"मूल नक्षत्र": अवतरणों में अंतर
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05:54, 20 अगस्त 2011 का अवतरण
अर्थ - जड़
देव - निरित्ती
- मूल नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं।
- यह ये ये भा भी के नाम से जाना जाता है।
- नक्षत्र का स्वामी केतु है।
- वहीं राशि स्वामी गुरु है।
- मूल में राक्षसों का व्रत और पूजन किया जाता है।
- मूल नक्षत्र के देवता केतु को माना जाता है|
- साल के पेड़ को मूल नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग साल वृक्ष की पूजा करते है।
- इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के ख़ाली हिस्से में साल के पेड को लगाते है
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