"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास3": अवतरणों में अंतर

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-मोहिनीअट्टम  
-मोहिनीअट्टम  
+[[कुचिपुड़ि नृत्य]]  
+[[कुचिपुड़ि नृत्य]]  
-भांगड़ा  
-[[भांगड़ा]]
||[[चित्र:Kuchipudi-Dance.jpg|कुची पुडी नृत्य, आंध्र प्रदेश|100px|right]] कुचीपुडी नृत्‍य का सबसे अधिक लोकप्रिय रूप मटका नृत्‍य है जिसमें एक नर्तकी मटके में पानी भर कर और उसे अपने सिर पर रखकर पीतल की थाली में पैर जमा कर नृत्‍य करती है। वह पीतल की थाली पर नियंत्रण रखते हुए पूरे मंच पर नृत्‍य करती है और इस पूरे संचलन के दौरान श्रोताओं को चकित कर देने के लिए उसके मटके से पानी की एक बूंद भी नहीं गिरती है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुचिपुड़ि नृत्य]]  
||[[चित्र:Kuchipudi-Dance.jpg|कुची पुडी नृत्य, आंध्र प्रदेश|100px|right]] कुचीपुडी नृत्‍य का सबसे अधिक लोकप्रिय रूप मटका नृत्‍य है जिसमें एक नर्तकी मटके में पानी भर कर और उसे अपने सिर पर रखकर पीतल की थाली में पैर जमा कर नृत्‍य करती है। वह पीतल की थाली पर नियंत्रण रखते हुए पूरे मंच पर नृत्‍य करती है और इस पूरे संचलन के दौरान श्रोताओं को चकित कर देने के लिए उसके मटके से पानी की एक बूंद भी नहीं गिरती है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुचिपुड़ि नृत्य]]  


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+[[चैतन्य महाप्रभु]]
+[[चैतन्य महाप्रभु]]
-[[संत ज्ञानेश्वर]]  
-[[संत ज्ञानेश्वर]]  
||चित्र:Chetanya-Mahaprabhu.jpg|चैतन्य महाप्रभु|100px|right||]] चैतन्य महाप्रभु भगवान [[श्रीकृष्ण]] के प्रति इनकी अनन्य निष्ठा व विश्वास के कारण इनके असंख्य अनुयायी हो गए । सर्वप्रथम नित्यानंद प्रभु व अद्वैताचार्य महाराज इनके शिष्य बने । इन दोनों ने निमाई के भक्ति आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की । निमाई ने अपने इन दोनों शिष्यों के सहयोग से [[ढोल|ढोलक]], [[मृदंग]], [[झांझ|झाँझ]], [[मंजीरे]] आदि वाद्य यंत्र बजाकर व उच्च स्वर में नाच-गाकर हरि नाम संकीर्तन करना प्रारंभ किया । 'हरे-कृष्ण, हरे-कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे । हरे-राम, हरे-राम, राम-राम, हरे-हरे` नामक अठारह शब्दीय कीर्तन महामन्त्र निमाई की ही देन है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैतन्य महाप्रभु]]
||[[चित्र:Chetanya-Mahaprabhu.jpg|चैतन्य महाप्रभु|100px|right||]] चैतन्य महाप्रभु भगवान [[श्रीकृष्ण]] के प्रति इनकी अनन्य निष्ठा व विश्वास के कारण इनके असंख्य अनुयायी हो गए। सर्वप्रथम नित्यानंद प्रभु व अद्वैताचार्य महाराज इनके शिष्य बने। इन दोनों ने निमाई के भक्ति आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की। निमाई ने अपने इन दोनों शिष्यों के सहयोग से [[ढोल|ढोलक]], [[मृदंग]], [[झांझ|झाँझ]], [[मंजीरे]] आदि वाद्य यंत्र बजाकर व उच्च स्वर में नाच-गाकर हरि नाम संकीर्तन करना प्रारंभ किया। 'हरे-कृष्ण, हरे-कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे। हरे-राम, हरे-राम, राम-राम, हरे-हरे` नामक अठारह शब्दीय कीर्तन महामन्त्र निमाई की ही देन है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैतन्य महाप्रभु]]


{किस वैदिक ग्रंथ में जादू-टोनों का वर्णन मिलता है?
{किस वैदिक ग्रंथ में जादू-टोनों का वर्णन मिलता है?
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-[[सामवेद]]
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+[[अथर्ववेद]]
+[[अथर्ववेद]]
||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|अथर्ववेद|100px|right]]अथर्ववेद ऋग्वेद और [[सामवेद]] से भी मन्त्र लिये गये हैं। जादू से सम्बन्धित मन्त्र-तन्त्र, राक्षस, पिशाच, आदि भयानक शक्तियाँ अथर्ववेद के महत्त्वपूर्ण विषय हैं। इसमें भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि के मन्त्र हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अथर्ववेद]]
||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|अथर्ववेद|100px|right]]अथर्ववेद ऋग्वेद और [[सामवेद]] से भी मन्त्र लिये गये हैं। जादू से सम्बन्धित मन्त्र-तन्त्र, राक्षस, पिशाच, आदि भयानक शक्तियाँ अथर्ववेद के महत्त्वपूर्ण विषय हैं। इसमें भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि के मन्त्र हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अथर्ववेद]]


{[[जैन साहित्य]] को क्या कहा जाता है?
{[[जैन साहित्य]] को क्या कहा जाता है?
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-[[कल्प]]
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-सुत्त  
-सुत्त  
||भगवान [[महावीर]] के उपदेश [[जैन|जैन धर्म]] के मूल सिद्धान्त हैं, जिन्हें 'आगम' कहा जाता है। वे अर्धमागधी [[प्राकृत]] भाषा में हैं। उन्हें आचारांगादि बारह 'अंगों' में संकलित किया गया, जो 'द्वादशंग आगम' कहे जाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आगम]]


 
{निम्नलिखित में से किस त्योहार पर [[सूर्य]] की पूजा जाती है?
{निम्नलिखित में से किस त्योहार में [[सूर्य]] की पूजा जाती है?
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-बुद्ध पूर्णिमा  
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-1936 ई.
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{शून्यवाद के प्रवर्तक कौन माने जाते हैं?
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-मैत्रेयनाथ  
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-[[मक्का]]
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{निम्नलिखित में से कौन तंत्री वाद्ययंत्र है?
{निम्नलिखित में से कौन सा तंत्री वाद्ययंत्र है?
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-[[मृदंग]]  
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-[[मत्स्य पुराण]]  
-[[मत्स्य पुराण]]  
-[[मार्कण्डेय पुराण]]  
-[[मार्कण्डेय पुराण]]  
||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|श्रीमद्भागवत|100px|right]]इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भागवत पुराण]]  
||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|श्रीमद्भागवत|100px|right]]इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भागवत पुराण]]  


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07:40, 18 सितम्बर 2011 का अवतरण

कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान

1 निम्नलिखित में से कौन-सा एक देवनृत्य है?

कथकली
मोहिनीअट्टम
कुचिपुड़ि नृत्य
भांगड़ा

2 कीर्तन परम्परा का जन्मदाता किसे कहा जाता है?

मीराबाई
सूरदास
चैतन्य महाप्रभु
संत ज्ञानेश्वर

3 किस वैदिक ग्रंथ में जादू-टोनों का वर्णन मिलता है?

ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद

4 जैन साहित्य को क्या कहा जाता है?

आगम
पिटक
कल्प
सुत्त

5 निम्नलिखित में से किस त्योहार पर सूर्य की पूजा जाती है?

बुद्ध पूर्णिमा
होली
छठ
दीपावली

6 दिल्ली स्थित लोटस टेम्पल किस धर्म से सम्बन्धित है?

यहूदी
पारसी
बहाई
हिन्दू

7 कौन-सा स्थान 'भारत का स्विट्जरलैंड' कहलाता है?

कौसानी
कोडागू
ऊटी
मोरांग

8 भारत में रेडियों प्रसारण का प्रारम्भ किस वर्ष हुआ?

1930 ई.
1927 ई.
1935 ई.
1936 ई.

9 शून्यवाद के प्रवर्तक किसे कहा जाता हैं?

मैत्रेयनाथ
माध्वाचार्य
रामानुज
नागार्जुन

10 ईसा मसीह का जन्म स्थल है?

बेथलेहम
मेसीडोनिया
बग़दाद
मक्का

11 निम्नलिखित में से कौन सा तंत्री वाद्ययंत्र है?

मृदंग
तबला
संतूर
शहनाई

12 इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगम्बर मुहम्मद का जन्म कहाँ हुआ था?

मदीना में
मक्का में
बग़दाद में
तेहरान में

13 राजस्थान का प्रमुख लोक नृत्य है?

गरबा
गिद्दा
घूमर
बिहू

14 झाल, विणाई, दमामा, मुरयो क्या है?

उत्तराखण्ड की नदियाँ
कुमायूँ के वाद्य यंत्र
लद्दाख की पहाड़ी चोटियाँ
गढ़वाल के मन्दिर