"मेहरगढ़": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
कालांतर में यहाँ, [[हड़प्पा सभ्यता|हडप्पा]] के शहरीकरण के पूर्ववर्ती काल में, मेहरगढ़ के निवासियों ने एक समय उपनगर बसाया था। वे पत्थरों की कई प्रकार की मालाएँ बनाते थे। वे एक कीमती पत्थर 'लाजवर्द मणि' का प्रयोग करते थे, जो केवल [[एशिया|मध्य एशिया]] के बदख़्शां में पाया जाता है। बहुत सी मोहरों एवं ठप्पों का भी पता चला है। मिट्टी के बर्तनों के डिज़ायनों, मिट्टी की बनी मूर्तियों, तांबे और पत्थर की वस्तुओं से पता चलता है कि इन लोगों का [[ईरान]] के निकटवर्ती नगरों के साथ घनिष्ट सम्बंध था।   
कालांतर में यहाँ, [[हड़प्पा सभ्यता|हडप्पा]] के शहरीकरण के पूर्ववर्ती काल में, मेहरगढ़ के निवासियों ने एक समय उपनगर बसाया था। वे पत्थरों की कई प्रकार की मालाएँ बनाते थे। वे एक कीमती पत्थर 'लाजवर्द मणि' का प्रयोग करते थे, जो केवल [[एशिया|मध्य एशिया]] के बदख़्शां में पाया जाता है। बहुत सी मोहरों एवं ठप्पों का भी पता चला है। मिट्टी के बर्तनों के डिज़ायनों, मिट्टी की बनी मूर्तियों, तांबे और पत्थर की वस्तुओं से पता चलता है कि इन लोगों का [[ईरान]] के निकटवर्ती नगरों के साथ घनिष्ट सम्बंध था।   


 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
पंक्ति 18: पंक्ति 17:
[[Category:मिहरगढ़ संस्कृति]]
[[Category:मिहरगढ़ संस्कृति]]
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:इतिहास_कोश]]

06:58, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण

मेहरगढ़ उस स्थान पर स्थित है, जहाँ सिंधु नदी के कछारी मैदान और वर्तमान पाकिस्तान और ईरान के सीमांत प्रदेश के पठार मिलते हैं। इस प्रकार मेहरगढ़ पाक़िस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 'बोलन दर्रे' के निकट स्थित है। यहाँ से कृषक समुदाय के उद्भव के भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे प्राचीन प्रमाण प्राप्त हुए हैं। यह स्थान अस्थायी मानव आवास के रूप प्रयुक्त हुआ था तथा सम्भवत: सातवीं सहस्त्राब्दी ई.पू. में यहाँ एक मानव बस्ती अस्तित्व में आ गयी थी।

फसल

इस स्थान पर लोग गेहूँ, जौ, एवं खजूर पैदा करते थे और भेड़, बकरियाँ तथा मवेशी पालते थे। यहाँ के लोग कच्चे मकानों में रहते थे।

कालांतर में यहाँ, हडप्पा के शहरीकरण के पूर्ववर्ती काल में, मेहरगढ़ के निवासियों ने एक समय उपनगर बसाया था। वे पत्थरों की कई प्रकार की मालाएँ बनाते थे। वे एक कीमती पत्थर 'लाजवर्द मणि' का प्रयोग करते थे, जो केवल मध्य एशिया के बदख़्शां में पाया जाता है। बहुत सी मोहरों एवं ठप्पों का भी पता चला है। मिट्टी के बर्तनों के डिज़ायनों, मिट्टी की बनी मूर्तियों, तांबे और पत्थर की वस्तुओं से पता चलता है कि इन लोगों का ईरान के निकटवर्ती नगरों के साथ घनिष्ट सम्बंध था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख