"अरुण यह मधुमय देश हमारा": अवतरणों में अंतर
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13:17, 24 मई 2011 का अवतरण
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यह गीत प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध संदर्भ "भारत महिमा" से लिया गया है।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।
सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।
लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।
बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।
हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अरुण यह मधुमय देश हमारा / जयशंकर प्रसाद (हिन्दी) कविता कोश। अभिगमन तिथि: 24 मई, 2011।