"हुसैन निज़ामशाह प्रथम": अवतरणों में अंतर
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*उसने 1553 से 1565 ई. तक राज्य किया था। | *उसने 1553 से 1565 ई. तक राज्य किया था। | ||
*हुसैन निज़ामशाह प्रथम का शासनकाल दक्कन के इतिहास में एक युगांतकारी युग के रूप में स्वीकार किया जाता है। | *हुसैन निज़ामशाह प्रथम का शासनकाल दक्कन के इतिहास में एक युगांतकारी युग के रूप में स्वीकार किया जाता है। | ||
*उसने [[विजयनगर | *उसने [[विजयनगर साम्राज्य]] कि विरुद्ध [[गोलकुण्डा]] और [[बीजापुर]] के सुल्तानों से सुलह कर ली थी। | ||
*बीजापुर के आदिलशाह, गोलकुण्डा के कुली कुतुबशाह और विजयनगर के [[रामराय]] की संयुक्त सेना ने अहमदनगर के प्रदेशों पर आक्रमण करके लूटपाट की थी। | *बीजापुर के आदिलशाह, गोलकुण्डा के कुली कुतुबशाह और विजयनगर के [[रामराय]] की संयुक्त सेना ने अहमदनगर के प्रदेशों पर आक्रमण करके लूटपाट की थी। | ||
*हुसैन निज़ामशाह प्रथम इस लूटपाटपूर्ण व्यवहार से इतना क्षुब्ध हुआ कि, उसने 1565 ई. में विजयनगर के विरुद्ध दक्कन के मुस्लिम राज्यों के एक मुस्लिम संगठन की स्थापना की। | *हुसैन निज़ामशाह प्रथम इस लूटपाटपूर्ण व्यवहार से इतना क्षुब्ध हुआ कि, उसने 1565 ई. में विजयनगर के विरुद्ध दक्कन के [[मुसलमान|मुस्लिम]] राज्यों के एक मुस्लिम संगठन की स्थापना की। | ||
*[[बरार]] इस संगठन में शामिल नहीं था। | *[[बरार]] इस संगठन में शामिल नहीं था। | ||
*इस संगठन ने 1565 ई. में [[तालीकोटा का युद्ध|तालीकोटा के युद्ध]] में विजयनगर को बुरी तरह से परास्त किया। | *इस संगठन ने 1565 ई. में [[तालीकोटा का युद्ध|तालीकोटा के युद्ध]] में विजयनगर को बुरी तरह से परास्त किया। | ||
*इस विजय कि फलस्वरूप विजयनगर को बुरी तरह से लूटा गया और उसे तहस-नहस कर दिया गया। | *इस विजय कि फलस्वरूप विजयनगर को बुरी तरह से लूटा गया और उसे तहस-नहस कर दिया गया। | ||
*इस विजय से हुसैन निज़ामशाह प्रथम कोई लाभ नहीं उठा पाया। | *इस विजय से हुसैन निज़ामशाह प्रथम कोई लाभ नहीं उठा पाया। | ||
*जिस साल उसने विजयनगर पर विजय प्राप्त की, उसी वर्ष उसकी मृत्यु हो गई। | *जिस साल उसने [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] पर विजय प्राप्त की, उसी वर्ष उसकी मृत्यु हो गई। | ||
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07:30, 29 जून 2011 का अवतरण
- हुसैन निज़ामशाह प्रथम अहमदनगर के निज़ामशाही वंश का तीसरा सुल्तान था।
- उसने 1553 से 1565 ई. तक राज्य किया था।
- हुसैन निज़ामशाह प्रथम का शासनकाल दक्कन के इतिहास में एक युगांतकारी युग के रूप में स्वीकार किया जाता है।
- उसने विजयनगर साम्राज्य कि विरुद्ध गोलकुण्डा और बीजापुर के सुल्तानों से सुलह कर ली थी।
- बीजापुर के आदिलशाह, गोलकुण्डा के कुली कुतुबशाह और विजयनगर के रामराय की संयुक्त सेना ने अहमदनगर के प्रदेशों पर आक्रमण करके लूटपाट की थी।
- हुसैन निज़ामशाह प्रथम इस लूटपाटपूर्ण व्यवहार से इतना क्षुब्ध हुआ कि, उसने 1565 ई. में विजयनगर के विरुद्ध दक्कन के मुस्लिम राज्यों के एक मुस्लिम संगठन की स्थापना की।
- बरार इस संगठन में शामिल नहीं था।
- इस संगठन ने 1565 ई. में तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर को बुरी तरह से परास्त किया।
- इस विजय कि फलस्वरूप विजयनगर को बुरी तरह से लूटा गया और उसे तहस-नहस कर दिया गया।
- इस विजय से हुसैन निज़ामशाह प्रथम कोई लाभ नहीं उठा पाया।
- जिस साल उसने विजयनगर पर विजय प्राप्त की, उसी वर्ष उसकी मृत्यु हो गई।
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