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| <quiz display=simple>
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| {किस भारतीय ने सर्वप्रथम अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिए सदन में विधेयक प्रस्तुत किया था?
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| -[[मदन मोहन मालवीय]]
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| -[[महात्मा गाँधी]]
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| +[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
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| -[[जवाहर लाल नेहरू]]
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| ||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|right|100px|गोपाल कृष्ण गोखले]]महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य [[गोपाल कृष्ण गोखले]] को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें [[भारत]] का '''ग्लेडस्टोन''' कहा जाता है। 1905 ई. में गोखले ने 'भारत सेवक समाज' की स्थापना की, ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि, वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। इसीलिए इन्होंने सबसे पहले प्राथमिक शिक्षा लागू करने के लिये सदन में विधेयक भी प्रस्तुत किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]]
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| {[[लॉर्ड लिनलिथगो]] के शासनकाल में ‘चेटफ़ील्ड कमेटी’ की नियुक्ति हुई। इसका सम्बन्ध किस विषय से था?
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| |type="()"}
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| -[[कृषि]] तथा सिंचाई सुधार
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| -मौद्रिक सुधार
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| +[[भारतीय सेना]] का आधुनिकीकरण
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| -प्रान्तीय स्वायत्तता
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| {अपनी दानशीलता के लिए किस भारतीय को ‘प्रिंस’ की उपाधि मिली थी?
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| -[[लाला लाजपत राय]]
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| -[[जवाहर लाल नेहरू]]
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| +[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]]
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| -[[दादाभाई नौरोजी]]
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| ||'देवेन्द्रनाथ ठाकुर' [[कलकत्ता]] निवासी श्री [[द्वारकानाथ ठाकुर]] के पुत्र थे, जो प्रख्यात विद्वान और धार्मिक नेता थे। देवेन्द्रनाथ ठाकुर को अपनी दानशीलता के कारण 'प्रिंस' की उपाधि प्राप्त हुई थी। [[पिता]] से उन्होंने ऊँची सामाजिक प्रतिष्ठा तथा ऋण उत्तराधिकार में प्राप्त किया था। [[नोबेल पुरस्कार]] विजेता [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]], देवेन्द्रनाथ ठाकुर के पुत्र थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[देवेन्द्रनाथ ठाकुर]]
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| {निम्न में से किस व्यक्ति को ‘बिना ताज का बादशाह’ कहा जाता है?
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| -[[बाल गंगाधर तिलक]]
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| +[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]
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| -[[राजा राममोहन राय]]
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| -[[महात्मा गाँधी]]
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| ||[[चित्र:Surendranath-Banerjee.jpg|right|120px|सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने [[बंगाल]] के विभाजन का घोर विरोध किया और उसके विरोध में ज़बर्दस्त आंदोलन चलाया, जिससे वे बंगाल के निर्विवाद रूप से नेता मान लिये गये। वे बंगाल के '''बिना ताज़ के बादशाह''' कहलाने लगे थे। बंगाल का विभाजन 1911 ई. में रद्द कर दिया गया, जो [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] की एक बहुत बड़ी जीत थी। लेकिन इस समय तक देशवासियों में एक नया वर्ग पैदा हो गया था, जिसका विचार था कि [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के वैधानिक आंदोलन विफल सिद्ध हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]
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| {‘[[मुस्लिम लीग]]’ ने अपने किस अधिवेशन में ‘डिवाइड एण्ड क्विट’ का नारा दिया था?
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| -लाहौर अधिवेशन, 1940 ई.
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| -कराची अधिवेशन, 1933 ई.
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| +कराची अधिवेशन, 1943 ई.
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| -लखनऊ अधिवेशन, 1931 ई.
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| {‘[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]]’ अन्तिम रूप से कब वापस लिया गया?
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| |type="()"}
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| -15 मार्च, 1933 ई.
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| -31 जुलाई, 1934 ई.
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| -5 मार्च, 1931 ई.
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| +7 अप्रैल, 1934 ई.
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| {[[मुसलमान|मुस्लिमों]] ने ‘[[असहयोग आन्दोलन]]’ में भाग लिया। इसका मुख्य कारण क्या था?
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| |type="()"}
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| -1931 ई. का [[मुस्लिम लीग]] का प्रस्ताव
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| -1916 ई. का 'लखनऊ एक्ट'
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| +'ख़िलाफ़त आन्दोलन' में मिला सहयोग
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| -[[मोहम्मद अली जिन्ना|जिन्ना]] के विशेष अनुरोध पर
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| {‘[[साइमन कमीशन]]’ का वह कौन-सा सदस्य था, जो बाद में [[ब्रिटेन]] का [[प्रधानमंत्री]] बना?
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| |type="()"}
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| -रैम्जे मैकडोनाल्ड
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| -विन्स्टन चर्चिल
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| -सैमुअल होर
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| +[[एटली|क्लीमेंट एटली]]
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| {किस सत्याग्रह को ‘दिल्ली चलो सत्याग्रह’ के नाम से भी जाना जाता है?
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| |type="()"}
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| +व्यक्तिगत सत्याग्रह
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| -भारत छोड़ो आन्दोलन
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| -[[बारदोली सत्याग्रह]]
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| -[[नमक सत्याग्रह]]
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| {‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना 1929 ई. में हुई थी। इसके संस्थापक कौन थे?
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| |type="()"}
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| -[[सुखदेव]]
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| -[[चन्द्रशेखर आज़ाद]]
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| +[[भगत सिंह]]
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| -[[बटुकेश्वर दत्त]]
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| ||[[चित्र:Bhagat-Singh.gif|right|110px|सरदार भगत सिंह]][[कानपुर]] में [[भगत सिंह]] को श्री गणेश शंकर विद्यार्थी का हार्दिक सहयोग भी प्राप्त हुआ था। देश की स्वतंत्रता के लिए अखिल भारतीय स्तर पर क्रान्तिकारी दल का पुनर्गठन करने का श्रेय सरदार भगत सिंह को ही जाता है। उन्होंने कानपुर के 'प्रताप' में 'बलवंत सिंह' के नाम से तथा [[दिल्ली]] में 'अर्जुन' के सम्पादकीय विभाग में 'अर्जुन सिंह' के नाम से कुछ समय काम किया और अपने को 'नौजवान भारत सभा' से भी सम्बद्ध रखा, जिसकी स्थापना उन्होंने की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भगत सिंह]]
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| {‘[[मुस्लिम लीग]]’ ने किस दिन को ‘पाकिस्तान दिवस’ के रूप में मनाया?
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| |type="()"}
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| -23 जून, 1944 ई.
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| -25 मार्च, 1944 ई.
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| -21 सितम्बर, 1946 ई.
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| +27 मार्च, 1947 ई.
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| {[[जवाहर लाल नेहरू]] ने किसे ‘गुमराह देशभक्त’ की संज्ञा दी थी?
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| |type="()"}
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| -समाजवादी कांग्रेसियों को
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| -कम्युनिस्टों को
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| +[[आजाद हिन्द फ़ौज|आज़ाद हिन्द फौज]] के जवानों को
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| -उग्रवादी क्रान्तिकारियों को
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| ||[[चित्र:Azad-Hind-Fauj.jpg|right|120px|आज़ाद हिन्द फ़ौज का ध्वज]]'नेताजी' के नाम से विख्यात [[सुभाषचन्द्र बोस]] ने सशक्त क्रान्ति द्वारा [[भारत]] को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की तथा '[[आजाद हिन्द फ़ौज|आज़ाद हिन्द फौज]]' का गठन किया। इस संगठन के प्रतीक चिह्न पर एक झंडे पर दहाड़ते हुए [[बाघ]] का चित्र बना होता था। 'क़दम-क़दम बढाए जा, खुशी के गीत गाए' जा-इस संगठन का वह गीत था, जिसे गुनगुना कर संगठन के सेनानी जोश और उत्साह से भर उठते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आजाद हिन्द फ़ौज|आज़ाद हिन्द फौज]]
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| {किस घटना के पश्चात् [[महात्मा गाँधी]] ने ब्रिटिश सरकार को 'शैतानी लोग' कहा था?
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| |type="()"}
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| -[[जलियाँवाला बाग़]] हत्याकाण्ड
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| +[[रौलट एक्ट]] पास होने के समय
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| -[[साम्प्रदायिक निर्णय]] के पश्चात्
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| 1942 ई. में क्रान्तिकारियों पर हवाई हमलों के बाद
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| ||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-1.jpg|right|120px|महात्मा गाँधी]][[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] द्वारा जनतांत्रिक अधिकारों का विकास करने के बजाय नागरिक अधिकारों पर और ज़्यादा अंकुश लगाने से देश में असंतोष की लहर सी उमड़ पड़ी थी। इसके परिणामस्वरूप [[रौलट एक्ट]] के ख़िलाफ़ एक ज़बरदस्त आंदोलन उठ खड़ा हुआ। इस आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी आंदोलन की बाग़डोर एक नये नेता [[महात्मा गाँधी|मोहनदास करमचंद गाँधी]] ने सँभाली, जिन्होंने इस एक्ट के पास होने पर अंग्रेज़ी सरकार को शैतानों के नाम से पुकारा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रौलट एक्ट]]
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| {किस भारतीय ने देश के बाहर सर्वप्रथम गणतंत्रात्मक सरकार की स्थापना की थी?
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| |type="()"}
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| -[[सुभाष चन्द्र बोस]]
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| +राजा महेन्द्र प्रताप
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| -रासबिहारी बोस
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| -मोहन सिंह
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| {निम्न में से किस [[वायसराय]] का सम्बन्ध ‘ब्रेक-डायन-प्लान’ से था?
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| |type="()"}
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| +[[लॉर्ड वेवेल]]
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| -[[लॉर्ड इरविन]]
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| -[[लॉर्ड रीडिंग]]
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| -[[लॉर्ड माउण्ट बेटन]]
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| </quiz>
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