"अवधान शैली": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (श्रेणी:साहित्य (को हटा दिया गया हैं।)) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*अवधान शैली तेलगु की एक अनुपम साहित्यिक विशेषता है। | *अवधान शैली तेलगु की एक अनुपम साहित्यिक विशेषता है। | ||
*'अवधान' में कवि की विद्वत्ता, काव्यशक्ति और कठोर साधना से प्राप्त चित्त की एकाग्रता और चमत्कारी धारणाशक्ति की परीक्षा होती है। | *'अवधान' में कवि की विद्वत्ता, काव्यशक्ति और कठोर साधना से प्राप्त चित्त की एकाग्रता और चमत्कारी धारणाशक्ति की परीक्षा होती है। | ||
*अवधान शैली में 'अष्टावधान' और 'शतावधान' अधिक प्रचलित हैं परंतु 'सहस्रावधान' भी होता है। | *अवधान शैली में 'अष्टावधान' और 'शतावधान' अधिक प्रचलित हैं परंतु 'सहस्रावधान' भी होता है। | ||
* 'अष्टावधान' में अष्टावधानी व्यक्ति के चारों ओर आठ व्यक्ति बैठते हैं और भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रश्न पूछते हैं या समस्या उत्पन्न करते हैं जिनमें अनेक का [[साहित्य|साहित्यिक]] रूप होता है। अष्टावधानी उन्हें ध्यान में रखकर बाद में ठीक क्रम से कविता में उत्तर देता है जिसमें आठ [[छन्द]] होते हैं। | * 'अष्टावधान' में अष्टावधानी व्यक्ति के चारों ओर आठ व्यक्ति बैठते हैं और भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रश्न पूछते हैं या समस्या उत्पन्न करते हैं जिनमें अनेक का [[साहित्य|साहित्यिक]] रूप होता है। | ||
*अष्टावधानी उन्हें ध्यान में रखकर बाद में ठीक क्रम से कविता में उत्तर देता है जिसमें आठ [[छन्द]] होते हैं। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
[[Category:पद्य साहित्य]] | [[Category:पद्य साहित्य]] | ||
[[Category:साहित्य कोश]] | [[Category:साहित्य कोश]] | ||
[[Category: | [[Category:साहित्य्]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:43, 20 अगस्त 2011 का अवतरण
- अवधान शैली तेलगु की एक अनुपम साहित्यिक विशेषता है।
- 'अवधान' में कवि की विद्वत्ता, काव्यशक्ति और कठोर साधना से प्राप्त चित्त की एकाग्रता और चमत्कारी धारणाशक्ति की परीक्षा होती है।
- अवधान शैली में 'अष्टावधान' और 'शतावधान' अधिक प्रचलित हैं परंतु 'सहस्रावधान' भी होता है।
- 'अष्टावधान' में अष्टावधानी व्यक्ति के चारों ओर आठ व्यक्ति बैठते हैं और भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रश्न पूछते हैं या समस्या उत्पन्न करते हैं जिनमें अनेक का साहित्यिक रूप होता है।
- अष्टावधानी उन्हें ध्यान में रखकर बाद में ठीक क्रम से कविता में उत्तर देता है जिसमें आठ छन्द होते हैं।
|
|
|
|
|