"भारतकोश:Quotations/शुक्रवार": अवतरणों में अंतर

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*संसार में नाम और द्रव्य की महिमा कोई आज भी ठीक-ठीक नहीं जान पाया।  -[[शरतचंद्र चट्टोपाध्याय]] (शेष परिचय,पृ॰31)      
*जीवन अविकल कर्म है, न बुझने वाली पिपासा है। जीवन हलचल है, परिवर्तन है; और हलचल तथा परिवर्तन में सुख और शान्ति का कोई स्थान नहीं। -[[भगवती चरण वर्मा]] (चित्रलेखा, पृ. 24)
*परंपरा को स्वीकार करने का अर्थ बंधन नहीं, अनुशासन का स्वेच्छा से वरण है।  -विद्यानिवास मिश्र (परंपरा बंधन नहीं, पृ॰53) [[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]
*सत्य, आस्था और लगन जीवन-सिद्धि के मूल हैं। -[[अमृतलाल नागर]] (अमृत और विष, पृ. 437)     [[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]

06:34, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • जीवन अविकल कर्म है, न बुझने वाली पिपासा है। जीवन हलचल है, परिवर्तन है; और हलचल तथा परिवर्तन में सुख और शान्ति का कोई स्थान नहीं। -भगवती चरण वर्मा (चित्रलेखा, पृ. 24)
  • सत्य, आस्था और लगन जीवन-सिद्धि के मूल हैं। -अमृतलाल नागर (अमृत और विष, पृ. 437) .... और पढ़ें