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*[[मालवा]] क्षेत्र का मध्यकालीन यह नगर [[मध्यप्रदेश]] राज्य के ज़िला [[ग्वालियर]] की विंध्य पर्वत श्रृंखला की तलहटी में अवस्थित है।  
*मध्यकाल में रायसेन सिलहारी राजपूत सरदारों का मजबूत गढ़ था।  
*मध्यकाल में रायसेन सिलहारी राजपूत सरदारों का मज़बूत गढ़ था।  
*[[बाबर]] के समय यहाँ का शासक शिलादित्य था, जो ग्वालियर के [[विक्रमादित्य]], [[चित्तौड़]] के राणा सांगा, चंदेरी के मेदनीराय तथा अन्य राजपूत नरेशों के साथ [[खानवा]] के युद्ध में बाबर के विरुद्ध लड़ा था।  
*[[बाबर]] के समय यहाँ का शासक शिलादित्य था, जो ग्वालियर के [[विक्रमादित्य]], [[चित्तौड़]] के राणा सांगा, चंदेरी के मेदनीराय तथा अन्य राजपूत नरेशों के साथ [[खानवा]] के युद्ध में बाबर के विरुद्ध लड़ा था।  
*1543 ई. में रायसेन के दुर्ग पर [[शेरशाह]] ने आक्रमण किया था।  
*1543 ई. में रायसेन के दुर्ग पर [[शेरशाह]] ने आक्रमण किया था।  

16:20, 8 जुलाई 2011 का अवतरण

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  • मालवा क्षेत्र का मध्यकालीन यह नगर मध्यप्रदेश राज्य के ज़िला ग्वालियर की विंध्य पर्वत श्रृंखला की तलहटी में अवस्थित है।
  • मध्यकाल में रायसेन सिलहारी राजपूत सरदारों का मज़बूत गढ़ था।
  • बाबर के समय यहाँ का शासक शिलादित्य था, जो ग्वालियर के विक्रमादित्य, चित्तौड़ के राणा सांगा, चंदेरी के मेदनीराय तथा अन्य राजपूत नरेशों के साथ खानवा के युद्ध में बाबर के विरुद्ध लड़ा था।
  • 1543 ई. में रायसेन के दुर्ग पर शेरशाह ने आक्रमण किया था।
  • उसने इस क़िले पर अधिकार तो कर लिया किंतु इसके बाद विश्वासघात करके उसने दुर्ग की रक्षा नियुक्त उन राजपूतों को मार डाला, जिनकी रक्षा का वचन उसने पहले दिया था।
  • इस बात से राजपूत शेरशाह के शत्रु बन गये और कालिंजर के युद्ध में उन्होंने शेरशाह का डटकर मुक़ाबला किया।
  • रायसेन मुग़लों का एक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र था।
  • अकबर के शासनकाल में यह नगर उज्जैन के सूबे में शामिल 'सरकार' था।
  • यहाँ बलुआ पत्थर से निर्मित क़िला है, जिसकी दीवारों पर शिकार के दृश्य अंकित है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ