"एषणा": अवतरणों में अंतर
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सबके पीछे लगी हुई है, कोई व्याकुल नयी '''एषणा'''।<ref>जय शंकर प्रसाद (कामायनी, पृष्ठ 266 | सबके पीछे लगी हुई है, कोई व्याकुल नयी '''एषणा'''।<ref>जय शंकर प्रसाद (कामायनी, पृष्ठ 266</ref></poem> | ||
|विशेष=मानव- एषणाओं में तीन प्रमुख हैं- पुत्रैषणा, वित्तैषणा, लोकैषणा। | |विशेष=मानव- एषणाओं में तीन प्रमुख हैं- पुत्रैषणा, वित्तैषणा, लोकैषणा। | ||
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12:42, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
| हिन्दी | कामना, इच्छा चाह, अभिलाषा, याचना। |
| -व्याकरण | स्त्रीलिंग |
| -उदाहरण | कर्म-चक्र सा घूम रहा है, यह गोलक बन नियति प्रेरणा। |
| -विशेष | मानव- एषणाओं में तीन प्रमुख हैं- पुत्रैषणा, वित्तैषणा, लोकैषणा। |
| -विलोम | |
| -पर्यायवाची | अनुकांक्षा, अभिप्राय, ईहा, नीयत, मनीषा, मुराद, राग, लाषा। |
| संस्कृत | इष्+णिच्+युच्+टाप् |
| अन्य ग्रंथ | |
| संबंधित शब्द | |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जय शंकर प्रसाद (कामायनी, पृष्ठ 266