"ज़ियाउद्दीन बरनी": अवतरणों में अंतर

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*इनका बचपन अपने चाचा 'अला-उल-मुल्क' के साथ व्यतीत हुआ, जो [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के सलाहकार थे।
*इनका बचपन अपने चाचा 'अला-उल-मुल्क' के साथ व्यतीत हुआ, जो [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के सलाहकार थे।
*संभवतः बरनी ने 46 विद्धानों से शिक्षा ग्रहण की थी।
*संभवतः बरनी ने 46 विद्धानों से शिक्षा ग्रहण की थी।
*यह [[मुहम्मद तुग़लक़]] के दरबार में नदीम (जिंदादिल साथी) के पद पर रहे।
*यह [[मुहम्मद तुग़लक़]] के दरबार में नदीम (ज़िंदादिल साथी) के पद पर रहे।
*जियाउद्दीन बरनी को मुहम्मद तुग़लक़ के शासन काल में 17 वर्ष तक संरक्षण में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
*जियाउद्दीन बरनी को मुहम्मद तुग़लक़ के शासन काल में 17 वर्ष तक संरक्षण में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
*[[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] के शासन काल में उन्हें कुछ समय तक जेल में भी रहना पड़ा।
*[[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] के शासन काल में उन्हें कुछ समय तक जेल में भी रहना पड़ा।

16:32, 8 जुलाई 2011 का अवतरण

  • जियाउद्दीन बरनी का जन्म 1284-1285 ई. में सैय्यद परिवार मे हुआ था।
  • यह् बरन (आधुनिक बुलन्दशहर) के रहने वाले थे, इसीलिए अपने नाम के साथ बरनी लिखते थे।
  • इनका बचपन अपने चाचा 'अला-उल-मुल्क' के साथ व्यतीत हुआ, जो अलाउद्दीन ख़िलजी के सलाहकार थे।
  • संभवतः बरनी ने 46 विद्धानों से शिक्षा ग्रहण की थी।
  • यह मुहम्मद तुग़लक़ के दरबार में नदीम (ज़िंदादिल साथी) के पद पर रहे।
  • जियाउद्दीन बरनी को मुहम्मद तुग़लक़ के शासन काल में 17 वर्ष तक संरक्षण में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
  • फ़िरोज़शाह तुग़लक़ के शासन काल में उन्हें कुछ समय तक जेल में भी रहना पड़ा।
  • सम्भवतः इनके जीवन का अंतिम पड़ाव बड़ा ही कष्टप्रद था। उनकी सम्पत्ति को जब्त कर उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था।
  • अपने अंतिम समय में कष्टप्रद जीवन से मुक्ति प्राप्त कर पुनः मान्यता प्राप्त करने के लिए बरनी ने सुल्तान फ़िरोज़ की प्रशंसा में 'तारीख़-ए-फ़िरोज़शाही' एवं 'फ़तवा-ए-जहाँदारी' की रचना की थी।
  • बरनी ने अपनी रचना 'अमीर' एवं 'कुलीन वर्ग' के लोगों को समर्पित की।
  • जियाउद्दीन बरनी ने चार विद्वानों ‘ताजुल मासिर’ के लेखक ख्वाजा सद्र निजामी, ‘जवामे उल हिकायत’ के लेखक मौलादा सद्रद्दीन औफी, ‘तबकाते नासिरी’ के लेखक मिनहाजुद्दीन सिराज एवं ‘फाथनामा’ के लेखक कबीरुद्दीन इराकी को सच्चा इतिहासकार माना है।


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