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नभ की है उस नीली चुप्पी पर
नभ की है उस नीली चुप्पी पर
घंटा है एक टंगा सुन्दर,
घंटा है एक टंगा सुन्दर,
जो घडी घडी मन के भीतर
जो घड़ी घड़ी मन के भीतर
कुछ कहता रहता बज बज कर।
कुछ कहता रहता बज बज कर।
परियों के बच्चों से प्रियतर,
परियों के बच्चों से प्रियतर,
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डूबे प्रकाश में दिशा छोर
डूबे प्रकाश में दिशा छोर
अब हुआ भोर, अब हुआ भोर!"
अब हुआ भोर, अब हुआ भोर!"
"आई सोने की नई प्रात
"आई सोने की नई प्रात:
कुछ नया काम हो, नई बात,
कुछ नया काम हो, नई बात,
तुम रहो स्वच्छ मन, स्वच्छ गात,
तुम रहो स्वच्छ मन, स्वच्छ गात,
निद्रा छोडो, रे गई, रात!  
निद्रा छोडो, रे गई, रात!  
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11:42, 29 अगस्त 2011 का अवतरण

घंटा -सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

नभ की है उस नीली चुप्पी पर
घंटा है एक टंगा सुन्दर,
जो घड़ी घड़ी मन के भीतर
कुछ कहता रहता बज बज कर।
परियों के बच्चों से प्रियतर,
फैला कोमल ध्वनियों के पर
कानों के भीतर उतर उतर
घोंसला बनाते उसके स्वर।
भरते वे मन में मधुर रोर
"जागो रे जागो, काम चोर!
डूबे प्रकाश में दिशा छोर
अब हुआ भोर, अब हुआ भोर!"
"आई सोने की नई प्रात:
कुछ नया काम हो, नई बात,
तुम रहो स्वच्छ मन, स्वच्छ गात,
निद्रा छोडो, रे गई, रात!









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