"चोर से सहानुभूति": अवतरणों में अंतर

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*वह दुकानदार उस आदमी से कहता है यह कपड़ा तुम्हारा है या चोरी का, इसका क्या पता। हाँ कोई सज्जन पहचान कर बता दें कि तुम्हारा ही है तो मैं इसे खरीद लूँगा।
*वह दुकानदार उस आदमी से कहता है यह कपड़ा तुम्हारा है या चोरी का, इसका क्या पता। हाँ कोई सज्जन पहचान कर बता दें कि तुम्हारा ही है तो मैं खरीद लूँगा ।' *वह भक्त पास ही खड़े थे और उनसे दुकानदार का परिचय भी था । उन्होंने कहा-'मैं जानता हूँ, तुम दाम दे,दो ।
*वह भक्त पास ही खड़े थे और उनसे दुकानदार का परिचय भी था। उन्होंने उस दुकानदार से कहा मैं इस आदमी को जानता हूँ, तुम इस कपड़े के दाम दे,दो।
*दुकानदार ने कपड़ा खरीदकर कीमत चुका दी । इस पर भक्त के एक साथी ने उनसे पूछाँ कि 'आपने ऐसा क्यो किया ? इस पर भक्त बोले कि ' वह बेचारा बहुत गरीब है, गरीबी से तंग आकर उसे ऐसा करना पड़ा है ।
*दुकानदार ने कपड़ा खरीदकर कीमत चुका दी। यह सब देखकर भक्त के एक साथी ने उनसे पूछाँ कि आपने ऐसा क्यो किया? इस पर भक्त बोले कि वह बेचारा बहुत गरीब है, गरीबी से तंग आकर उसे ऐसा करना पड़ा है।
*गरीब की तो हर तरह से सहायता ही करनी चाहिये ।' इस अवस्था में उसको चोर बतलाकर फ़साना अत्यन्त पाप है ।  
*भक्त कहते हैं गरीब की तो हर तरह से सहायता ही करनी चाहिये। इस अवस्था में उसको चोर बतलाकर फ़साना अत्यन्त पाप है।  
*भक्त की इस बात का चोर पर बड़ा प्रभाव पड़ा और वह भक्त की कुटिया पर जाकर अपनी गलती के लिए रोने लगा। उस दिन से वह चोर भी एक भक्त बन गया !
*भक्त की इस बात का चोर पर बड़ा प्रभाव पड़ा और वह भक्त की कुटिया पर जाकर अपनी गलती के लिए रोने लगा। उस दिन से वह चोर भी एक भक्त बन गया।
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06:01, 24 जून 2011 का अवतरण

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  • एक भक्त थे, कोई उनका कपड़ा चुरा ले गया। कुछ दिनों बाद उस भक्त ने वह कपड़ा एक आदमी के हाथ में देखा जो उसे बाज़ार में बेच रहा था।
  • वह दुकानदार उस आदमी से कहता है यह कपड़ा तुम्हारा है या चोरी का, इसका क्या पता। हाँ कोई सज्जन पहचान कर बता दें कि तुम्हारा ही है तो मैं इसे खरीद लूँगा।
  • वह भक्त पास ही खड़े थे और उनसे दुकानदार का परिचय भी था। उन्होंने उस दुकानदार से कहा मैं इस आदमी को जानता हूँ, तुम इस कपड़े के दाम दे,दो।
  • दुकानदार ने कपड़ा खरीदकर कीमत चुका दी। यह सब देखकर भक्त के एक साथी ने उनसे पूछाँ कि आपने ऐसा क्यो किया? इस पर भक्त बोले कि वह बेचारा बहुत गरीब है, गरीबी से तंग आकर उसे ऐसा करना पड़ा है।
  • भक्त कहते हैं गरीब की तो हर तरह से सहायता ही करनी चाहिये। इस अवस्था में उसको चोर बतलाकर फ़साना अत्यन्त पाप है।
  • भक्त की इस बात का चोर पर बड़ा प्रभाव पड़ा और वह भक्त की कुटिया पर जाकर अपनी गलती के लिए रोने लगा। उस दिन से वह चोर भी एक भक्त बन गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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