"बृहस्पति -आंगिरस": अवतरणों में अंतर
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*[[पद्म पुराण]] के सन्दर्भ में [[अंगिरा]] [[ब्रह्मा]] के मानस पुत्र हैं। आंगिरस बृहस्पति अंगिरा के पुत्र एवं ब्रह्मा के पौत्र हैं। फलत: इनकी देवों में गणना होती है। इस प्रकार देव गुरु बृहस्पति एवं आंगिरस बृहस्पति में कोई भेद नहीं माना जा सकता। देवों की संरक्षा के लिए देवताओं के गुरु द्वारा असुरों को प्रदत्त उपदेश विभिन्न लोकों में आयत हो गया यह कथन देव गुरु बृहस्पति के सन्दर्भ में विश्वसनीय नहीं हो सकता। असुर अपने गुरु [[शुक्राचार्य]] के रहते देवगुरु के उपदेश को क्यों आदर देंगे? अत: देवगुरु से अतिरिक्त कोई चार्वाक दर्शन का प्रवर्त्तक होना अपेक्षित है। | *[[पद्म पुराण]] के सन्दर्भ में [[अंगिरा]] [[ब्रह्मा]] के मानस पुत्र हैं। आंगिरस बृहस्पति अंगिरा के पुत्र एवं ब्रह्मा के पौत्र हैं। फलत: इनकी देवों में गणना होती है। इस प्रकार देव गुरु बृहस्पति एवं आंगिरस बृहस्पति में कोई भेद नहीं माना जा सकता। देवों की संरक्षा के लिए [[देवता|देवताओं]] के गुरु द्वारा [[असुर|असुरों]] को प्रदत्त उपदेश विभिन्न लोकों में आयत हो गया यह कथन देव गुरु बृहस्पति के सन्दर्भ में विश्वसनीय नहीं हो सकता। असुर अपने गुरु [[शुक्राचार्य]] के रहते देवगुरु के उपदेश को क्यों आदर देंगे? अत: देवगुरु से अतिरिक्त कोई [[चार्वाक दर्शन]] का प्रवर्त्तक होना अपेक्षित है। | ||
13:45, 20 अगस्त 2011 का अवतरण
बृहस्पति | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बृहस्पति (बहुविकल्पी) |
- पद्म पुराण के सन्दर्भ में अंगिरा ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं। आंगिरस बृहस्पति अंगिरा के पुत्र एवं ब्रह्मा के पौत्र हैं। फलत: इनकी देवों में गणना होती है। इस प्रकार देव गुरु बृहस्पति एवं आंगिरस बृहस्पति में कोई भेद नहीं माना जा सकता। देवों की संरक्षा के लिए देवताओं के गुरु द्वारा असुरों को प्रदत्त उपदेश विभिन्न लोकों में आयत हो गया यह कथन देव गुरु बृहस्पति के सन्दर्भ में विश्वसनीय नहीं हो सकता। असुर अपने गुरु शुक्राचार्य के रहते देवगुरु के उपदेश को क्यों आदर देंगे? अत: देवगुरु से अतिरिक्त कोई चार्वाक दर्शन का प्रवर्त्तक होना अपेक्षित है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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