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||[[चित्र:Darbarscene-Aurangzeb.jpg|right|120px|औरंगज़ेब का दरबार]]1636 ई. से 1644 ई. एवं 1652 ई. से 1657 ई. तक [[औरंगज़ेब]] [[गुजरात]], मुल्तान एवं [[सिंध]] का भी गर्वनर रहा। [[आगरा]] पर क़ब्ज़ा कर जल्दबाज़ी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक 'अबुल मुजफ़्फ़र मुहीउद्दीन मुजफ़्फ़र औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर' की उपाधि से 31 जुलाई, 1658 ई. को [[दिल्ली]] में करवाया। ‘खजुवा’ एवं ‘देवराई’ के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई, 1659 ई. को औरंगज़ेब ने दिल्ली में प्रवेश किया, जहाँ [[शाहजहाँ]] के शानदार महल में औरंगज़ेब का दूसरी बार राज्याभिषेक हुआ।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगजेब]] | ||[[चित्र:Darbarscene-Aurangzeb.jpg|right|120px|औरंगज़ेब का दरबार]]1636 ई. से 1644 ई. एवं 1652 ई. से 1657 ई. तक [[औरंगज़ेब]] [[गुजरात]], मुल्तान एवं [[सिंध]] का भी गर्वनर रहा। [[आगरा]] पर क़ब्ज़ा कर जल्दबाज़ी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक 'अबुल मुजफ़्फ़र मुहीउद्दीन मुजफ़्फ़र औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर' की उपाधि से 31 जुलाई, 1658 ई. को [[दिल्ली]] में करवाया। ‘खजुवा’ एवं ‘देवराई’ के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई, 1659 ई. को औरंगज़ेब ने दिल्ली में प्रवेश किया, जहाँ [[शाहजहाँ]] के शानदार महल में औरंगज़ेब का दूसरी बार राज्याभिषेक हुआ।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगजेब]] | ||
{[[पटना]] को | {[[पटना]] को प्रान्तीय राजधानी किसने बनाया था? | ||
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+[[शेरशाह]] ने | +[[शेरशाह]] ने |
07:59, 19 अगस्त 2011 का अवतरण
इतिहास
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