"दो लड़के -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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मेरे आँगन में, (टीले पर है मेरा घर) | मेरे आँगन में, (टीले पर है मेरा घर) | ||
दो छोटे-से लड़के आ जाते है अकसर! | दो छोटे-से लड़के आ जाते है अकसर! | ||
नंगे तन, गदबदे, | नंगे तन, गदबदे, साँवले, सहज छबीले, | ||
मिट्टी के मटमैले पुतले, - पर फुर्तीले। | मिट्टी के मटमैले पुतले, - पर फुर्तीले। | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
वे चुन ले जाते कूड़े से निधियाँ सुन्दर- | वे चुन ले जाते कूड़े से निधियाँ सुन्दर- | ||
सिगरेट के खाली डिब्बे, पन्नी चमकीली, | सिगरेट के खाली डिब्बे, पन्नी चमकीली, | ||
फीतों के टुकड़े, | फीतों के टुकड़े, तस्वीरें नीली पीली | ||
मासिक पत्रों के कवरों की, औ | मासिक पत्रों के कवरों की, औ' बन्दर से | ||
किलकारी भरते हैं, खुश हो-हो अन्दर से। | किलकारी भरते हैं, खुश हो-हो अन्दर से। | ||
दौड़ पार आँगन के फिर हो जाते ओझल | दौड़ पार आँगन के फिर हो जाते ओझल | ||
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वह्नि, बाढ, उल्का, झंझा की भीषण भू पर | वह्नि, बाढ, उल्का, झंझा की भीषण भू पर | ||
कैसे रह सकता है कोमल मनुज कलेवर? | कैसे रह सकता है कोमल मनुज कलेवर? | ||
निष्ठुर है जड़ प्रकृति, सहज | निष्ठुर है जड़ प्रकृति, सहज भंगुर जीवित जन, | ||
मानव को चाहिए जहाँ, मनुजोचित साधन! | मानव को चाहिए जहाँ, मनुजोचित साधन! | ||
क्यों न एक हों मानव-मानव सभी परस्पर | क्यों न एक हों मानव-मानव सभी परस्पर |
10:54, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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मेरे आँगन में, (टीले पर है मेरा घर) |
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