"ओषधिप्रस्थ": अवतरणों में अंतर
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अलकामतिवाह्यैव वसतिं वसुसम्पदाम्, | अलकामतिवाह्यैव वसतिं वसुसम्पदाम्, | ||
स्वर्गाभिष्यन्दवमनं कृत्वेवोपनिवेशितम्। | स्वर्गाभिष्यन्दवमनं कृत्वेवोपनिवेशितम्। | ||
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यत्र स्फटिक हर्म्येषु नक्तमापान भूमिषु, ज्योतिषां प्रतिबिंबानि प्राप्नुवन्त्युपहारताम्। | यत्र स्फटिक हर्म्येषु नक्तमापान भूमिषु, ज्योतिषां प्रतिबिंबानि प्राप्नुवन्त्युपहारताम्। | ||
यत्रौषधि प्रकाशेन नक्तं दर्शित संचरा:, | यत्रौषधि प्रकाशेन नक्तं दर्शित संचरा:, |
13:59, 12 जुलाई 2011 का अवतरण
- कुमारसंभव में वर्णित हिमालय का नगर जहां पार्वती के पिता की राजधानी थी।
- शिव के कहने से सप्तर्षि पार्वती की मंगनी के समय औषधिप्रस्थ आए थे-
'तत्प्रयातौषधिप्रस्थं सिद्धये हिमवत्पुरम्, महाकोशीप्रपातेऽस्मिन् संगम: पुनरेवन:,
ते चाकाश मसिश्याममुत्पत्य परमर्षय:, आसेदुरोषधिप्रस्थंमनसासमरंहस:।
अलकामतिवाह्यैव वसतिं वसुसम्पदाम्,
स्वर्गाभिष्यन्दवमनं कृत्वेवोपनिवेशितम्।
गंगास्तोत्र:।
यत्र स्फटिक हर्म्येषु नक्तमापान भूमिषु, ज्योतिषां प्रतिबिंबानि प्राप्नुवन्त्युपहारताम्।
यत्रौषधि प्रकाशेन नक्तं दर्शित संचरा:,
अनभिज्ञास्तमिस्त्राणां दुर्दिनेष्वभिसारिका:।
संतानकतरुच्छाया सुप्तविद्याधराध्वगम्,
यस्य चोपवनं बाह्यं गंधवद् गंधमादनम्'।[1]
- कालिदास के वर्णन से जान पड़ता है कि यह नगर हिमालय के क्रोड़ में स्थित तथा गंगा की धारा से परिवेष्टित था तथा गंधमादन पर्वत इस नगर के बाहर उपवन के रूप में स्थित था।
- इस नगर में ओषधियों के प्रकाश से रात में भी उजाला रहता था।
- संभव है यह नगर वर्तमान बदरीनाथ के निकट स्थित हो।
- कालिदास के वर्णन में कविकल्पना का वैचित्र्य होने से नगर का वर्णन बड़ा अद्भुत जान पड़ता है।
- यह नगर अलका से भिन्न था जैसा कि ऊपर उद्भृत[2] से स्पष्ट हे।
- बदरीनाथ के निकटस्थ पहाड़ों में आज भी ओषधियां प्रचुरता से पाई जाती है।
- गंगा की निकटता जिसका उल्लेख कवि ने किया है, इस नगर की स्थिति की सूचक है।
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