"वे आँखें -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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घर में विधवा रही पतोहू, | घर में विधवा रही पतोहू, | ||
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन, | लछमी थी, यद्यपि पति घातिन, | ||
पकड़ मँगाया कोतवाल | पकड़ मँगाया कोतवाल ने, | ||
डूब कुँए में मरी एक दिन! | डूब कुँए में मरी एक दिन! | ||
ख़ैर, पैर की जूती, जोरू | ख़ैर, पैर की जूती, जोरू | ||
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क्षण भर एक चमक है लाती, | क्षण भर एक चमक है लाती, | ||
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन | तुरत शून्य में गड़ वह चितवन | ||
तीखी | तीखी नोंक सदृश बन जाती। | ||
मानव की चेतना न ममता | मानव की चेतना न ममता | ||
रहती तब आँखों में उस क्षण! | रहती तब आँखों में उस क्षण! |
10:52, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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अंधकार की गुहा सरीखी |
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