"प्रयोग:लक्ष्मी5": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{'कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचना' किस धर्म ग्रंथ की उक्ति है? | |||
कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचना किस धर्म ग्रंथ की उक्ति है? | |||
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+[[श्रीमद्भागवत]] | +[[श्रीमद्भागवत]] | ||
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-[[रामायण]] | -[[रामायण]] | ||
-जयद्रथ वध | -जयद्रथ वध | ||
||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|भागवत पुराण, गीताप्रेस गोरखपुर का आवरण पृष्ठ|100px|right]]इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोश कहना अधिक | ||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|भागवत पुराण, गीताप्रेस गोरखपुर का आवरण पृष्ठ|100px|right]]इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' [[हिन्दू]] समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय [[धर्म]] और [[संस्कृति]] का विश्वकोश कहना अधिक उपयुक्त होगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीमद्भागवत]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक [[शास्त्रीय नृत्य]] नहीं है? | |||
{निम्नलिखित में कौन-सा एक शास्त्रीय नृत्य नहीं है? | |||
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-[[कत्थक]] | -[[कत्थक]] | ||
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+[[गरबा नृत्य]] | +[[गरबा नृत्य]] | ||
-[[मणिपुरी]] | -[[मणिपुरी]] | ||
||[[चित्र:Garba-Dance.jpg|right|120px|गरबा नृत्य, गुजरात]]गरबा नृत्य [[गुजरात]] की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला गोलाकार नृत्य रूप है और यह नृत्य [[नवरात्रि]], [[शरद पूर्णिमा]], [[बसंत पंचमी]], [[होली]] और अन्य उत्सवों में किया जाता है। 'गरबा' का जन्म एक दीपक के अनुसार किया गया है, जिसे 'गर्भदीप' कहते हैं, जिसका अर्थ है, 'मटके के अंदर रखा हुआ दीपक'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गरबा नृत्य]] | |||
{[[भारत]] में सर्वप्रथम [[ईसाई धर्म]] का प्रचार किसने किया था? | |||
{[[भारत]] में सर्वप्रथम [[ईसाई धर्म]] का प्रचार | |||
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+सेंट थॉमस | +सेंट थॉमस | ||
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-सेंट कर्टियर | -सेंट कर्टियर | ||
{चूहों के मन्दिर के नाम से विख्यात मन्दिर है | {'चूहों के मन्दिर' के नाम से विख्यात मन्दिर है- | ||
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+करणीमाता मन्दिर | +करणीमाता मन्दिर | ||
-लिंगराज मन्दिर | -[[लिंगराज मन्दिर]] | ||
- | -[[कोणार्क सूर्य मन्दिर|कोणार्क मन्दिर]] | ||
- | -[[राधारमण जी मन्दिर वृन्दावन|राधारमण मन्दिर]] | ||
{[[राजस्थान]] का [[पुष्कर]] मेला किस माह में लगता है? | |||
{[[राजस्थान]] का पुष्कर मेला किस माह में लगता है? | |||
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-[[अक्टूबर]] | -[[अक्टूबर]] | ||
-[[नवम्बर]] | -[[नवम्बर]] | ||
+[[ | +[[फ़रवरी]] | ||
-[[मार्च]] | -[[मार्च]] | ||
{किस वैदिक ग्रंथ में मंत्रों और [[देवता|देवताओं]] की प्रार्थना का संग्रह है? | {किस वैदिक ग्रंथ में [[मंत्र|मंत्रों]] और [[देवता|देवताओं]] की प्रार्थना का संग्रह है? | ||
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+[[ॠग्वेद]] | +[[ॠग्वेद]] | ||
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-[[सामवेद]] | -[[सामवेद]] | ||
-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
||[[चित्र:Rigveda.jpg|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या | ||[[चित्र:Rigveda.jpg|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]][[ॠग्वेद]] सबसे प्राचीनतम ग्रंथ है। 'ॠक' का अर्थ होता है, छन्दोबद्ध रचना या [[श्लोक]]। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ॠग्वेद]] | ||
{निम्न में से [[महाभारत]] का [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] अनुवाद कौन-सा है? | |||
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+रज्मनामा | +रज्मनामा | ||
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-यार-ए-दानिश | -यार-ए-दानिश | ||
{श्रीमद्भागवतगीता में | {[[श्रीमद्भागवत|श्रीमद्भागवतगीता]] में कितने अध्याय व [[श्लोक]] हैं? | ||
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-16 अध्याय व 600 [[संस्कृत]] श्लोक | -16 अध्याय व 600 [[संस्कृत]] [[श्लोक]] | ||
+18 अध्याय व 700 संस्कृत श्लोक | +18 अध्याय व 700 संस्कृत श्लोक | ||
-16 अध्याय व 650 संस्कृत श्लोक | -16 अध्याय व 650 संस्कृत श्लोक | ||
-20 अध्याय व 800 संस्कृत श्लोक | -20 अध्याय व 800 संस्कृत श्लोक | ||
{[[कत्थक नृत्य]] कहाँ की नृत्य शैली है? | |||
{[[कत्थक नृत्य]] | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[मणिपुर]] | -[[मणिपुर]] | ||
-[[केरल]] | -[[केरल]] | ||
-[[उड़ीसा]] | -[[उड़ीसा]] | ||
+ | +[[उत्तर प्रदेश]] | ||
||[[चित्र:Tajmahal-1.jpg|right|120px|ताजमहल, आगरा]]उत्तर प्रदेश सघन आबादी वाले [[गंगा नदी]] और [[यमुना नदी]] के मैदान में बसा है। लगभग 16 करोड़ की जनसंख्या के साथ [[उत्तर प्रदेश]] केवल [[भारत]] ही नहीं, बल्कि विश्व की सर्वाधिक आबादी वाला उपराष्ट्रीय प्रदेश है। समूचे विश्व के सिर्फ़ पांच राष्ट्रों [[चीन]], भारत, [[संयुक्त अमरीका]], इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या ही उत्तर-प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं [[हिन्दू धर्म]] के इतिहास में बहुत योगदान है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तर प्रदेश]] | |||
{चोल राजाओं ने किस धर्म को संरक्षण दिया? | {[[चोल वंश|चोल]] राजाओं ने किस [[धर्म]] को संरक्षण दिया? | ||
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-[[जैन धर्म]] | -[[जैन धर्म]] | ||
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+[[शैव धर्म]] | +[[शैव धर्म]] | ||
-[[वैष्णव धर्म]] | -[[वैष्णव धर्म]] | ||
||भारत के धार्मिक सम्प्रदायों में | ||[[भारत]] के धार्मिक सम्प्रदायों में शैव मत प्रमुख हैं। [[वैष्णव]], [[शाक्त]] आदि सम्प्रदायों के अनुयायियों से इसके मानने वालों की सख्या अधिक है। [[शिव]] त्रिमूर्ति में से तीसरे हैं, जिनका विशिष्ट कार्य संहार करना है। शैव वह धार्मिक सम्प्रदाय हैं, जो शिव को ही ईश्वर मानकर आराधना करता है। शिव का शाब्दिक अर्थ है, 'शुभ', 'कल्याण', 'मंगल', श्रेयस्कर' आदि, यद्यपि शिव का कार्य संहार करना है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शैव धर्म]] | ||
{[[भारत]] में चित्रकला किसके समय में प्रसिद्धि के शिखर पर | {[[भारत]] में [[चित्रकला]] किसके समय में प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँच गई? | ||
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-[[अकबर]] | -[[अकबर]] | ||
+[[ | +[[जहाँगीर]] | ||
-[[शाहजहाँ]] | -[[शाहजहाँ]] | ||
-[[औरंगजेब]] | -[[औरंगजेब]] | ||
||[[चित्र:Jahangir.jpg|जहाँगीर|100px|right]] | ||[[चित्र:Jahangir.jpg|जहाँगीर|100px|right]][[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था - प्रकृति से ह्रदय से आनंद लेना तथा फूलों को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न। स्वयं चित्रकार होने के कारण जहाँगीर [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। उसका ‘तुजूके-जहाँगीरी’ संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। उसने कष्टकर चुंगियों एवं करों को समाप्त किया तथा हिजड़ों के व्यापार का निषेध करने का प्रयास किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहांगीर]] | ||
{वेद शब्द का शाब्दिक अर्थ है? | {[[वेद]] शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+महत ज्ञान | +महत ज्ञान | ||
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-आख्यान | -आख्यान | ||
{चौंसठ योगिनी मन्दिर स्थित है? | {'चौंसठ योगिनी मन्दिर' कहाँ स्थित है? | ||
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-[[उज्जैन]] में | -[[उज्जैन]] में | ||
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-[[इन्दौर]] में | -[[इन्दौर]] में | ||
-[[भोपाल]] में | -[[भोपाल]] में | ||
||[[चित्र:Khajuraho-Temple-10.jpg|खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश|100px|right]]खजुराहो में 64 योगिनियों का खुला मन्दिर खुरदुरे ग्रेनाइट पत्थर का बना हुआ है। उत्तरमुखी इस मन्दिर का निर्माण 900 ईसवी में माना जाता है। जबकि 10वीं शताब्दी के मध्य में बने नागर शैली के उत्कृष्ट मन्दिर, चिकने बलुआ पत्थर से निर्मित हैं। यहाँ से ब्रह्माणी, इंद्राणी व महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमाऐं प्राप्त हुई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खजुराहो]] | ||[[चित्र:Khajuraho-Temple-10.jpg|खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश|100px|right]][[खजुराहो]] में 64 योगिनियों का खुला मन्दिर खुरदुरे ग्रेनाइट पत्थर का बना हुआ है। उत्तरमुखी इस मन्दिर का निर्माण 900 ईसवी में माना जाता है। जबकि 10वीं शताब्दी के मध्य में बने नागर शैली के उत्कृष्ट मन्दिर, चिकने बलुआ पत्थर से निर्मित हैं। यहाँ से ब्रह्माणी, इंद्राणी व महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमाऐं प्राप्त हुई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खजुराहो]] | ||
{निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी [[संगीत]] शैली का हिस्सा नहीं है? | {निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी [[संगीत]] शैली का हिस्सा नहीं है? | ||
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-धमार | -धमार | ||
{किस वेद का कुछ अंश गद्य में लिखा गया है? | {किस [[वेद]] का कुछ अंश गद्य में लिखा गया है? | ||
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-[[ॠग्वेद]] | -[[ॠग्वेद]] | ||
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-[[सामवेद]] | -[[सामवेद]] | ||
-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]यजुष' शब्द का अर्थ है- 'यज्ञ'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना कुरुक्षेत्र में मानी जाती है। यजुर्वेद में | ||[[चित्र:Yajurveda.jpg|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। [[यर्जुवेद]] मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में [[आर्य|आर्यों]] की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि आर्य '[[सप्त सिंघव|सप्त सैंधव]]' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक [[पूजा]] के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]] | ||
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13:46, 9 जून 2011 का अवतरण
कला
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