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| {| style="background:transparent; float:right"
| | #REDIRECT [[चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर]] |
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| {{सूचना बक्सा कविता
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| |चित्र=Dinkar.jpg
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| |चित्र का नाम=रामधारी सिंह दिनकर
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| |कवि=[[रामधारी सिंह दिनकर]]
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| |जन्म=[[23 सितंबर]], सन 1908
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| |जन्म स्थान=सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]])
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| |मृत्यु= [[24 अप्रैल]], सन 1974
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| |मृत्यु स्थान= [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]]
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| |मुख्य रचनाएँ=
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| |यू-ट्यूब लिंक=
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| |शीर्षक 1=
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| |पाठ 1=
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| |शीर्षक 2=
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| |पाठ 2=
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| |बाहरी कड़ियाँ=
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| }}
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| <div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
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| {| align="center"
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| ! रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ
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| <div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
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| {{रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ}}
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| </div></div>
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| {{Poemopen}}
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| <poem>
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| हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला
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| सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला
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| सन सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ
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| ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ
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| आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का
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| न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का
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| बच्चे की सुन बात, कहा माता ने 'अरे सलोने`
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| कुशल करे भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने
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| जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ
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| एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ
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| कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा
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| बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा
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| घटता-बढ़ता रोज, किसी दिन ऐसा भी करता है
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| नहीं किसी की भी आँखों को तू दिखलाई पड़ता है
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| अब तू ही ये बता, नाप तेरी किस रोज लिवायें
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| सी दे एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये
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| </poem>
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| ==संबंधित लेख==
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| {{भारत के कवि}}
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| [[Category:पद्य साहित्य]][[Category:रामधारी सिंह दिनकर]][[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]]
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