"अनमोल वचन 6": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 220: | पंक्ति 220: | ||
* धन ना भी हो तो आरोग्य, विद्वता सज्जन-मैत्री तथा स्वाधीनता मनुष्य के महान ऐश्वर्य हैं। - अज्ञात | * धन ना भी हो तो आरोग्य, विद्वता सज्जन-मैत्री तथा स्वाधीनता मनुष्य के महान ऐश्वर्य हैं। - अज्ञात | ||
* ऐश्वर्य उपाधि में नहीं बल्कि इस चेतना में है की हम उसके योग्य हैं। - अरस्तु | * ऐश्वर्य उपाधि में नहीं बल्कि इस चेतना में है की हम उसके योग्य हैं। - अरस्तु | ||
'''कर्त्तव्य''' | |||
* मेरे दायें हाथ में कर्म है और बायें हाथ में जय ! - अथर्ववेद | |||
* फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता | |||
* कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत | |||
* कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरुप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा | |||
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस | |||
* मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन | |||
* हमारी आनंदपूर्ण बदकारियाँ ही हमारी उत्पीड़क चाबुक बन जाती हैं। - शेक्सपियर | |||
* अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर | |||
* सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर | |||
'''कल्पना''' | |||
* मन जिस रूप की कल्पना करता है वैसा हो जाता है, आज जैसा वह है वैसे उसने कल कल्पना की थी। - योगवशिष्ठ | |||
* कल्पना विश्व पर शासन करती है। - नेपोलियन | |||
* पागल, प्रेमी और कवि की कल्पनाएँ एक सी होती हैं। - शेक्सपियर | |||
'''कंजूसी''' | |||
* कंजूसी मैं तुझे जनता हूँ! तू विनाश करने वाली और व्यथा देने वाली है। - अथर्ववेद | |||
* संसार में सबसे दयनीय कौन है? जो धवन होकर भी कंजूस है। - विद्यापति | |||
* हमारे कफ़न में जेब नहीं लगायी जाती। - इतालियन कहावत | |||
'''कला''' | |||
* जो कला आत्मा को आत्मदर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला नहीं है। - महात्मा गाँधी | |||
* कला ईश्वर की परपौत्री है। - दांते | |||
* प्रकृति ईश्वर का प्रकट रूप है, कला मानुषय का। - लांगफैलो | |||
* कला का अंतिम और सर्वोच्च ध्येय सौंदर्य है। - गेटे | |||
* मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है। - रस्किन | |||
* कलाकार प्रकृति का प्रेमी होता है अर्ताथ वह उसका दास भी है और स्वामी भी। - अज्ञात | |||
'''कवि - कविता''' | |||
* कवि लिखने के लिए तब तक तैयार नहीं होता जब तक उसकी स्याही प्रेम की आहों से सराबोर नहीं हो जाती। - शेक्सपियर | |||
* इतिहास की अपेक्षा कविता सत्य के अधिक निकट होती है। - प्लेटो | |||
* कवि वह सपेरा है जिसकी पिटारी में सापों के स्थान पर ह्रदय बंद होते हैं। - प्रेमचंद | |||
'''कष्ट''' | |||
* आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। - अज्ञात | |||
* ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ करतें हैं। - इंजील | |||
* हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। - हज़रत मोहम्मद | |||
'''काम''' | |||
* काम से शोक उत्पन्न होता है। - धम्मपद | |||
* काम क्रोध और लोभ ये तीनो नरक के द्वार हैं। - गीता | |||
* सहकामी दीपक दसा, सोखे तेल निवास, कबीरा हीरा संतजन, सहजे सदा प्रकास। - कबीर | |||
'''कार्य''' | |||
* दौड़ना काफी नहीं है समय पर चल पड़ना चाहिए। - फ़्रांसिसी कहावत | |||
* जिसने निश्चय कर लिया उसके लिए बस करना बाकि रह जाता है। - इटैलियन कहावत | |||
* वाही काम करना ठीक है जिसके लिए बाद में पछताना ना पड़े, और जिसके फल को प्रसन्ना मन से भोग सके। - बुद्ध | |||
* यदि कोई काम नहीं करता तो उसे खाना भी नहीं चाहिए। - बाइबल | |||
* किसी भी काम को ख़ूबसूरती से करने के लिए उसे मन से करना चाहिए। - नेपोलियन | |||
* बिना काम के सिधांत दिमागी एय्याशी है, बिना सिधांत के कार्य अंधे की टटोल हैं। - जवाहरलाल नेहरु | |||
'''कायरता''' | |||
* अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं। - अज्ञात | |||
* घर का मोह कायरता का दूसरा नाम है। - अज्ञात | |||
* मैं कायरता तो किसी हाल में सहन नहीं कर सकता, आप कायरता से मरें इसकी बजाये बहादुरी से प्रहार करते हुए और प्रहार सहते हुए मैं कहीं बेहतर समझूंगा। - महात्मा गाँधी | |||
'''कुरूपता''' | |||
* मेरे दोस्त किसी चीज़ को कुरूप ना कहो सिवाय उस भय के जिसकी मारी कोई आत्मा स्वयं अपनी स्मृतियों से डरने लगे। - खलील जिब्रान | |||
* कुरूपता मनुष्य की सौंदर्य विद्या है। - चाणक्य | |||
'''क्रोध''' | |||
* क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है और भ्द्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है। - कृष्ण | |||
* क्रोध यमराज है। - चाणक्य | |||
* क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है। - महात्मा गाँधी | |||
* क्रोध में की गयी बातें अक्सर अंत में उलटी निकलती हैं। - मीनेंदर | |||
* जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और क्रोध करनेवाले की महासंकट से रक्षा करता है। - वेदव्यास | |||
* सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। - जेम्स एलन | |||
* क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज्यादा क्रोध में तो सौ तक। - जेफरसन | |||
'''क्षमा''' | |||
* क्षमा ब्रम्ह है, क्षमा सत्य है, क्षमा भूत है, क्षमा भविष्य है, क्षमा तप है, क्षमा पवित्रता है, कहमा में ही संपूर्ण जगत को धारण कर रखा है। - वेदव्यास | |||
* वृक्ष अपने काटने वाले को भी छाया देता है। - चैतन्य | |||
* क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। - हज़रत अली | |||
* दुसरे का अपराध सहनकर अपराधी पर उपकार करना, यह क्षमा का गुण पृथ्वी से सीखना और पृथ्वी पर सदा परोपकार रत रहने वाले पर्वत और वृक्षों से परोपकार की दक्षता लेना। - कृष्ण | |||
* मागने से पूर्व अपने आप गले पड़कर क्षमा करने का मतलब है मनुष्य का अपमान करना। - शरतचंद्र | |||
14:20, 15 सितम्बर 2011 का अवतरण
![]() |
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
अनमोल वचन |
---|
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख