"रुद्र": अवतरणों में अंतर
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* | *रुद्र को 'कृतवास' (खाल धारण करने वाला) भी कहा गया है। | ||
*[[ऐतरेय ब्राह्मण]] में कहा गया है कि 'रुद्र' की उत्पत्ति सभी देवताओं के उग्र अंशो से हुई है। | *[[ऐतरेय ब्राह्मण]] में कहा गया है कि 'रुद्र' की उत्पत्ति सभी देवताओं के उग्र अंशो से हुई है। | ||
*[[यजुर्वेद]] के 'शतरुद्रिय प्रकरण' में इसे 'पशुपति', 'शम्भू', 'शंकर', 'शिव' कहा गया है। | *[[यजुर्वेद]] के 'शतरुद्रिय प्रकरण' में इसे 'पशुपति', 'शम्भू', 'शंकर', 'शिव' कहा गया है। | ||
* | *रुद्र अनैतिक आचरणों से सम्बद्ध माने जाते थे। | ||
* | *रुद्र चिकित्सा से संरक्षण थे। | ||
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07:41, 20 जुलाई 2011 का अवतरण
मुख्य लेख : शिव
- भगवान शिव का ही नाम रुद्र है।
- रुद्र उग्र देवता था।
- उग्र रूप में 'रुद्र' तथा मंगलकारी रूप में शिव था।
- अथर्ववेद में इसे 'भूपति' 'नीलोदर', 'लोहित पृष्ठ' तथा 'नीलकण्ठ' कहा गया है।
- रुद्र को 'कृतवास' (खाल धारण करने वाला) भी कहा गया है।
- ऐतरेय ब्राह्मण में कहा गया है कि 'रुद्र' की उत्पत्ति सभी देवताओं के उग्र अंशो से हुई है।
- यजुर्वेद के 'शतरुद्रिय प्रकरण' में इसे 'पशुपति', 'शम्भू', 'शंकर', 'शिव' कहा गया है।
- रुद्र अनैतिक आचरणों से सम्बद्ध माने जाते थे।
- रुद्र चिकित्सा से संरक्षण थे।
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