"कपिशा नदी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
*[[कालिदास]] ने [[रघुवंश]] 4,38 में इस नदी का उल्लेख किया है-  
[[कालिदास]] ने [[रघुवंश]] 4,38 में इस नदी का उल्लेख किया है-  
<poem>'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्धिरदसेतुभि:,  
<poem>'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्धिरदसेतुभि:,  
उत्कलादर्शितपथ: कर्लिंगाभिमुखोययौ'।</poem>
उत्कलादर्शितपथ: कर्लिंगाभिमुखोययौ'।</poem>
यह वर्णन [[रघु]] की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में वंगविजय के ठीक पश्चात और और [[कलिंग]] विजय के पूर्व है जिससे जान पड़ता है कि यह नदी वर्तमान कोश्या है जिसके दक्षिण तट पर [[ताम्रलिप्ति]] (तामलुक, ज़िला मिदनापुर, [[पश्चिम बंगाल]]) बसा हुआ था। यह भी प्राय: निश्चित जान पड़ता है कि [[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]] 30,32 में उल्लिखित कौशिकी कोश्या या [[कालिदास]] की कपिशा है-  
*यह वर्णन [[रघु]] की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में वंगविजय के ठीक पश्चात और और [[कलिंग]] विजय के पूर्व है जिससे जान पड़ता है कि यह नदी वर्तमान कोश्या है जिसके दक्षिण तट पर [[ताम्रलिप्ति]] (तामलुक, ज़िला मिदनापुर, [[पश्चिम बंगाल]]) बसा हुआ था।  
*यह भी प्राय: निश्चित जान पड़ता है कि [[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]]<ref>विराट पर्व 30,32</ref> में उल्लिखित कौशिकी कोश्या या [[कालिदास]] की कपिशा है-  
<poem>'तत: पुंड्राधिपंवीर वासुदेवं महाबलम्।  
<poem>'तत: पुंड्राधिपंवीर वासुदेवं महाबलम्।  
कौशिकीकच्छनिलयं राजानं च महौजसम्'।</poem>  
कौशिकीकच्छनिलयं राजानं च महौजसम्'।</poem>  
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
[[Category:भारत की नदियाँ]]
[[Category:भारत की नदियाँ]]
[[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:कालिदास]]
__INDEX__
__INDEX__

12:08, 24 अगस्त 2011 का अवतरण

'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्धिरदसेतुभि:,
उत्कलादर्शितपथ: कर्लिंगाभिमुखोययौ'।

  • यह वर्णन रघु की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में वंगविजय के ठीक पश्चात और और कलिंग विजय के पूर्व है जिससे जान पड़ता है कि यह नदी वर्तमान कोश्या है जिसके दक्षिण तट पर ताम्रलिप्ति (तामलुक, ज़िला मिदनापुर, पश्चिम बंगाल) बसा हुआ था।
  • यह भी प्राय: निश्चित जान पड़ता है कि विराट पर्व[1] में उल्लिखित कौशिकी कोश्या या कालिदास की कपिशा है-

'तत: पुंड्राधिपंवीर वासुदेवं महाबलम्।
कौशिकीकच्छनिलयं राजानं च महौजसम्'।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विराट पर्व 30,32

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख