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कौसानी [[उत्तराखंड]] राज्य के अल्मोड़ा जिले से 53 किमी.उत्तर में स्थित है। कौसानी,[[भारत]] का ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल। कौसानी [[हिमालय]] की ख़ूबसूरती के दर्शन कराता पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहाँ से बर्फ से ढ़के [[नंदा देवी पर्वत]] की चोटी का नजारा बडा भव्य दिखाई देता हैं। [[कोसी नदी]] और [[गोमती | कौसानी [[उत्तराखंड]] राज्य के अल्मोड़ा जिले से 53 किमी.उत्तर में स्थित है। कौसानी,[[भारत]] का ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल। कौसानी [[हिमालय]] की ख़ूबसूरती के दर्शन कराता पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहाँ से बर्फ से ढ़के [[नंदा देवी पर्वत]] की चोटी का नजारा बडा भव्य दिखाई देता हैं। [[कोसी नदी]] और [[गोमती नदी]] के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड कहलाता है। कौसानी के ख़ूबसूरत प्राकृतिक नजारे,खेल और धार्मिक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। [[महात्मा गांधी|राष्ट्रपिता महात्मा गांधी]] ने भी कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड कहा है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
कौसानी का सबसे पहला परिचय बचपन में पंडित नरेंद्र शर्मा की इन पक्तियों से हुआ था:- | कौसानी का सबसे पहला परिचय बचपन में पंडित नरेंद्र शर्मा की इन पक्तियों से हुआ था:- | ||
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थी [[आत्मा]] जिसके हित अशांत, | थी [[आत्मा]] जिसके हित अशांत, | ||
वह शांत लोक मिल गया मुझे। | वह शांत लोक मिल गया मुझे। | ||
कौसानी का दूसरा परिचय भी साहित्यिक ही था। [[धर्मवीर भारती]] ने अपने एक प्रसिद्ध निबंध ‘ठेले पर हिमालय’ में इसके बारे में काफी कुछ लिखा है। वैसे कौसानी का एक और साहित्यिक परिचय यह भी है कि कौसानी प्रकृति के सुकुमार [[सुमित्रानंदन पंत]] की जन्मस्थली भी है। कौसानी सिर्फ साहित्य के लिए ही महत्त्वपूर्ण जगह नहीं है, | कौसानी का दूसरा परिचय भी साहित्यिक ही था। [[धर्मवीर भारती]] ने अपने एक प्रसिद्ध निबंध ‘ठेले पर हिमालय’ में इसके बारे में काफी कुछ लिखा है। वैसे कौसानी का एक और साहित्यिक परिचय यह भी है कि कौसानी प्रकृति के सुकुमार [[सुमित्रानंदन पंत]] की जन्मस्थली भी है। कौसानी सिर्फ साहित्य के लिए ही महत्त्वपूर्ण जगह नहीं है, कौसानी की गिनती [[कुमाऊँ]] के सबसे सुंदर पर्यटन स्थलों में होती है। कौसानी1890 मीटर की ऊंचाई पर बसा ख़ूबसूरत कस्बा है, जहाँ से हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहाँ से आप हिमालय के 350 किलोमीटर लंबे नजारे को एक साथ देख सकते हैं। यहाँ से देखने पर ऐसा लगता है जैसे [[त्रिशूल]], नंदादेवी और पंचचूली जैसी चोटियां आपके एकदम करीब आकर खड़ी हो गई हों। | ||
==पर्यटन स्थल== | ==पर्यटन स्थल== | ||
पर्यटकों के लिए कौसानी में घुमने के लिए दो जगहें और हैं, जहाँ पर्यटक आसानी से जा सकते है। एक तो वह घर जहाँ सुमित्र नंदन पंत का जन्म हुआ था। इसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। दूसरा है लक्ष्मी आश्रम, जिसे गांधी जी की शिष्या सरला बेन ने बनवाया था। उन्होंने यहाँ लड़कियों के लिए जो आवासीय स्कूल शुरू किया था, वह आज भी चल रहा है। कौसानी से आप ग्वालदम भी जा सकते हैं। ग्वालदम वह जगह है, जहाँ कुमाऊँ और गढ़वाल आपस में मिलते हैं। यहाँ बहुत से [[सेब]] के बागान हैं। स्वर्ग से भी सुंदर कहे जाने वाले बेदनी बुग्याल तक जाने का रास्ता यहीं से शुरू होता है। और अगर आप कहीं नहीं जाना चाहते, सिर्फ कुदरत की गोद में आराम करना चाहते हैं तो कौसानी से बेहतर शायद कोई और जगह नहीं है। | पर्यटकों के लिए कौसानी में घुमने के लिए दो जगहें और हैं, जहाँ पर्यटक आसानी से जा सकते है। एक तो वह घर जहाँ सुमित्र नंदन पंत का जन्म हुआ था। इसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। दूसरा है लक्ष्मी आश्रम, जिसे गांधी जी की शिष्या सरला बेन ने बनवाया था। उन्होंने यहाँ लड़कियों के लिए जो आवासीय स्कूल शुरू किया था, वह आज भी चल रहा है। कौसानी से आप ग्वालदम भी जा सकते हैं। ग्वालदम वह जगह है, जहाँ कुमाऊँ और गढ़वाल आपस में मिलते हैं। यहाँ बहुत से [[सेब]] के बागान हैं। स्वर्ग से भी सुंदर कहे जाने वाले बेदनी बुग्याल तक जाने का रास्ता यहीं से शुरू होता है। और अगर आप कहीं नहीं जाना चाहते, सिर्फ कुदरत की गोद में आराम करना चाहते हैं तो कौसानी से बेहतर शायद कोई और जगह नहीं है। | ||
;अनासक्ति आश्रम | ;अनासक्ति आश्रम | ||
अनासक्ति आश्रम महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बनाया गया था, जिन्होंने 1929 में इस स्थान की यात्रा की थी और इसके प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत होकर इसे ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ की संज्ञा दी थी। यह वही स्थान है, | अनासक्ति आश्रम महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बनाया गया था, जिन्होंने 1929 में इस स्थान की यात्रा की थी और इसके प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत होकर इसे ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ की संज्ञा दी थी। यह वही स्थान है, जहाँ उन्होंने अपनी पुस्तक अनासक्ति योग लिखी थी। आश्रम में गांधी जी के जीवन से जुड़ी पुस्तकों और फोटोग्राफ्स का अच्छा संग्रह है और एक छोटी-सी बुकशॉप भी है। यहाँ एक छोटा-सा प्रार्थना कक्ष भी है, जहाँ हर दिन सुबह और शाम प्रार्थना सभा आयोजित होती है। इस जगह के बारे में गांधी जी ने लिखा है- | ||
‘इन पहाड़ों में प्राकृतिक सौंदर्य की मेहमाननवाजी के आगे मानव द्वारा किया गया कोई भी सत्कार फीका है। मैं आश्चर्य के साथ सोचता हूं कि इन पर्वतों के सौंदर्य और जलवायु से बढ़ कर किसी और जगह का होना तो दूर, इनकी बराबरी भी संसार का कोई सौंदर्य स्थल नहीं कर सकता। अल्मोड़ा के पहाड़ों में करीब तीन सप्ताह का समय बिताने के बाद मैं बहुत ज़्यादा आश्चर्यचकित | ‘इन पहाड़ों में प्राकृतिक सौंदर्य की मेहमाननवाजी के आगे मानव द्वारा किया गया कोई भी सत्कार फीका है। मैं आश्चर्य के साथ सोचता हूं कि इन पर्वतों के सौंदर्य और जलवायु से बढ़ कर किसी और जगह का होना तो दूर, इनकी बराबरी भी संसार का कोई सौंदर्य स्थल नहीं कर सकता। अल्मोड़ा के पहाड़ों में करीब तीन सप्ताह का समय बिताने के बाद मैं बहुत ज़्यादा आश्चर्यचकित हूँ कि हमारे यहाँ के लोग बेहतर स्वास्थ्य की चाह में यूरोप क्यों जाते हैं। | ||
==ऐतिहासिक स्थल== | |||
बैजनाथ उत्तराखंड का काफी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। कौसानी से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैजनाथ गोमती नदी के तट पर स्थित है। पर्यटकों के लिए यहां का सर्वाधिक आकर्षण के केन्द्र 12वीं सदी में निर्मित शिव, गणेश, पार्वती, चंडिका, कुबेर, सूर्य मंदिर हैं। | बैजनाथ उत्तराखंड का काफी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। कौसानी से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैजनाथ गोमती नदी के तट पर स्थित है। पर्यटकों के लिए यहां का सर्वाधिक आकर्षण के केन्द्र 12वीं सदी में निर्मित शिव, गणेश, पार्वती, चंडिका, कुबेर, सूर्य मंदिर हैं। | ||
बागेश्वर कौसानी से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। सरयू और गोमती के संगम पर स्थित बागेश्वर भगवान शिव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। चौकोड़ी कौसानी से 87 किलोमीटर दूर है, जहां से हिमालय की चोटी का नजारा देखने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं। लखुड़ियार की गुफाएं और पेंटिंग पर्यटकों में खासी लोकप्रिय हैं। कौसानी से 71 किलोमीटर की दूरी तय कर आप यहां पहुंच सकते हैं। इस रास्ते पर अल्मोड़ा है, जो उत्तराखंड के कुछ प्रमुख हिल स्टेशनों में से एक है। कोट ब्रह्ररी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है, जो यहां से 21 किलोमीटर की दूरी पर तेहलीहाट में स्थित है। | बागेश्वर कौसानी से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। [[सरयू नदी|सरयू]] और गोमती के संगम पर स्थित [[बागेश्वर]] [[शिव|भगवान शिव]] के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। चौकोड़ी कौसानी से 87 किलोमीटर दूर है, जहां से हिमालय की चोटी का नजारा देखने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं। लखुड़ियार की गुफाएं और पेंटिंग पर्यटकों में खासी लोकप्रिय हैं। कौसानी से 71 किलोमीटर की दूरी तय कर आप यहां पहुंच सकते हैं। इस रास्ते पर अल्मोड़ा है, जो उत्तराखंड के कुछ प्रमुख हिल स्टेशनों में से एक है। कोट ब्रह्ररी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है, जो यहां से 21 किलोमीटर की दूरी पर तेहलीहाट में स्थित है। | ||
;चाय के बागान | |||
कौसानी और आसपास के क्षेत्र में चाय के बागान भी ऐसी हरियाली का आनन्द देते हैं, मानो ईश्वर ने हरा कालीन बिछा दिया हो। चाय बागानों में घूमने के साथ-साथ फैक्ट्रियों में चाय को तैयार होते देख सकते हैं। | कौसानी और आसपास के क्षेत्र में चाय के बागान भी ऐसी हरियाली का आनन्द देते हैं, मानो ईश्वर ने हरा कालीन बिछा दिया हो। चाय बागानों में घूमने के साथ-साथ फैक्ट्रियों में चाय को तैयार होते देख सकते हैं। | ||
;यात्राएँ | |||
कौसानी की ख़ूबसूरती ने तो यहाँ आने वालों को आकर्षित किया ही, राष्ट्रपति महात्मा गांधी से जुड़ी ऐतिहासिकता ने भी बड़ी-बड़ी हस्तियों को यहाँ आने पर मजबूर किया। इन हस्तियों में पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गांधी]], [[सोनिया गांधी]], [[कांग्रेस]] के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह और अरुण शौरी प्रमुख हैं। डॉ. सिंह और अरुण शौरी को यह जगह इतनी पसंद आई कि वे अक्सर आकर यहाँ रहा करते हैं। प्रख्यात साहित्यकार निर्मल वर्मा को भी कौसानी पसंद थी। उन्होंने कई बार यहाँ की यात्राएँ कीं। | |||
कौसानी की ख़ूबसूरती ने तो | |||
11:39, 23 सितम्बर 2011 का अवतरण
कौसानी उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले से 53 किमी.उत्तर में स्थित है। कौसानी,भारत का ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल। कौसानी हिमालय की ख़ूबसूरती के दर्शन कराता पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहाँ से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत की चोटी का नजारा बडा भव्य दिखाई देता हैं। कोसी नदी और गोमती नदी के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड कहलाता है। कौसानी के ख़ूबसूरत प्राकृतिक नजारे,खेल और धार्मिक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड कहा है।
इतिहास
कौसानी का सबसे पहला परिचय बचपन में पंडित नरेंद्र शर्मा की इन पक्तियों से हुआ था:- यह नई धरा, आकाश नया, यह नया लोक मिल गया मुझे। थी आत्मा जिसके हित अशांत, वह शांत लोक मिल गया मुझे। कौसानी का दूसरा परिचय भी साहित्यिक ही था। धर्मवीर भारती ने अपने एक प्रसिद्ध निबंध ‘ठेले पर हिमालय’ में इसके बारे में काफी कुछ लिखा है। वैसे कौसानी का एक और साहित्यिक परिचय यह भी है कि कौसानी प्रकृति के सुकुमार सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली भी है। कौसानी सिर्फ साहित्य के लिए ही महत्त्वपूर्ण जगह नहीं है, कौसानी की गिनती कुमाऊँ के सबसे सुंदर पर्यटन स्थलों में होती है। कौसानी1890 मीटर की ऊंचाई पर बसा ख़ूबसूरत कस्बा है, जहाँ से हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहाँ से आप हिमालय के 350 किलोमीटर लंबे नजारे को एक साथ देख सकते हैं। यहाँ से देखने पर ऐसा लगता है जैसे त्रिशूल, नंदादेवी और पंचचूली जैसी चोटियां आपके एकदम करीब आकर खड़ी हो गई हों।
पर्यटन स्थल
पर्यटकों के लिए कौसानी में घुमने के लिए दो जगहें और हैं, जहाँ पर्यटक आसानी से जा सकते है। एक तो वह घर जहाँ सुमित्र नंदन पंत का जन्म हुआ था। इसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। दूसरा है लक्ष्मी आश्रम, जिसे गांधी जी की शिष्या सरला बेन ने बनवाया था। उन्होंने यहाँ लड़कियों के लिए जो आवासीय स्कूल शुरू किया था, वह आज भी चल रहा है। कौसानी से आप ग्वालदम भी जा सकते हैं। ग्वालदम वह जगह है, जहाँ कुमाऊँ और गढ़वाल आपस में मिलते हैं। यहाँ बहुत से सेब के बागान हैं। स्वर्ग से भी सुंदर कहे जाने वाले बेदनी बुग्याल तक जाने का रास्ता यहीं से शुरू होता है। और अगर आप कहीं नहीं जाना चाहते, सिर्फ कुदरत की गोद में आराम करना चाहते हैं तो कौसानी से बेहतर शायद कोई और जगह नहीं है।
- अनासक्ति आश्रम
अनासक्ति आश्रम महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बनाया गया था, जिन्होंने 1929 में इस स्थान की यात्रा की थी और इसके प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत होकर इसे ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ की संज्ञा दी थी। यह वही स्थान है, जहाँ उन्होंने अपनी पुस्तक अनासक्ति योग लिखी थी। आश्रम में गांधी जी के जीवन से जुड़ी पुस्तकों और फोटोग्राफ्स का अच्छा संग्रह है और एक छोटी-सी बुकशॉप भी है। यहाँ एक छोटा-सा प्रार्थना कक्ष भी है, जहाँ हर दिन सुबह और शाम प्रार्थना सभा आयोजित होती है। इस जगह के बारे में गांधी जी ने लिखा है- ‘इन पहाड़ों में प्राकृतिक सौंदर्य की मेहमाननवाजी के आगे मानव द्वारा किया गया कोई भी सत्कार फीका है। मैं आश्चर्य के साथ सोचता हूं कि इन पर्वतों के सौंदर्य और जलवायु से बढ़ कर किसी और जगह का होना तो दूर, इनकी बराबरी भी संसार का कोई सौंदर्य स्थल नहीं कर सकता। अल्मोड़ा के पहाड़ों में करीब तीन सप्ताह का समय बिताने के बाद मैं बहुत ज़्यादा आश्चर्यचकित हूँ कि हमारे यहाँ के लोग बेहतर स्वास्थ्य की चाह में यूरोप क्यों जाते हैं।
ऐतिहासिक स्थल
बैजनाथ उत्तराखंड का काफी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। कौसानी से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैजनाथ गोमती नदी के तट पर स्थित है। पर्यटकों के लिए यहां का सर्वाधिक आकर्षण के केन्द्र 12वीं सदी में निर्मित शिव, गणेश, पार्वती, चंडिका, कुबेर, सूर्य मंदिर हैं। बागेश्वर कौसानी से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। सरयू और गोमती के संगम पर स्थित बागेश्वर भगवान शिव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। चौकोड़ी कौसानी से 87 किलोमीटर दूर है, जहां से हिमालय की चोटी का नजारा देखने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं। लखुड़ियार की गुफाएं और पेंटिंग पर्यटकों में खासी लोकप्रिय हैं। कौसानी से 71 किलोमीटर की दूरी तय कर आप यहां पहुंच सकते हैं। इस रास्ते पर अल्मोड़ा है, जो उत्तराखंड के कुछ प्रमुख हिल स्टेशनों में से एक है। कोट ब्रह्ररी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है, जो यहां से 21 किलोमीटर की दूरी पर तेहलीहाट में स्थित है।
- चाय के बागान
कौसानी और आसपास के क्षेत्र में चाय के बागान भी ऐसी हरियाली का आनन्द देते हैं, मानो ईश्वर ने हरा कालीन बिछा दिया हो। चाय बागानों में घूमने के साथ-साथ फैक्ट्रियों में चाय को तैयार होते देख सकते हैं।
- यात्राएँ
कौसानी की ख़ूबसूरती ने तो यहाँ आने वालों को आकर्षित किया ही, राष्ट्रपति महात्मा गांधी से जुड़ी ऐतिहासिकता ने भी बड़ी-बड़ी हस्तियों को यहाँ आने पर मजबूर किया। इन हस्तियों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह और अरुण शौरी प्रमुख हैं। डॉ. सिंह और अरुण शौरी को यह जगह इतनी पसंद आई कि वे अक्सर आकर यहाँ रहा करते हैं। प्रख्यात साहित्यकार निर्मल वर्मा को भी कौसानी पसंद थी। उन्होंने कई बार यहाँ की यात्राएँ कीं।