"युगाद्या शक्तिपीठ": अवतरणों में अंतर

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*युगाद्या शक्तिपीठ [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] के पूर्वी रेलवे के वर्धवान जंक्शन से 39 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा कटवा से 21 कि.मी दक्षिण-पश्चिम में महाकुमार-मंगलकोट थानांतर्गत क्षीरग्राम में स्थित है- युगाद्या शक्तिपीठ, जहाँ की अधिष्ठात्री देवी हैं- युगाद्या तथा भैरव हैं- क्षीर कण्टक।  
*युगाद्या शक्तिपीठ [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] के पूर्वी रेलवे के वर्धवान जंक्शन से 39 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा कटवा से 21 कि.मी दक्षिण-पश्चिम में महाकुमार-मंगलकोट थानांतर्गत क्षीरग्राम में स्थित है- युगाद्या शक्तिपीठ, जहाँ की अधिष्ठात्री देवी हैं- युगाद्या तथा भैरव हैं- क्षीर कण्टक।  
*तंत्र चूड़ामणि के अनुसार यहाँ माता "सती के दाहिने चरण का अँगूठा" गिरा था-


तंत्र चूड़ामणि के अनुसार यहाँ माता "सती के दाहिने चरण का अँगूठा" गिरा था-
<poem>'भूतधात्रीमहामाया भैरव: क्षीरकंटक:। युगाद्यायां महादेवी दक्षिणागुंष्ठ: पदो मम।'</poem>


'भूतधात्रीमहामाया भैरव: क्षीरकंटक:। युगाद्यायां महादेवी दक्षिणागुंष्ठ: पदो मम।'
*यहाँ माता सती को "भूतधात्री" तथा भगवन शिव को "क्षीरकंटक" अर्थात "युगाध" कहा जाता है।
 
*इस मंदिर में एक यात्री निवास भी है तथा यहाँ बर्दवान से बस द्वारा भी पहुँचा जा सकता है।
यहाँ माता सती को "भूतधात्री" तथा भगवन शिव को "क्षीरकंटक" अर्थात "युगाध" कहा जाता है।
*[[त्रेता युग]] में महिरावण ने पाताल में जिस काली की उपासना की थी, वह युगाद्या ही थीं।  
 
*कहा जाता है कि महिरावण की कैद से छुड़ाकर [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को पाताल से लेकर लौटते हुए [[हनुमान]] जी देवी को भी अपने साथ लाए तथा क्षीरग्राम में उन्हें स्थापित किया।  
इस मंदिर में एक यात्री निवास भी है तथा यहाँ बर्दवान से बस द्वारा भी पहुँचा जा सकता है।
*क्षीरग्राम की भूतधात्री महामाया के साथ देवी युगाद्या की भद्रकाली मूर्ति एक हो गई और देवी का नाम योगाद्या या युगाद्या हो गया।
 
*बंगला के अनेक ग्रंथों के अलावा गंधर्वतंत्र, साधक चूड़ामणि, शिवचरित तथा कृत्तिवासी रामायण में इस देवी का वर्णन मिलता है।
त्रेता युग में महिरावण ने पाताल में जिस काली की उपासना की थी, वह युगाद्या ही थीं। कहा जाता है कि महिरावण की कैद से छुड़ाकर राम-लक्ष्मण को पाताल से लेकर लौटते हुए हनुमान जी देवी को भी अपने साथ लाए तथा क्षीरग्राम में उन्हें स्थापित किया। क्षीरग्राम की भूतधात्री महामाया के साथ देवी युगाद्या की भद्रकाली मूर्ति एक हो गई और देवी का नाम योगाद्या या युगाद्या हो गया।
बंगला के अनेक ग्रंथों के अलावा गंधर्वतंत्र, साधक चूड़ामणि, शिवचरित तथा कृत्तिवासी रामायण में इस देवी का वर्णन मिलता है।





08:43, 13 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • युगाद्या शक्तिपीठ बंगाल के पूर्वी रेलवे के वर्धवान जंक्शन से 39 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा कटवा से 21 कि.मी दक्षिण-पश्चिम में महाकुमार-मंगलकोट थानांतर्गत क्षीरग्राम में स्थित है- युगाद्या शक्तिपीठ, जहाँ की अधिष्ठात्री देवी हैं- युगाद्या तथा भैरव हैं- क्षीर कण्टक।
  • तंत्र चूड़ामणि के अनुसार यहाँ माता "सती के दाहिने चरण का अँगूठा" गिरा था-

'भूतधात्रीमहामाया भैरव: क्षीरकंटक:। युगाद्यायां महादेवी दक्षिणागुंष्ठ: पदो मम।'

  • यहाँ माता सती को "भूतधात्री" तथा भगवन शिव को "क्षीरकंटक" अर्थात "युगाध" कहा जाता है।
  • इस मंदिर में एक यात्री निवास भी है तथा यहाँ बर्दवान से बस द्वारा भी पहुँचा जा सकता है।
  • त्रेता युग में महिरावण ने पाताल में जिस काली की उपासना की थी, वह युगाद्या ही थीं।
  • कहा जाता है कि महिरावण की कैद से छुड़ाकर राम-लक्ष्मण को पाताल से लेकर लौटते हुए हनुमान जी देवी को भी अपने साथ लाए तथा क्षीरग्राम में उन्हें स्थापित किया।
  • क्षीरग्राम की भूतधात्री महामाया के साथ देवी युगाद्या की भद्रकाली मूर्ति एक हो गई और देवी का नाम योगाद्या या युगाद्या हो गया।
  • बंगला के अनेक ग्रंथों के अलावा गंधर्वतंत्र, साधक चूड़ामणि, शिवचरित तथा कृत्तिवासी रामायण में इस देवी का वर्णन मिलता है।



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