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- सावर्णि मंवंतर के एक ऋषि का नाम।
- भरत का पुत्र[1]।
- जनमेजय का एक पुत्र[2]
- सूत का एक शिष्य-[3]
- एक दैत्य का नाम।
- सोमदत्त का पुत्र।
- वर्त्तमान अवसर्पिणी के पाँचवें अर्हत।
- पुरुवंशोत्पन्न राजा सुपार्श्र्व का पुत्र तथा सन्नतिमान का पिता[4]।
- अंतिनार के पुत्र तथा ऋतेपु के पौत्र। ये तीन भाई थे[5]।
- एक दिव्य महर्षि। भीष्म के शरशय्या पर लेटे रहने के समय, युधिष्ठिर द्वारा शंकासमाधान करवाते समय ये भी उपस्थित थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (महाभारत)
- ↑ देखें:-जनमेजय
- ↑ देखें-सूत
- ↑ (विष्णुपुराण.4.19.49)
- ↑ (विष्णुपुराण.4-19,3-4)