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आखिर क्या है, लहसुन की इन छोटी-छोटी कलियों में जिन्हें हम खासतौर पर सर्दियों में दाल-सब्जी में तड़का लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं ? आपकी रसोई की ये कलियां बड़े काम की चीज हैं। आइए जानते हैं, इनके कुछ औषधीय गुणों के बारे में :- दादी मां का खजाना हो या नानी मां की नसीहत, हर जगह लहसुन को चमत्कारी फ्लू जैसी छोटी-सी बीमारी से लेकर कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के उपचार में भी सहायक होता है।  
आखिर क्या है, लहसुन की इन छोटी-छोटी कलियों में जिन्हें हम खासतौर पर सर्दियों में दाल-सब्जी में तड़का लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं ? आपकी रसोई की ये कलियां बड़े काम की चीज हैं। आइए जानते हैं, इनके कुछ औषधीय गुणों के बारे में :- दादी मां का खजाना हो या नानी मां की नसीहत, हर जगह लहसुन को चमत्कारी फ्लू जैसी छोटी-सी बीमारी से लेकर कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के उपचार में भी सहायक होता है।  


;हृदय रोग :-
;हृदय रोग  
यह हृदय रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण औषधि है। उच्च रक्तचाप के उपचार में लहसुन को उपयोगी माना गया है। लहसुन में पाया जाने वाला सल्फाइड्स रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। वे सल्फाइड्स लहसुन को पकाने के दौरान भी नष्ट नहीं होते हैं। यानी सब्जी, दाल में जब आप लहसुन का छौंक लगाती हैं, तब भी उसका ये गुण नष्ट नहीं होता। यह बिंबागुओं (Platelates) को चिपकने से रोकता है। थक्कों को गलाता है। धमनियों को फैलाकर रक्तचाप घटाता है। कॉलेस्ट्रोल की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए लहसुन का नियमित सेवन अमृत साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है कि लगातार चार हफ्ते तक लहसुन खाने से कॉलेस्ट्रोल का स्तर 12 प्रतिशत तक या उससे भी कम हो सकता है। जिगर के अंदर मेटाबोलिज्म में सुधार लाकर कोलेस्ट्रॉल कम करता है और एरिथमिया को नियमित करता है। 'जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन' के एक अध्ययन के मुताबिक लहसुन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल में 10 फीसदी गिरावट आती है।
यह हृदय रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण औषधि है। उच्च रक्तचाप के उपचार में लहसुन को उपयोगी माना गया है। लहसुन में पाया जाने वाला सल्फाइड्स रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। वे सल्फाइड्स लहसुन को पकाने के दौरान भी नष्ट नहीं होते हैं। यानी सब्जी, दाल में जब आप लहसुन का छौंक लगाती हैं, तब भी उसका ये गुण नष्ट नहीं होता। यह बिंबागुओं (Platelates) को चिपकने से रोकता है। थक्कों को गलाता है। धमनियों को फैलाकर रक्तचाप घटाता है। कॉलेस्ट्रोल की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए लहसुन का नियमित सेवन अमृत साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है कि लगातार चार हफ्ते तक लहसुन खाने से कॉलेस्ट्रोल का स्तर 12 प्रतिशत तक या उससे भी कम हो सकता है। जिगर के अंदर मेटाबोलिज्म में सुधार लाकर कोलेस्ट्रॉल कम करता है और एरिथमिया को नियमित करता है। 'जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन' के एक अध्ययन के मुताबिक लहसुन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल में 10 फीसदी गिरावट आती है।


;मधुमेह :-
;मधुमेह  
यह मधुमेह रोग में इन्सुलिन स्राव बढ़ाकर, रक्त शर्करा स्तर घटा देता है।  
यह मधुमेह रोग में इन्सुलिन स्राव बढ़ाकर, रक्त शर्करा स्तर घटा देता है।  


;दमा :-
;दमा  
ठंड के मौसम में होने वाले सर्दी, जुकाम और कफ बनने की समस्या से राहत पाने के लिए नियमित रूप से लहसुन का सेवन करना जरूरी है। यह फेफड़ों की जकड़न को ठीक करने में मदद करता है, श्वसन मार्ग में श्लेष्मा (म्यूकस) को ढीला करता है तथा सर्दी जुकाम को रोकने में सहायक है।
ठंड के मौसम में होने वाले सर्दी, जुकाम और कफ बनने की समस्या से राहत पाने के लिए नियमित रूप से लहसुन का सेवन करना जरूरी है। यह फेफड़ों की जकड़न को ठीक करने में मदद करता है, श्वसन मार्ग में श्लेष्मा (म्यूकस) को ढीला करता है तथा सर्दी जुकाम को रोकने में सहायक है।


;पेशी विश्राम :-
;पेशी विश्राम
वायरस और बैक्टीरिया से बचने के लिए ताजा लहसुन खाना ही फायदेमंद होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। यह एंटीबॉयटिक, एंटी फंगल और रोगाणुनाशक है। यह ग्राम पॉजिटिव और ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया को नियंत्रित करता है। इसके प्रयोग से मांसपेशियों को आराम मिलता है, दांत, आंत और श्वसन मार्ग के संदूषणों पर नियत्रण रखता है।
वायरस और बैक्टीरिया से बचने के लिए ताजा लहसुन खाना ही फायदेमंद होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। यह एंटीबॉयटिक, एंटी फंगल और रोगाणुनाशक है। यह ग्राम पॉजिटिव और ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया को नियंत्रित करता है। इसके प्रयोग से मांसपेशियों को आराम मिलता है, दांत, आंत और श्वसन मार्ग के संदूषणों पर नियत्रण रखता है।


;जोड़ों का दर्द :-
;जोड़ों का दर्द  
यह जोड़ों के दर्द के उद्दीपन को घटाता है।
यह जोड़ों के दर्द के उद्दीपन को घटाता है।


;पाचनप्रणाली :-
;पाचनप्रणाली  
लहसुन एक बढ़िया वातसारी एवं गैस्ट्रिक प्रेरक है और भोजन को पचाने तथा जज्ब करने में मदद करता है।
लहसुन एक बढ़िया वातसारी एवं गैस्ट्रिक प्रेरक है और भोजन को पचाने तथा जज्ब करने में मदद करता है।


;डाइयूरेटिक :-
;डाइयूरेटिक  
इसकी प्रकृति मूत्रवर्धक है।
इसकी प्रकृति मूत्रवर्धक है।


;कैंसर :-
;कैंसर  
कैंसर के उपचार में लहसुन की महत्वपूर्ण भूमिका है। कई चिकित्सीय शोध बताते हैं कि लहसुन का नियमित सेवन करने वाले लोगों को कैंसर होने की आशंका बेहद कम होती है। लहसुन में कैंसर से लड़ने की विलक्षण क्षमता है। यह निरोधक प्रणाली को प्रेरित करता है, कैंसर भड़काने वाले तत्वों का निर्विषीकरण करता है और नाइट्रेट के निर्माण में बाधा बनकर यह पाचन मार्ग, स्तन तथा प्रोस्टेट के कैंसरों के इलाज में बहुत प्रभावकारी है। 'एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रति सप्ताह पांच दाना लहसुन खाने से कैंसर का खतरा 30 से 40 फीसदी कम हो जाता है।  
कैंसर के उपचार में लहसुन की महत्वपूर्ण भूमिका है। कई चिकित्सीय शोध बताते हैं कि लहसुन का नियमित सेवन करने वाले लोगों को कैंसर होने की आशंका बेहद कम होती है। लहसुन में कैंसर से लड़ने की विलक्षण क्षमता है। यह निरोधक प्रणाली को प्रेरित करता है, कैंसर भड़काने वाले तत्वों का निर्विषीकरण करता है और नाइट्रेट के निर्माण में बाधा बनकर यह पाचन मार्ग, स्तन तथा प्रोस्टेट के कैंसरों के इलाज में बहुत प्रभावकारी है। 'एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रति सप्ताह पांच दाना लहसुन खाने से कैंसर का खतरा 30 से 40 फीसदी कम हो जाता है।  


;शक्तिवर्धक :-
;शक्तिवर्धक  
इसमें कई पोषक तत्व भी पाये जाते हैं। प्रतिदिन लहसुन की एक कली के सेवन से शरीर को विटामिन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं। इसमें लौह तत्व होते हैं, इसलिए यह रक्त निर्माण में सहायक है। इसमें विटामिन 'सी' होने से यह स्कर्वी रोग से बचाने में मदद करता है।
इसमें कई पोषक तत्व भी पाये जाते हैं। प्रतिदिन लहसुन की एक कली के सेवन से शरीर को विटामिन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं। इसमें लौह तत्व होते हैं, इसलिए यह रक्त निर्माण में सहायक है। इसमें विटामिन 'सी' होने से यह स्कर्वी रोग से बचाने में मदद करता है।


;थायरॉयड :-
;थायरॉयड  
इसमें निहित आयोडीन से गोइटर और हाइपोथायरॉयटिज्म बाधित व नियंत्रित होता है।  
इसमें निहित आयोडीन से गोइटर और हाइपोथायरॉयटिज्म बाधित व नियंत्रित होता है।  


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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==


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15:56, 12 जुलाई 2011 का अवतरण

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लहसुन से हम सभी परिचित हैं। सामान्यत: लहसुन रसोई में काम आने वाला एक मसाला है; लेकिन यह एक महत्वपूर्ण औषधि भी है। लहसुन से होने वाले लाभ और इसके चिकित्सीय गुण सदियों पुराने हैं। शोध और अध्ययन बताते हैं कि आज से 5000 वर्ष पहले भी भारत में लहसुन का इस्तेमाल उपचार के लिए किया जाता था। लहसुन को पकाने से इसके बैक्टीरिया विरोधी तत्व नष्ट हो जाते हैं, लेकिन हृदय-रक्तवाहिका (कार्डियोवसक्यूलर) संबधी गुण बना रहता है।

लहसुन के रासायनिक तत्व लहसुन में कई रसायनिक तत्व जैसे- वाष्पशील तेल 0.6 प्रतिशत, प्रोटीन 6.03 प्रतिशत, वसा 1.00 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट्स 29.00 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1.00 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत तथा लोहा 1.3 मिलीग्राम, प्रति 100 ग्राम पाये जाते हैं।

लहसुन के औषधिये गुण आखिर क्या है, लहसुन की इन छोटी-छोटी कलियों में जिन्हें हम खासतौर पर सर्दियों में दाल-सब्जी में तड़का लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं ? आपकी रसोई की ये कलियां बड़े काम की चीज हैं। आइए जानते हैं, इनके कुछ औषधीय गुणों के बारे में :- दादी मां का खजाना हो या नानी मां की नसीहत, हर जगह लहसुन को चमत्कारी फ्लू जैसी छोटी-सी बीमारी से लेकर कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के उपचार में भी सहायक होता है।

हृदय रोग

यह हृदय रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण औषधि है। उच्च रक्तचाप के उपचार में लहसुन को उपयोगी माना गया है। लहसुन में पाया जाने वाला सल्फाइड्स रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। वे सल्फाइड्स लहसुन को पकाने के दौरान भी नष्ट नहीं होते हैं। यानी सब्जी, दाल में जब आप लहसुन का छौंक लगाती हैं, तब भी उसका ये गुण नष्ट नहीं होता। यह बिंबागुओं (Platelates) को चिपकने से रोकता है। थक्कों को गलाता है। धमनियों को फैलाकर रक्तचाप घटाता है। कॉलेस्ट्रोल की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए लहसुन का नियमित सेवन अमृत साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है कि लगातार चार हफ्ते तक लहसुन खाने से कॉलेस्ट्रोल का स्तर 12 प्रतिशत तक या उससे भी कम हो सकता है। जिगर के अंदर मेटाबोलिज्म में सुधार लाकर कोलेस्ट्रॉल कम करता है और एरिथमिया को नियमित करता है। 'जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन' के एक अध्ययन के मुताबिक लहसुन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल में 10 फीसदी गिरावट आती है।

मधुमेह

यह मधुमेह रोग में इन्सुलिन स्राव बढ़ाकर, रक्त शर्करा स्तर घटा देता है।

दमा

ठंड के मौसम में होने वाले सर्दी, जुकाम और कफ बनने की समस्या से राहत पाने के लिए नियमित रूप से लहसुन का सेवन करना जरूरी है। यह फेफड़ों की जकड़न को ठीक करने में मदद करता है, श्वसन मार्ग में श्लेष्मा (म्यूकस) को ढीला करता है तथा सर्दी जुकाम को रोकने में सहायक है।

पेशी विश्राम

वायरस और बैक्टीरिया से बचने के लिए ताजा लहसुन खाना ही फायदेमंद होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। यह एंटीबॉयटिक, एंटी फंगल और रोगाणुनाशक है। यह ग्राम पॉजिटिव और ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया को नियंत्रित करता है। इसके प्रयोग से मांसपेशियों को आराम मिलता है, दांत, आंत और श्वसन मार्ग के संदूषणों पर नियत्रण रखता है।

जोड़ों का दर्द

यह जोड़ों के दर्द के उद्दीपन को घटाता है।

पाचनप्रणाली

लहसुन एक बढ़िया वातसारी एवं गैस्ट्रिक प्रेरक है और भोजन को पचाने तथा जज्ब करने में मदद करता है।

डाइयूरेटिक

इसकी प्रकृति मूत्रवर्धक है।

कैंसर

कैंसर के उपचार में लहसुन की महत्वपूर्ण भूमिका है। कई चिकित्सीय शोध बताते हैं कि लहसुन का नियमित सेवन करने वाले लोगों को कैंसर होने की आशंका बेहद कम होती है। लहसुन में कैंसर से लड़ने की विलक्षण क्षमता है। यह निरोधक प्रणाली को प्रेरित करता है, कैंसर भड़काने वाले तत्वों का निर्विषीकरण करता है और नाइट्रेट के निर्माण में बाधा बनकर यह पाचन मार्ग, स्तन तथा प्रोस्टेट के कैंसरों के इलाज में बहुत प्रभावकारी है। 'एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रति सप्ताह पांच दाना लहसुन खाने से कैंसर का खतरा 30 से 40 फीसदी कम हो जाता है।

शक्तिवर्धक

इसमें कई पोषक तत्व भी पाये जाते हैं। प्रतिदिन लहसुन की एक कली के सेवन से शरीर को विटामिन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं। इसमें लौह तत्व होते हैं, इसलिए यह रक्त निर्माण में सहायक है। इसमें विटामिन 'सी' होने से यह स्कर्वी रोग से बचाने में मदद करता है।

थायरॉयड

इसमें निहित आयोडीन से गोइटर और हाइपोथायरॉयटिज्म बाधित व नियंत्रित होता है।

अन्य

लहसुन में सेलेनियम है जो स्वतंत्र कोशिकाओं के तटस्थ और वृद्ध होने की प्रक्रिया धीमी कर देता है। यह एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरोध प्रेरक है। आंखों की रोशनी के लिए भी लहसुन लाभदायक माना जाता है। लहसुन का इस्तेमाल एंटीसेप्टिक के रूप में भी किया जा सकता है।

  • अकसर लहसुन के इतने सारे लाभ की जानकारी होने के बाद भी लोग लहसुन के गंध के कारण इसे खाने से परहेज करते हैं। लेकिन प्रकृति के इस अद्भुत उपहार को अच्छी सेहत और रोगों से लड़ने की प्रतिरोधी क्षमता के लिए भोजन में शामिल करना, कड़वी दवाइयों से बेहतर ही होगा। हमारी रसोई में ऐसे ही चमत्कारिक गुणों वाली कई औषधियों का रोजाना इस्तेमाल होता है। जानकारी के अभाव में उनके स्वाद और सुगंध को महत्व देने की जगह गुणों को पखरिए। कई बीमारी और परेशानियां पल में दूर हो जाएंगी और आप व आपका परिवार स्वस्थ भी रहेगा।



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