"आजाद -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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पूछा, 'हजरत बंदे को शक | पूछा, 'हजरत बंदे को शक | ||
है आजाद कहां तक इंसा | है आजाद कहां तक इंसा | ||
दुनिया में,पाबंद कहां तक?' | दुनिया में, पाबंद कहां तक?' | ||
'खड़े रहो!' बोले रसूल तब, | 'खड़े रहो!' बोले रसूल तब, | ||
'अच्छा, पैर उठाओ | 'अच्छा, पैर उठाओ ऊपर' | ||
' | 'जैसा हुक्म!' मुरीद सामने | ||
खड़ा हो गया एक पैर पर! | खड़ा हो गया एक पैर पर! | ||
'ठीक , दूसरा पैर उठाओ ' | 'ठीक , दूसरा पैर उठाओ ' | ||
बोले हंस कर नबी फिर | बोले हंस कर नबी फिर तुरंत, | ||
बार बार गिर, कहा शिष्य ने | बार बार गिर, कहा शिष्य ने | ||
'यह तो नामुमकिन है हजरत' | 'यह तो नामुमकिन है हजरत' | ||
'हो | 'हो आज़ाद यहां तक, कहता | ||
तुमसे एक पैर उठ उपर, | तुमसे एक पैर उठ उपर, | ||
बंधे हुए दुनिया से, कहता | बंधे हुए दुनिया से, कहता | ||
पैर दूसरा अड़ा जमीं पर!' - | पैर दूसरा अड़ा जमीं पर!' - | ||
पैगम्बर का था यह उत्तर! | |||
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12:43, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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पैगम्बर के एक शिष्य ने |
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