"घंटा -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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नभ की है उस नीली चुप्पी पर | नभ की है उस नीली चुप्पी पर | ||
घंटा है एक टंगा सुन्दर, | घंटा है एक टंगा सुन्दर, | ||
जो | जो घड़ी घड़ी मन के भीतर | ||
कुछ कहता रहता बज बज कर। | कुछ कहता रहता बज बज कर। | ||
परियों के बच्चों से प्रियतर, | परियों के बच्चों से प्रियतर, | ||
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डूबे प्रकाश में दिशा छोर | डूबे प्रकाश में दिशा छोर | ||
अब हुआ भोर, अब हुआ भोर!" | अब हुआ भोर, अब हुआ भोर!" | ||
"आई सोने की नई प्रात | "आई सोने की नई प्रात: | ||
कुछ नया काम हो, नई बात, | कुछ नया काम हो, नई बात, | ||
तुम रहो स्वच्छ मन, स्वच्छ गात, | तुम रहो स्वच्छ मन, स्वच्छ गात, | ||
निद्रा छोडो, रे गई, रात! | निद्रा छोडो, रे गई, रात! | ||
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11:42, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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नभ की है उस नीली चुप्पी पर |
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