"एच. सी. दासप्पा": अवतरणों में अंतर

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13:56, 2 जून 2011 का अवतरण

एच. सी. दासप्पा, जिनका पूरा नाम "हिराली चनया दासप्पा" था, का स्वतंत्रता संग्राम और देश के नव-निर्माण में समान योगदान रहा है। दासप्पा का जन्म 5 दिसम्बर, 1894 ई. को मैसूर रियासत के 'मेराकारा' नामक स्थान में हुआ था। उन्होंने मुम्बई से क़ानून की शिक्षा प्राप्त की और वकालत करने लगे। साथ ही सार्वजनिक कार्यों में भी रुचि लेना आरम्भ किया।

कांग्रेस में प्रवेश

दासप्पा देशी रियासत में जन-जागृति के लिए गठित ‘प्रजापक्ष’ नामक दल में सम्मिलित हो गए और 1927 से 1938 तक मैसूर असेम्बली के सदस्य रहे। दासप्पा की पत्नी 'यशोधरम्मा' गांधीजी के विचारों से बहुत प्रभावित थीं। स्वतंत्रता के बाद वे मैसूर राज्य में समाज कल्याण मंत्री भी रहीं। पत्नी के प्रभाव से दासप्पा कांग्रेस में सम्मिलित हो गए और ‘प्रजापक्ष’ का भी कांग्रेस में विलय हो गया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया और ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के सहित चार बार जेल की सज़ा भोगी। उनकी इन गतिविधियों के कारण मैसूर सरकार ने उनकी वकालत पर रोक लगा दी।

विभिन्न मंत्री पद

स्वतंत्रता के बाद दासप्पा मैसूर मंत्रिमण्डल में वित्त और उद्योग मंत्री रहे। इस पद रहते हुए उन्होंने बंगलौर के औद्योगीकरण को बहुत प्रोत्साहित किया। 1954 में दासप्पा राज्यसभा के और 1957 तथा 1962 में लोकसभा के सदस्य चुने गए। 1963 में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमण्डल में रेल मंत्री का पद सम्भाला। शास्त्रीजी के मंत्रिमण्डल में वे पहले सिंचाई और ऊर्जा मंत्री रहे थे, फिर उद्योग और आपूर्ति मंत्री रहे।

प्रशंसनीय कार्य

दासप्पा ने देश के प्रतिनिधि के रूप में अनेक देशों की यात्राएँ कीं। गांधीजी के रचनात्मक कामों के प्रति दासप्पा की बड़ी श्रद्धा थी। हरिजन उत्थान के लिए कई क़दम उठाए और हिन्दी के प्रसार के लिए ‘मैसूर रियासत हिन्दी प्रचार समिति’ की स्थापना में अग्रणी काम किया।

निधन

20 अक्टूबर, 1964 ई. को एच.सी. दासप्पा का निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 113।

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