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*अहंकार मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है। अहंकार के कई कारण होते हैं जैसे राजनीतिक सत्ता, संपत्ति, पदवी, ज्ञान, शिक्षा, सामाजिक प्रतिष्ठा, शारीरिक बल, सौंदर्य आदि।  
*अहंकार मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है। अहंकार के कई कारण होते हैं जैसे राजनीतिक सत्ता, संपत्ति, पदवी, ज्ञान, शिक्षा, सामाजिक प्रतिष्ठा, शारीरिक बल, सौंदर्य आदि।  
==अभिमान से सम्बन्धित कथा==
==अभिमान से सम्बन्धित कथा==
*शेख सादी लड़क पन में अपने पिता के साथ [[मक्का]] जा रहे थे । वे जिस दल के साथ जा रहे थे, उसका नियम था- आधी रात को उठकर प्रार्थना करना।  
*शेख सादी लड़क पन में अपने पिता के साथ [[मक्का]] जा रहे थे। वे जिस दल के साथ जा रहे थे, उसका नियम था-कि आधी रात को उठकर प्रार्थना करना। एक दिन आधी रात के समय सादी और उनके पिता उठे।  
*एक दिन आधी रात के समय सादी और उनके पिता उठे।  
*शेख सादी और उसके पिता ने प्रार्थना की; परंतु दूसरे लोगों को सोते देखकर सादी ने पिता से कहा-'देखिये ये लोग कितने आलसी है, न उठते है, न प्रार्थना करते हैं। पिता ने कड़े शब्दों में कहा अरे सादी बेटा तू भी न उठता तो अच्छा होता। जल्दी उठकर दूसरों की निन्दा करने से तो न उठना ही ठीक था।
*शेख सादी और उसके पिता ने प्रार्थना की; परंतु दूसरे लोगों को सोते देखकर सादी ने पिता से कहा - 'देखिये ये लोग कितने आलसी है, न उठते है, न प्रार्थना करते हैं ।" पिता ने कड़े शब्दों में कहा -' अरे सादी बेटा ! तू भी न उठता तो अच्छा होता। जल्दी उठकर दूसरों की निन्दा करने से तो न उठना ही ठीक था ।'


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05:36, 24 जून 2011 का अवतरण

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  • 'काम', 'क्रोध', 'लोभ', 'मोह' और 'अहंकार' को हमारे पाँच विकारों में गिना जाता है। इनमें अंतिम विकार अहंकार है, जिसे 'अभिमान' भी कहते हैं।
  • किसी व्यक्ति के पास जब कोई विशेष पदार्थ अथवा गुण आ जाए तो वह अपने आप को सबसे श्रेष्ठ समझने लगता है। इसे अभिमान कहते हैं।
  • अहंकार मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है। अहंकार के कई कारण होते हैं जैसे राजनीतिक सत्ता, संपत्ति, पदवी, ज्ञान, शिक्षा, सामाजिक प्रतिष्ठा, शारीरिक बल, सौंदर्य आदि।

अभिमान से सम्बन्धित कथा

  • शेख सादी लड़क पन में अपने पिता के साथ मक्का जा रहे थे। वे जिस दल के साथ जा रहे थे, उसका नियम था-कि आधी रात को उठकर प्रार्थना करना। एक दिन आधी रात के समय सादी और उनके पिता उठे।
  • शेख सादी और उसके पिता ने प्रार्थना की; परंतु दूसरे लोगों को सोते देखकर सादी ने पिता से कहा-'देखिये ये लोग कितने आलसी है, न उठते है, न प्रार्थना करते हैं। पिता ने कड़े शब्दों में कहा अरे सादी बेटा तू भी न उठता तो अच्छा होता। जल्दी उठकर दूसरों की निन्दा करने से तो न उठना ही ठीक था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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