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#मुरला नदी [[भवभूति]]-रचित [[उत्तररामचरित]] में उल्लिखित एक नदी जो [[नर्मदा]] जान पड़ती है। भवभूति ने मुरला तथा तमसा को मानवी के रूप में चित्रित किया है। | #मुरला नदी [[भवभूति]]-रचित [[उत्तररामचरित]] में उल्लिखित एक नदी जो [[नर्मदा]] जान पड़ती है। भवभूति ने मुरला तथा तमसा को मानवी के रूप में चित्रित किया है। | ||
#मुरला [[केरल]] की एक नदी इसका वर्णन [[कालिदास]] ने [[रघुवंश]]<ref>[[रघुवंश]] 4,55</ref> में इस प्रकार किया है:- | #मुरला [[केरल]] की एक नदी इसका वर्णन [[कालिदास]] ने [[रघुवंश]]<ref>[[रघुवंश]] 4,55</ref> में इस प्रकार किया है:- | ||
<poem>'मुरलामारुतोदधूतमगसत्कैतकं रज: | <poem>'मुरलामारुतोदधूतमगसत्कैतकं रज: | ||
तद्योधवार- वाणानामयत्नपटवासताम्'।</poem> टीकाकार ने मुरला की टीका में 'केरल देशेषु काचिन्नदी' लिखा है। कुछ विद्वानों के मत में मुरला संभवत: [[काली नदी]] है जिसके तट पर सदाशिवगढ़ बसा है। | तद्योधवार- वाणानामयत्नपटवासताम्'।</poem> | ||
*टीकाकार ने मुरला की टीका में 'केरल देशेषु काचिन्नदी' लिखा है। | |||
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07:12, 21 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
- मुरला नदी के उद्गम का उल्लेख कई जगह आता है।
- एक ही नाम की अलग-अलग जगह पर कई नदियाँ है जो इस प्रकार है:-
- मुरला नदी भवभूति-रचित उत्तररामचरित में उल्लिखित एक नदी जो नर्मदा जान पड़ती है। भवभूति ने मुरला तथा तमसा को मानवी के रूप में चित्रित किया है।
- मुरला केरल की एक नदी इसका वर्णन कालिदास ने रघुवंश[1] में इस प्रकार किया है:-
'मुरलामारुतोदधूतमगसत्कैतकं रज:
तद्योधवार- वाणानामयत्नपटवासताम्'।
- टीकाकार ने मुरला की टीका में 'केरल देशेषु काचिन्नदी' लिखा है।
- कुछ विद्वानों के मत में मुरला संभवत: काली नदी है जिसके तट पर सदाशिवगढ़ बसा है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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