"बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-3": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{बृहदारण्यकोपनिषद}}") |
||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{बृहदारण्यकोपनिषद}} | |||
[[Category:बृहदारण्यकोपनिषद]] | [[Category:बृहदारण्यकोपनिषद]] | ||
[[Category:दर्शन कोश]] | [[Category:दर्शन कोश]] |
07:23, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण
इस अध्याय में नौ ब्राह्मण हैं।
मुख्य लेख : बृहदारण्यकोपनिषद
- इनके अन्तर्गत राजा जनक के यज्ञ में याज्ञवल्क्य ऋषि से विभिन्न तत्त्ववेत्ताओं द्वारा प्रश्न पूछे गये हैं और उनके उत्तर प्राप्त किये गये हैं।
- गार्गी द्वारा बार-बार प्रश्न पूछ जाने पर याज्ञवल्क्य उसे अपमानित करके रोक देते हैं।
- पुन: सभा की अनुमति से उसके द्वारा प्रश्न पूछे जाते हैं।
- वह उनसे अपनी पराजय स्वीकार कर लेती है।
- इसी प्रकार शाकल्य ऋषि अतिप्रश्न करने के कारण अपमानित होते हैं।
- इसी का उल्लेख प्रश्नोत्तर रूप में यहाँ किया गया है।
- इनमें भारतीय 'तत्त्व-दर्शन' का निचोड़ प्राप्त होता है।
- जो इस प्रकार है:-
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख