|
|
पंक्ति 133: |
पंक्ति 133: |
| * स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन | | * स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन |
| * मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा | | * मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा |
| | |
| | '''इतिहास''' |
| | * पुरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए इतिहास और अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है - महाभारत |
| | * इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने आप को दोहराता है - विनोबा |
| | |
| | '''इंद्रियां''' |
| | * जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर लिया है, उसे स्त्री तिनके के जान पड़ती है - चाणक्य |
| | * अविवेकी और चंचल आदमी की इंद्रियां बेखबर सारथी के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं - कठोपनिषद |
| | * जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है - महाभारत |
| | * सब इंद्रियों को बश में रखकर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल और अचिन्त्य, सर्वव्यापी, स्वर्णीय, अविनाशी स्वरुप की उपसना करते हैं, वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए मुझे ही पाते हैं - भगवन कृष्ण |
| | |
| | '''ईश्वर''' |
| | * मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता - शेख सादी |
| | * ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है - हज़रत मोहम्मद |
| | * ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है - महात्मा गाँधी |
| | * यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना जरूरी है - वाल्टेयर |
| | * ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है - अरविन्द |
| | * ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता - टैगोर |
| | |
| | '''ईर्ष्या''' |
| | * ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है - तिरुवल्लुवर |
| | * ईर्ष्यालु को मृत्यु के सामान दुःख भोगना पड़ता है - वेदव्यास |
|
| |
|
|
| |
|
13:55, 15 सितम्बर 2011 का अवतरण
इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
अज्ञान
- अज्ञान जैसा शत्रु दूसरा नहीं। - चाणक्य
- अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
- अज्ञानी होना मनुष्य का असाधारण अधिकार नहीं है बल्कि स्वयं को अज्ञानी जानना ही उसका विशेषाधिकार है। - राधाकृष्णन
- अशिक्षित रहने से पैदा ना होना अच्छा है क्योंकि अज्ञान ही सब विपत्ति का मूल है।
- अज्ञानी के लिए ख़ामोशी से बढकर कोई चीज़ नहीं और यदि उसमे यह समझाने की बुद्धि हो तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा। - शेख सादी
अतिथि
- अतिथि जिसका अन्न खता है उसके पाप धुल जाते हैं। - अथर्ववेद
- यदि किसी को भी भूख प्यास नहीं लगती तो अतिथि सत्कार का अवसर कैसे मिलता। - विनोबा
- आवत ही हर्षे नहीं, नयनन नहीं सनेह, तुलसी वहां ना जाइये, कंचन बरसे मेह। - तुलसीदास
अत्याचार
- अत्याचारी से बढ़कर अभागा कोई दूसरा नहीं क्योंकि विपत्ति के समय उसका कोई मित्र नहीं होता। - शेख सादी
- गुलामों की अपेक्षा उनपर अत्याचार करनेवाले की हालत ज्यादा ख़राब होती है। - महात्मा गाँधी
- अत्याचार करने वाला उतना ही दोषी होता है जितना उसे सहन करने वाला। - तिलक
अधिकार
- ईश्वर द्वारा निर्मित जल और वायु की तरह सभी चीजों पर सबका सामान अधिकार होना चाहिए। - महात्मा गाँधी
- अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता। - टैगोर
- संसार में सबसे बड़ा अधिकार सेवा और त्याग से प्राप्त होता है। - प्रेमचंद
अध्ययन
- सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है।
- हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है।
अनुभव
- बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अँधा है।
- दूसरों के अनुभव से जान लेना भी मनुष्य के लिए एक अनुभव है।
- यदि कोई केवल अनुभव से ही बुद्धिमान हो जाता तो लन्दन के अजायबघर में रखे इतने समय के बाद संसार के बड़े से बड़े बुद्धिमान से अधिक बुद्धिमान होते। - बर्नार्ड
अन्याय
- अन्याय सहने से अन्याय करना अच्छा है कोई भी इस सिधांत को स्वीकार नहीं करेगा। - अरस्तु
- अन्याय सहने वाला भी उतना ही अपराधी होता है जितना करने वाला क्योंकि अगर अन्याय न सहा जाये तो कोई भी अन्याय करने का साहस नहीं करेगा। - टैगोर
- अन्याय को मिटाओ लेकिन अपने आप को मिटाकर नहीं। - प्रेमचंद
अपमान
- धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। - टैगोर
- अपमान का दर कानून के दर से किसी तरह कम क्रियाशील नहीं होता। - प्रेमचंद
- अपमान पूर्ण जीवन से मृत्यु अच्छी है। - कहावत
अपराध
- दूसरों के प्रति किये गए छोटे अपराध अपने प्रति किये गए बड़े अपराध हैं जिनका फक हमें भुगतना ही होता है। - अज्ञात
- अपराध मनुष्य के मुख पर लिखा होता है। - महात्मा गाँधी
- अपराधी मन संदेह का अड्डा है। - शेक्सपीयर
अभिमान
- जरा रूप को, आशा धैर्य को, मृत्यु प्राण को, क्रोध श्री को, काम लज्जा को हरता है पर अभिमान सब को हरता है। - विदुर नीति
- अभिमान नरक का मूल है। - महाभारत
- कोयल दिव्या आमरस पीकर भी अभिमान नहीं करती, लेकिन मेढक कीचर का पानी पीकर भी टर्राने लगता है। - प्रसंग रत्नावली
- कबीरा जरब न कीजिये कबुहूँ न हासिये कोए अबहूँ नाव समुद्र में का जाने का होए। - कबीर
- समस्त महान गलतियों की तह में अभिमान ही होता है। - रस्किन
- किसी भी हालत में अपनी शक्ति पर अभिमान मत कर, यह बहुरुपिया आसमान हर घडी हजारों रंग बदलता है। - हाफ़िज़
- जिसे होश है वह कभी घमंड नहीं करता। - शेख सादी
अभिलाषा
- हमारी अभिलाष जीवन रूपी भाप को इन्द्रधनुष के रंग देती है। - टैगोर
- अभिलाषा सब दुखों का मूल है। - बुद्ध
- अभिलाषाओं से ऊपर उठ जाओ वे पूरी हो जायंगी, मांगोगे तो उनकी पूर्ति तुमसे और दूर जा पड़ेंगी। - रामतीर्थ
- कोई अभिलाष यहाँ अपूर्ण नहीं रहती। - खलील जिज्ञान
- अभिलाषा ही घोडा बन सकती तो प्रत्येक मनुष्य घुड़सवार हो जाता। - शेक्सपीयर
अवसर
- अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। - कहावत
- मनुष्य के लिए जीवन में सफलता का रहष्य आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। - डिजरायली
- अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। - फारसी कहावत
अहिंसा
- उस जीवन को नष्ट करने का हमे कोई अधिकार नहीं जिसके बनाने की शक्ति हममे न हो। - महात्मा गाँधी
- अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
- जब को व्यक्ति अहिंसा की कसौटी पर पूरा उतर जाता है तो अन्य व्यक्ति स्वयं ही उसके पास आकर बैर भाव भूल जाता है। - पतंजलि
- हिंसा के मुकाबले में लाचारी का भाव आना अहिंसा नहीं कायरता है. अहिंसा को कायरता के साथ नहीं मिलाना चाहिए। - महात्मा गाँधी
आंसू
- स्त्री ! तुने अपने अथाह आंसुओं से संसार के ह्रदय को ऐसे घेर रखा है जैसे समुद्र पृथ्वी को घेरे हुए है। - टैगोर
- नारी के आंसू अपने एक एक बूँद में एक एक बाढ़ लिए होते हैं। - जयशंकर प्रसाद
- मेरी एक प्रबल कामना है की मैं कम से कम एक आँख का आंसू पोछ दूं। - महात्मा गाँधी
- सात सागरों में जल की अपेक्छा मानव के नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं। - बुद्ध
आचरण
- जैसा देश तैसा भेष। - कहावत
- माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्र का कभी क्षण भर के लिए विरोध या अपकार नहीं करना चाहिए। - शुक्रनीति
- मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है। - टैगोर
- शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वोही वस्तुतः विद्वान है। - अज्ञात
- रोगियों के लिए भली भांति सोचकर निश्चित की गयी औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से किसी को निरोगी नहीं कर सकती। - हितोपदेश
आत्म विश्वास
- आत्मविश्वास सफलता का मुख्य रहष्य है। - एमर्सन
- यह आत्मविश्वास रखो को तुम पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो। - गोर्की
- जिसमे आत्मविश्वास नहीं उसमे अन्य चीजों के प्रति विश्वास कैसे उत्पन्न हो सकता ही। - विवेकानंद
- आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। - टेनीसन
आत्मा
- आत्मा को न शाश्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न जल भिगो सकता है और न हवा सुखा सकती है। - भगवत गीता
- क्या तुम नहीं जानते ही तुम ही ईश्वर का मंदिर हो और ईश्वर की आत्मा तुममे रहती है। - इंजील
- अगर मेरे पास दो रोटियां हो तो मैं एक के फूल खरीदूंगा ताकि रूह को गिज़ा मिल सके। - हजरत मोहम्मद
- सबकी आत्मा एक जैसी है, सबकी आत्मा की शक्ति एक सामान है। कुछ की शक्ति प्रकट हो गयी है और दूसरों की प्रकट होनी बाकी है। - महात्मा गाँधी
- आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। - उमर खैयाम
- आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। - गेटे
- अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरुप को आत्मा प्रकाशित करता है। - टैगोर
आनंद
- आनंद वह ख़ुशी है जिसके भोगने पर पछताना नहीं पड़ता। - सुकरात
- केवल आत्मज्ञान ही आत्मा हृदय को सच्चा आनंद प्रदान करता है। - रामतीर्थ
- क्षणभर भी काम के बिना रहना ईश्वर की चोरी समझो, मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या भाहरी आनंद का नहीं जनता। - महात्मा गाँधी
- हम स्वयं आनंद की अनुभूति लेने के बजाये दूसरों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं की हम आनंद में हैं। - कन्फ्युशियाश
- जो वस्तु आनंद प्रदान नहीं कर सकती वह सुन्दर हो ही नहीं सकती। - प्रेमचंद
- आयु में आनंद है, समग्र शरीर के मंगल में, स्वाश्थ्य में आनंद है। इसी आनंद का भाग करने पर दो वस्तुएं प्राप्त होती हैं एक ज्ञान एंड दूसरा प्रेम। - टैगोर
आपत्ति
- ईश्वर आपत्तियों का भला करे क्योंकि इन्ही से मित्र और शत्रु की पहचान होती है। - अज्ञात
- मनुष्य को आपत्ति का सामना करने सहायता देने के लिए मुस्कान से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। - तिरुवल्लुवर
- आपत्ति 'मनुष्य' बनाती है और संपत्ति 'राक्षस'। - विक्टर ह्यूगो
- धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपति काल परखिये चारी। - तुलसीदास
- आपत्ति काल में हमारी अजीब अजीब लोगों से पहचान हो जाती है जो अन्यथा संभव नहीं। - शेक्सपीयर
- रंज से खूगर (अभ्यस्त) हुआ इन्सान तो मिट जाता है रंज।
आशा
- आशा एक नदी है, उसमे इच्छा रूपी जल है, तृष्णा उस नदी की तरंगे हैं, आसक्ति उसके मगर हैं, तर्क वितर्क उसकी पक्षी हैं, मोह रूपी भवरों के कारन वह सुकुमार तथा गहरी है, चिंता ही उसके ऊंचे नीचे किनारे हैं जो धैर्य के वृक्षों को नष्ट करते हैं, जो शुध्चित्त उसके पास चले जाते हैं वो बड़ा आनंद पते हैं। - कहावत
- आशा अमर है उसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती। - महात्मा गाँधी
- आशा प्रयत्नशील मनुष्य का साथ कभी नहीं छोडती। - गेटे
- जितनी अधिक आशा रखोगे उतनी अधिक निराशा होगी। - कहावत
- स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन
- मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा
इतिहास
- पुरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए इतिहास और अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है - महाभारत
- इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने आप को दोहराता है - विनोबा
इंद्रियां
- जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर लिया है, उसे स्त्री तिनके के जान पड़ती है - चाणक्य
- अविवेकी और चंचल आदमी की इंद्रियां बेखबर सारथी के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं - कठोपनिषद
- जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है - महाभारत
- सब इंद्रियों को बश में रखकर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल और अचिन्त्य, सर्वव्यापी, स्वर्णीय, अविनाशी स्वरुप की उपसना करते हैं, वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए मुझे ही पाते हैं - भगवन कृष्ण
ईश्वर
- मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता - शेख सादी
- ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है - हज़रत मोहम्मद
- ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है - महात्मा गाँधी
- यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना जरूरी है - वाल्टेयर
- ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है - अरविन्द
- ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता - टैगोर
ईर्ष्या
- ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है - तिरुवल्लुवर
- ईर्ष्यालु को मृत्यु के सामान दुःख भोगना पड़ता है - वेदव्यास
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख