर टिकी है। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[वाराणसी]] | |||
||[[चित्र:Kanyakumari-Temple.jpg|120px|right|कन्याकुमारी मंदिर, कन्याकुमारी]]यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]], पश्चिम में [[अरब सागर]] एवं दक्षिण में [[हिंद महासागर]] है। यहाँ आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के संगम की इस दिव्यभूमि पर मां भगवती देवी कुमारी के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को एलेक्जेंड्रिया ऑफ़ ईस्ट की उपमा से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है। यहाँ पहुंच कर लगता है मानो पूर्व में सभ्यता की शुरूआत यहीं से हुई होगी। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इस स्थल को केप कोमोरिन कहा था। [[तिरुअनंतपुरम]] के बेहद निकट होने के कारण सामान्यत: समझा जाता है कि यह शहर [[केरल]] राज्य में स्थित है, लेकिन [[कन्याकुमारी]] वास्तव में [[तमिलनाडु]] राज्य का एक ख़ास पर्यटन स्थल है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कन्याकुमारी]] | |||
{' | {[[राजस्थान]] की 'इंदिरा गाँधी नहर' किस नदी से निकाली गयी है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[गंगा नदी|गंगा]] और [[यमुना नदी|यमुना]] से | ||
- | +[[सतलुज नदी|सतलज]] से [[व्यास नदी|व्यास]] से | ||
- | -गंगा और [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] से | ||
-[[वरुणा नदी|वरुणा]] और [[असि नदी|असि]] से | |||
||[[चित्र:Satluj-River.jpg|120px|right|[[सतलुज नदी]]]] सतलुज उत्तरी [[भारत]] में बहने वाली एक नदी है, जो 'सदानीरा' (हर मौसम में बहती है) है, और जिसकी लम्बाई [[पंजाब]] में बहने वाली पाँचों नदियों में सबसे अधिक है। यह [[पाकिस्तान]] में होकर बहती है। [[ऋग्वेद]] के नदीसूक्त में इसे शुतुद्रि कहा गया है। वैदिक काल में [[सरस्वती नदी]] 'शुतुद्रि' में ही मिलती थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सतलुज नदी]] | |||
||[[चित्र:Byas-River.jpg|120px|right|[[व्यास नदी]], [[मनाली हिमाचल प्रदेश|मनाली]]]] व्यास नदी [[पंजाब]] [[हिमाचल प्रदेश]] में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। [[पंजाब]] की पांच प्रमुख नदियों में से एक है। इसका उल्लेख [[ॠग्वेद]] में केवल एक बार है। [[वाल्मीकि रामायण]] में [[अयोध्या]] के दूतों की केकय देश की यात्रा के प्रसंग में विपाशा (वैदिक नाम विपाश) को पार करने का उल्लेख है|{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[व्यास नदी]] | |||
{ | {निम्न कथनों में से कौन-सा कथन सही है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -लघु ज्वार-भाटा केवल [[अमावस्या|अमावस]] को आते हैं। | ||
-[[ | +बृहत ज्वार-भाटा [[पूर्णिमा]] को आते हैं। | ||
-खाड़ियों में ज्वार-भाटा नहीं आते। | |||
-[[ | -[[भारत]] के पश्चिम तट में दिन में पाँच बार ज्वार-भाटा आते हैं। | ||
||[[ | ||[[सूर्य ग्रह|सूर्य]] से [[चंद्र ग्रह|चन्द्र]] का अन्तर जब 169° से 180° तक होता है, तब [[शुक्ल पक्ष]] की पूर्णिमा रहती है। पूर्णिमा [[पंचांग]] के अनुसार पंद्रहवीं और शुक्ल पक्ष की अन्तिम तिथि है। पूर्णिमा ही वह तिथि है, जब समुद्रीय ज्वार-भाटा अपने चरम पर होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पूर्णिमा]] | ||
{[[भारत]] में [[जस्ता|जस्ते]] का अधिकतम उत्पादक क्षेत्र कौन-सा है? | {[[भारत]] में [[जस्ता|जस्ते]] का अधिकतम उत्पादक क्षेत्र कौन-सा है? | ||
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||[[चित्र:City-Palace-Udaipur.jpg|right|120px|सिटी पैलेस, उदयपुर]]राजस्थान [[भारत]] का एक प्रान्त है। यहाँ की राजधानी [[जयपुर]] है। राजस्थान भारत गणराज्य के क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में [[पाकिस्तान]], दक्षिण-पश्चिम में [[गुजरात]], दक्षिण-पूर्व में [[मध्य प्रदेश]], उत्तर में [[पंजाब]], उत्तर-पूर्व में [[उत्तर प्रदेश]] और [[हरियाणा]] है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि.मी. (1,32,139 वर्ग मील) है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरूस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]] | ||[[चित्र:City-Palace-Udaipur.jpg|right|120px|सिटी पैलेस, उदयपुर]]राजस्थान [[भारत]] का एक प्रान्त है। यहाँ की राजधानी [[जयपुर]] है। राजस्थान भारत गणराज्य के क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में [[पाकिस्तान]], दक्षिण-पश्चिम में [[गुजरात]], दक्षिण-पूर्व में [[मध्य प्रदेश]], उत्तर में [[पंजाब]], उत्तर-पूर्व में [[उत्तर प्रदेश]] और [[हरियाणा]] है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि.मी. (1,32,139 वर्ग मील) है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरूस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]] | ||
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11:10, 17 मई 2011 का अवतरण
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